पौड़ी गढ़वाल, 1 मई वनाग्नि के मुख्य कारक बायोमास पिरुल के संकलन व उसके प्रसंस्करण को लेकर जिला प्रशासन पौड़ी गढ़वाल द्वारा की गयी अनूठी पहल से एक ओर जहां वनाग्नि पर रोकथाम की आस जागी है, वहीं वनों के आस-पास की बस्तियों व सरकारी परिसम्पतियों को वनाग्नि के सम्भावित खतरों से बचाया जा सकेगा.
गत दिवस देर सायं जिलाधिकारी डॉ0 आशीष चौहान ने जिला स्तरीय अधिकारियों व कर्मचारियों के साथ जिला मुख्यालय के निकट रांसी मैदान के पास एक बार फिर पिरुल के संकलन अभियान चलाकर लगभग 270 किलो से अधिक पिरुल एकत्रित किया गया. जिलाधिकारी के दिशा-निर्देशन में पिरुल एकत्रीकरण को लेकर विकासखण्ड स्तर चलाये गये अभियानों में अब तक 75 कुन्तल से अधिक पिरुल एकत्रित किया जा चुका है.
जिलाधिकारी ने कहा कि विकासखण्ड नैनीडाण्डा के अन्तर्गत पिरुल एकत्रीकरण को लेकर सीएलएफ (क्लस्टर लेवल फेडरेशन) अच्छा कार्य कर रहे हैं, वे लगातार पिरुल एकत्र कर ब्रिकेटिंग यूनिट/प्लांट तक पहुंचा रहे हैं. उन्होंने कहा कि पिरुल उद्योगों के लिए बायोमास का एक अच्छा विकल्प हो सकता है. कहा कि पिरुल की व्यवस्थित करीके से प्रोसेसिंग कर ब्रिकेट तैयार करने के लिए सतपुली में एक बड़े प्लांट की स्थापना की जायेगी. एक आधुनिक व वृहद् स्तर के पिरुल प्रोसेसिंग प्लांट की स्थापना के लिए नैनीडाण्डा के सीएलएफ व बीडीओ को रिसोर्स पर्सन (विषय विशेषज्ञ) बनाया जा रहा है.
गौरतलब है कि थर्मल पावर उत्पादन प्लांट व फोर्ज का उपयोग करने वाले उद्योगों में कोयले के साथ 20 प्रतिशत मात्रा में बायोमास का उपयोग किया जाना आवश्यक है. इस दृष्टि से बायोमास ईंधन के रूप में पिरुल से बनी ब्रिकेट की सप्लाई स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर खोलने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी.
इस अवसर पर परियोजना निदेशक डीआरडीए विवेक कुमार उपाध्याय, जिला विकास अधिकारी मनविंदर कौर, मुख्य कृषि अधिकारी डॉ वीके यादव, मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी डॉ० विशाल शर्मा, जिला उद्यान अधिकारी राजेश तिवारी, जिला खनिकर्म अधिकारी राहुल नेगति, डीपीओ देवेंद्र थपलियाल, बीडीओ पौड़ी सौरभ हांडा आदि शामिल रहे.
/ कर्ण सिंह
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