उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में पुलिस ने एक बार फिर अपराधियों के खिलाफ अपनी सख्ती दिखाई है। मुजफ्फरनगर का कुख्यात हिस्ट्रीशीटर आशु उर्फ जीका, जो पिछले 14 साल से फरार था, आखिरकार दून पुलिस की गिरफ्त में आ गया। यह शातिर अपराधी उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में हत्या, लूट, चोरी और गैंगस्टर एक्ट जैसे डेढ़ दर्जन से अधिक मामलों में वांछित था। आइए, इस सनसनीखेज गिरफ्तारी की पूरी कहानी जानते हैं।
14 साल की फरारी का अंत
थाना कालसी में दर्ज वाहन चोरी के एक मामले में आशु पुत्र शरीफ पिछले 14 साल से पुलिस को चकमा दे रहा था। यह अभियुक्त इतना शातिर था कि वह बार-बार अपने ठिकाने बदलकर पुलिस की नजरों से बचता रहा। लेकिन देहरादून पुलिस की लगन और मेहनत रंग लाई।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) देहरादून के निर्देश पर गठित विशेष पुलिस टीम ने दिन-रात एक कर इस अपराधी को पकड़ने की रणनीति बनाई। स्थानीय मुखबिरों के नेटवर्क और लगातार सुरागरसी के बाद, 20 अप्रैल 2024 को मुजफ्फरनगर से आशु को धर दबोचा गया। यह गिरफ्तारी पुलिस की दृढ़ता और अपराध के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति का जीता-जागता सबूत है।
अपराध की दुनिया का कुख्यात चेहरा
37 वर्षीय आशु उर्फ जीका कोई साधारण अपराधी नहीं है। वह मुजफ्फरनगर का हिस्ट्रीशीटर है, जिसके खिलाफ तीन राज्यों में गंभीर अपराधों के 20 से अधिक मामले दर्ज हैं। हत्या, हत्या का प्रयास, लूट, चोरी, नकबजनी और गैंगस्टर एक्ट जैसे अपराधों में उसका नाम शामिल है। मुजफ्फरनगर की नूर मस्जिद के पीछे खालापार इलाके का यह अपराधी लंबे समय से पुलिस के लिए सिरदर्द बना हुआ था। उसकी गिरफ्तारी न केवल देहरादून पुलिस की एक बड़ी उपलब्धि है, बल्कि यह अपराधियों के लिए भी एक सख्त संदेश है कि कानून के लंबे हाथों से कोई नहीं बच सकता।
पुलिस की रणनीति और मेहनत
इस गिरफ्तारी के पीछे देहरादून पुलिस की मेहनत और रणनीति का बड़ा योगदान है। एसएसपी देहरादून ने सभी थाना प्रभारियों को वांछित और इनामी अपराधियों की धरपकड़ के लिए विशेष टीमें गठित करने के निर्देश दिए थे। थाना कालसी की पुलिस टीम ने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए अभियुक्त के संभावित ठिकानों पर लगातार दबिश दी।
स्थानीय मुखबिरों को सक्रिय करने के साथ-साथ, पुलिस ने तकनीकी और मानवीय संसाधनों का उपयोग कर आशु को पकड़ने में सफलता हासिल की। इस ऑपरेशन में उपनिरीक्षक नीरज कठैत, कांस्टेबल सुधीर कुमार, मुन्ना सिंह और अमित राणा की भूमिका सराहनीय रही।
आशु जैसे शातिर अपराधी की गिरफ्तारी न केवल पुलिस की कार्यकुशलता को दर्शाती है, बल्कि समाज में सुरक्षा का भरोसा भी जगाती है। यह उन परिवारों के लिए राहत की खबर है, जो उसके अपराधों से प्रभावित रहे हैं। देहरादून पुलिस की इस कार्रवाई से यह साफ है कि अपराधी कितना भी शातिर क्यों न हो, कानून की पकड़ से बच नहीं सकता। पुलिस का यह अभियान आगे भी जारी रहेगा ताकि अपराधमुक्त समाज की दिशा में और कदम बढ़ाए जा सकें।
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