जयपुर, 11 अगस्त (Udaipur Kiran) । शहरभर में लगे सीसीटीवी कैमरों को पुलिस कमिश्नरेट स्थित अभय कमांड सेंटर से जोड़ा गया है, ताकि किसी भी अपराध के घटित होने पर उसके अनुसंधान और बदमाश की पहचान के लिए थाना पुलिस और आमजन को सबूत के तौर पर सीसीटीवी फुटेज मिल सके लेकिन यह सुविधा थाना पुलिस के लिए मददगार साबित नहीं हो पा रही है। इसके पीछे सीसीटीवी फुटेज देने के लिए अपनाए जाने वाली कानूनी प्रक्रिया है। अपनों से मदद नहीं मिलने की वजह से थाना पुलिस सीसीटीवी के लिए जेडीए के चक्कर काटने को मजबूर है। इस कारण जेडीए के कंट्रोल रूम में तैनात स्टाफ का वर्कलोड बढ़ रहा है और उन्हें अपना काम छोड़कर पुलिस और आमजन का काम करना पड़ता है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार शहरभर में जेडीए की ओर से बड़ी संख्या में कैमरे लगाए गए हैं। इन पर निगरानी के लिए जेडीए परिसर में ही कंट्रोल रूम बना हुआ है। इन कैमरों को एक फीड देकर अभय कमांड सेंटर से भी जोड़ा गया है, लेकिन अपराध होने की अवस्था में थाना पुलिस और पीडि़त सीसीटीवी फुटेज के लिए अभय कमांड सेंटर के बजाय जेडीए में पत्र लिखकर आवेदन करती है। यहां पर सीसीटीवी फुटेज एक सामान्य पत्र पर पुलिस को उपलब्ध करवा दिया जाता है। खास बात यह है कि अभय कमांड सेंटर से सीसीटीवी फुटेज लेने के लिए डीसीपी स्तर पर अनुमति लेने सहित कई कानूनी प्रक्रियाएं पूरी करनी पड़ती हैं। इन सबसे बचने लिए थाना पुलिस जेडीए के चक्कर काटती है। राजधानी में सुरक्षा के लिए पुलिस सहित अन्य संस्थाओं ने करीब 2000 से अधिक कैमरे लगा रखे है। जेडीए ने लगा रखे है 500 से अधिक सीसीटीवी कैमरे शहर में जेडीए ने करीब 500 से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगा रखे हो इन पर निगरानी जेडीए परिसर पर बने कंट्रोल रूम से की जा रही है। जेडीए द्वरा ये कैमरे शहर के प्रवेश और निवासी द्वार, पार्क, अस्पताल, रेलवे स्टेशन, मेट्रो स्टेशन, बस स्टैंड सहित कुछ अन्य स्थानें पर लगे हुए है। हाल ही जेडीए ने जेईसीआरसी में आयोजित एक कार्यक्रम के लिए सीतापुर से लेकर टोक रोड तक 50 से अधिक कैमरे लगाए थे। इनको भी जेडीए कंट्रोल रूम के साथ अभय कमांड सेंटर से जोड़ा गया है।
पुलिस नहीं करती मदद
डिफेंस कॉलोनी गुर्जर घाटी आमेर रोड निवासी राजेंद्र ने जवाहर सर्किल थाने में बाइक चोरी का मामला दर्ज करवाया। पुलिस ने मामला दर्ज करने के बाद कोई कार्रवाई नहीं की। जब थाने गया तो उसे सीसीटीवी फुटेज लाने को जेडीए भेज दिया। इस पर वह जेडीए सीसीटीवी फुटेज लेने आया है। उसकी बाइक जवाहर सर्किल के पास तोरण द्वार के पास पार्किंग से चोरी हुई है। घटना 26 जुलाई की है। पुलिस ने चोरी गई बाइक को ढूंढने में कोई मदद नहीं की। इस प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है पुलिस को सीसीटीवी कैमरों से शहर की निगरानी के लिए डीओआईटी द्वारा पूरा सेटअप तैयार किया गया है। पुलिस की निगरानी में बने अभय कमांड सेंटर का संचालन टाटा कम्पनी द्वारा किया जाता है। अपराध होने अवस्था में सीसीटीवी फुटेज प्राप्त करने के लिए सम्बधिंत थाना पुलिस को एक आवेदन पत्र भर कर देना होता है। उस पर सीसीटीवी फुटेज लेने के कारणों सहित अन्य जानकारी भरनी होती है। इस पर सम्बधिंत अधिकारी के साइन होते है। इसके बाद अभय कमांड सेंटर में तैनात उच्चाधिकारी से मंजूरी लेनी पड़ती है। इसके बाद अभय कमांड में कार्यरत कर्मचारी को आवेदन पत्र जमा करवाना होता है। इसके बाद सीसीटीवी फुटेज खोजा जाता है। इसके बाद कई प्रकार की अन्य परेशानियां शुरू हो जाती है। कई बार मेमेरी कम होने की वजह से तो कई बार अन्य दूसरे कारणों से सीसीटीवी फुटेज के लिए मना कर दिया जाता है। अभय कमांड सेंटर दिनभर में बड़ी संख्या में आवेदन आते है। इसके चलते सीसीटीवी फुटेज मिलने में देरी हो जाती है।
अभय कमांड सेंटर के एडिशनल डीसीपी रणवीर सिंह के अनुसार शहरभर में लगे सीसीटीवी अभय कमांड सेंटर से जुड़े हुए है, लेकिन अपराध होने की अवस्था में सम्बधिंत थाना पुलिस को सीसीटीवी फुटेज के लिए एक कानूनी प्रक्रिया पूरी करनी पड़ती है। उसके बिना सीसीटीवी फुटेज नहीं मिलता है। कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद एक से दो दिन में सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध करवा दिया जाता है। अगर अभय कमांड सेंटर में उसका सीसीटीवी फुटेज नहीं है तो यह बात भी लिखित में उपलब्ध कर दी जाती है। कानूनी प्रक्रिया से ही बचने के लिए पुलिस जेडीए चले जाते है वहां आसानी से फुटेज मिल जाती है।
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(Udaipur Kiran) / राजेश
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