कोलकाता, 05 सितम्बर (Udaipur Kiran) । विवेक अग्निहोत्री की नई फिल्म ‘द बंगाल फाइल्स’ रिलीज के दिन ही पश्चिम बंगाल के सिनेमाघरों में दर्शकों तक नहीं पहुंच सकी। निर्देशक ने इसे राजनीतिक दबाव और धमकियों का नतीजा बताया। उन्होंने कहा कि फिल्म पर एक तरह का ‘‘गैर-सरकारी प्रतिबंध’’ लगाया गया है।
अग्निहोत्री ने सोशल मीडिया पर लिखा कि ‘‘यह फिल्म अब लोगों की हो चुकी है, लेकिन पश्चिम बंगाल और पाकिस्तान को छोड़कर हर जगह प्रदर्शित की जा रही है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘एक समय था जब गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने भयमुक्त बंगाल का सपना देखा था, लेकिन आज का बंगाल इस फिल्म को बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है। सरकार ने ‘द बंगाल फाइल्स’ पर रोक लगाकर उसे दबाने की कोशिश की है।’’
फिल्म की निर्माता एवं अभिनेत्री पल्लवी जोशी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को संबोधित एक खुला पत्र लिखकर आरोप लगाया कि सिनेमाघर मालिकों को धमकाया जा रहा है। उनके अनुसार, ‘‘हॉल मालिक कह रहे हैं कि अगर फिल्म दिखाई तो सत्तारूढ़ दल के कार्यकर्ताओं से हिंसा का खतरा है।’’
‘द बंगाल फाइल्स’ अग्निहोत्री की फाइल्स ट्रायोलॉजी की अंतिम कड़ी है। इसमें 1946 के कोलकाता दंगे, मुस्लिम लीग के डायरेक्ट एक्शन डे, उसके बाद नोआखाली की त्रासदी और विभाजन के दर्द को दिखाया गया है। इस फिल्म में मिथुन चक्रवर्ती, अनुपम खेर, पल्लवी जोशी, सास्वत चटर्जी, दर्शन कुमार और सौरव दास ने मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं।
हालांकि, पूर्वी भारत मोशन पिक्चर एसोसिएशन ने कहा कि हॉल मालिक अपनी सुविधा के अनुसार फिल्में चुनते हैं। कोलकाता के नविना सिनेमा के मालिक नवीन चोकानी ने बताया कि उनके हॉल में पहले से ‘बागी 4’ और बंगाली फिल्म ‘धूमकेतु’ लगी हुई है, इसलिए नई फिल्म को जगह देना संभव नहीं है। मेनोका सिनेमा में ‘द कंज्यूरिंग: लास्ट राइट्स’ और ‘बहुरूपी’ दिखाई जा रही है। प्रिय सिनेमा के मालिक अरिजित दत्ता ने भी कहा कि ‘‘हमारे पास ‘बागी 4’ और दो बंगाली फिल्में पहले से चल रही हैं। इसलिए ‘द बंगाल फाइल्स’ के लिए कोई स्लॉट नहीं है।’’
इससे पहले 17 अगस्त को कोलकाता के एक होटल में फिल्म का ट्रेलर लॉन्च रोक दिया गया था। उस वक्त तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने आरोप लगाया था कि अग्निहोत्री ‘‘भाजपा के राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए समाज में विभाजन की कोशिश कर रहे हैं।’’
फिलहाल, मल्टीप्लेक्स चेन जैसे पीवीआर इनॉक्स, सिनेपोलिस और एसवीएफ सिनेमाज ने भी इस फिल्म को बंगाल में जगह नहीं दी है। निर्देशक और निर्माता का कहना है कि यह जनता की आवाज को दबाने का प्रयास है।
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(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
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