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बेगम हाजरा रहीम: भारत की पहली महिला रेसर की अनसुनी कहानी!

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भारत के मोटर रेसिंग इतिहास में बेगम हाजरा रहीम का नाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। 20वीं सदी के मध्य में, जब महिलाओं के लिए खेलों में हिस्सा लेना भी एक चुनौती था, हाजरा ने न केवल रेसिंग ट्रैक पर कदम रखा, बल्कि भारत की पहली महिला ग्रैंड मोटर रेस विजेता बनकर इतिहास रच दिया। उनका जन्म एक प्रगतिशील परिवार में हुआ, जहां उन्हें अपनी महत्वाकांक्षाओं को पंख देने की आजादी मिली। बचपन से ही हाजरा को गति और मशीनों का जुनून था, जो उन्हें रेसिंग की दुनिया में ले गया।

रेसिंग की दुनिया में कदम

1950 के दशक में, जब मोटर रेसिंग भारत में अभी अपने शुरुआती दौर में थी, हाजरा ने पुरुष-प्रधान इस क्षेत्र में अपनी जगह बनाई। उन्होंने छोटी-छोटी स्थानीय रेस में हिस्सा लेना शुरू किया, जहां उनकी ड्राइविंग कौशल ने सबका ध्यान खींचा। उनकी नजर थी देश की सबसे प्रतिष्ठित ग्रैंड मोटर रेस पर, जो उस समय पुरुष रेसर्स के दबदबे का प्रतीक थी। कठिन प्रशिक्षण, सामाजिक रूढ़ियों को तोड़ने की हिम्मत, और परिवार के समर्थन ने हाजरा को इस मुकाम तक पहुंचाया।

ऐतिहासिक जीत की कहानी

वह ऐतिहासिक दिन था जब बेगम हाजरा रहीम ने ग्रैंड मोटर रेस में हिस्सा लिया। ट्रैक पर उनकी कार की रफ्तार और नियंत्रण ने दर्शकों को हैरान कर दिया। हर मोड़ पर उनकी निपुणता और हर ओवरटेक में उनका आत्मविश्वास साफ झलक रहा था। अंततः, फिनिश लाइन पार करते ही हाजरा ने न केवल रेस जीती, बल्कि भारत की पहली महिला रेसिंग चैंपियन का खिताब भी अपने नाम किया। इस जीत ने न केवल खेल जगत में हलचल मचाई, बल्कि महिलाओं को यह विश्वास दिलाया कि वे किसी भी क्षेत्र में असंभव को संभव कर सकती हैं।

चुनौतियों का सामना

हाजरा की राह आसान नहीं थी। उस दौर में महिलाओं को रेसिंग जैसे जोखिम भरे खेल में हिस्सा लेते देखना समाज के लिए अस्वीकार्य था। उन्हें आलोचनाओं, संसाधनों की कमी, और तकनीकी बाधाओं का सामना करना पड़ा। फिर भी, उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और जुनून ने उन्हें कभी हार नहीं मानने दी। हाजरा की कहानी सिर्फ रेसिंग तक सीमित नहीं थी; यह एक ऐसी महिला की कहानी थी जो अपने सपनों के लिए लड़ी और जीती।

प्रेरणा की मिसाल

बेगम हाजरा रहीम की उपलब्धि ने नई पीढ़ी की महिलाओं को प्रेरित किया। उनकी जीत ने मोटर रेसिंग में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा दिया और खेलों में लैंगिक समानता की दिशा में एक कदम उठाया। आज भी, उनके नाम का जिक्र भारत के मोटरस्पोर्ट इतिहास में सम्मान के साथ किया जाता है। उनकी कहानी हमें सिखाती है कि साहस और मेहनत से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।

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