जयपुर, 23 अगस्त (Udaipur Kiran) । भाद्रपद माह की अमावस्या शनिवार को विशेष योग-संयोग रहे। शनैश्चरी अमावस्या को न्याय के कारक शनि महाराज और पितृ गणों का पूजन और तर्पण किया गया। अमावस्या पर पुण्य कार्यों के लिए जाने जाना वाला परिघ योग रहा।
अमावस्या पर मंदिरों में विशेष आयोजन हुए। आराध्य देव गोविंद देवजी मंदिर श्री गोविंदधाम में सुबह मंगला झांकी के बाद ठाकुर श्रीजी का पंचामृत अभिषेक किया गया। काले रंग की लप्पा जामा पोशाक धारण करवाकर विशेष अलंकार श्रृंगार किया गया। शाम को मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में संध्या झांकी के बाद मंदिर परिकर वैष्णव मंडल की ओर से हरि नाम संकीर्तन किया गया। चौड़ा रास्ता के राधा दामोदरजी मंदिर में महंत मलय गोस्वामी के सान्निध्य में ठाकुर जी का पंचामृत अभिषेक कर विशेष श्रृंगार किया गया। पुरानी बस्ती के गोपीनाथ जी मंदिर में महंत सिद्धार्थ गोस्वामी के सान्न्ध्यि में महिला मंडल ने संकीर्तन किया। टोंक रोड स्थित पिंजरापोल गौशाला, दुर्गापुरा स्थित राजस्थान गोसेवा संघ की गौशाल सहित सभी गौशालाओं में शनिवार को श्रद्धालुओं ने गायों को चारा, गुड़, औषधीय लाडू खिलाया।
शनिश्चैरी अमावस्या को कुशाग्रहणी अमावस्या भी कहा जाता है। कर्मकांड करवाने वाले पंडितों ने खेतों में जाकर कुशा (पवित्री) का संग्रह किया। धार्मिक कर्मकांड, सूतक, सूर्य ग्रहण में कुशा का उपयोग होता है।
शनिवारी अमावस्या को दिवंगत पितृ गणों के निमित्त तर्पण किया गया। ज्योत प्रज्जवलित कर आहुतियां प्रदान की गई। अमावस्या पर सूर्य, चंद्र और केतु की विशेष युति सिंह राशि में होने से यह योग पितरों की पूजा के लिए अत्यंत श्रेष्ठ माना गया है। ऐसे में शनिवार को बड़ी संख्या में तर्पण और पिंडदान का कार्य किया गया।
शनैश्चरी अमावस्या पर शनिवार को खेजड़ों का रास्ता, सिंधी कैंप के सामने, एम आई रोड स्थित शनिधाम, बापूनगर स्थित शनि मंदिर सहित सभी शनि मंदिरों में शाम के समय श्रद्धालुओं ने सरसो का तेल चढ़ाकर काली वस्तुओं का दान किया। जिन जातकों की साढ़ेसाती, ढैया, महादशा, अंतर्दशा या प्रत्यंतर दशा चल रही है उन्होंने विशेष अनुष्ठान किए।
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(Udaipur Kiran)
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