रांची, 23 मई . दिव्यदेशम् श्रीलक्ष्मी वेंकटेश्वर (तिरुपति बालाजी) मंदिर में ज्येष्ठ मास कृष्णपक्ष की अचला एकादशी व्रत के उपलक्ष्य पर शुक्रवार को श्रीमन्नारायण का महाभिषेक कराया गया. महाभिषेक आयोजित पूजोपचार -अनुष्ठानादि की प्रक्रिया पाञ्चरात्र आगम विधान के अंतर्गत ब्रह्म मुहूर्त में विश्वरूप दर्शन, सुप्रभातम, मंगलाशासनम और तिरूवाराधन के बाद किया गया. महाभिषेक वैदिक ऋति से दूध, दधि, हरिद्रा चूर्ण और सुगंधित चंदन से अनुलेपन एवं शहद, डाभयुक्त जल और गंगाजल से सहस्त्रधारा, कलशधारा, शंखधारा से अलग-अलग हुआ.
सुगंधित फुलों से हुआ भव्य श्रृंगार
इसके बाद भगवान को धूप दीप से सुवासित करके रेशमी वस्त्र धारण कराया गया तथा आभूषणों से अलंकार समर्पण करके दिव्य सुगंधित फूलों से श्रृंगार निवेदन किया गया. बाद में पंचोपचार और षोडषोपचार पूजा करके नक्षत्र कुंभ और कर्पूर से महाआरती की गयी. साथ ही श्रुति, उपनिषद और देशिक स्तोत्र मालाओं से महास्तुति की गई..
सुबह में पूजा, आराधना वंदन के बाद आम श्रद्धालु भक्तों के लिए मंदिर गोपुरम के बाहरी कपाट खोल दिया गया. पट खुलने के साथ ही श्रद्धालु भक्त श्रीनिवासा गोविंदा- श्री वेंकटेशा गोविंदा श्रीमन्नारायण हरि- हरि, गोविंद नारायण हरि- हरि का जय घोष करते हुए मंदिर जगमोहन में प्रवेश किया.
भक्त क्रमानुसार अपने-अपने नाम और गोत्र से संकल्प कराकर अष्टोत्तर सतनाम की अर्चना कुमकुम अर्चना और श्रीविष्णु सहस्त्रनाम की अर्चना करायी .
महाभिषेक के यजमान छाबडा एंड संस थे. अर्चक सत्यनारायण गौतम, गोपेश आचार्य और नारायण दास ने मिलकर दिन भर के अनुष्ठान को विधिवत संपन्न कराया.
इस अवसर पर राम अवतार नारसरिया, अनूप अग्रवाल, प्रभाष मित्तल, प्रदीप नरसरिया, घनश्याम दास शर्मा, सीता शर्मा, शंभू नाथ पोद्दार सहित कई भक्त मौजूद थे.
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/ Vinod Pathak
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