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तख्तापलट के बाद नेपाल की नई पीएम Sushila ने कर दिया बड़ा ऐलान, Gen Z को बड़ा झटका

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नेपाल की सुशीला कार्की की अंतरिम सरकार ने प्रदर्शन में मारे गए लोगों के परिवारों के लिए आर्थिक मुआवज़े की घोषणा की है। सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक के बाद इस पर मुहर लगी। सरकार जनरेशन-ज़ी आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों के परिवारों को 15 लाख रुपये का मुआवज़ा देगी।

नेपाल के गृह एवं कानून मंत्री ओम प्रकाश आर्यल ने कहा कि प्रत्येक शहीद के परिवार को कुल 15 लाख रुपये का मुआवज़ा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसमें 10 लाख रुपये की प्रत्यक्ष आर्थिक सहायता और अंतिम संस्कार व रसद खर्च के लिए 5 लाख रुपये शामिल हैं।

सरकार द्वारा 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर विवादास्पद प्रतिबंध लगाने के बाद 8 और 9 सितंबर को शुरू हुए जनरेशन-ज़ी विरोध प्रदर्शन जल्द ही देशव्यापी अशांति में बदल गए। सेंसरशिप और भ्रष्टाचार के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया, जिसके कारण प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा। विरोध प्रदर्शनों में 72 लोग मारे गए, जिनमें 59 प्रदर्शनकारी, 10 कैदी और तीन पुलिस अधिकारी शामिल हैं, जबकि 1,300 से ज़्यादा लोग घायल हुए हैं। अब तक देश भर में 283 लोग अस्पताल में भर्ती हैं।

मंत्री आर्यल ने कहा कि मुआवज़ा वित्त मंत्रालय के माध्यम से वितरित किया जाएगा, जिसका समन्वय गृह मंत्रालय या संबंधित ज़िला प्रशासन कार्यालयों द्वारा किया जाएगा। वित्तीय सहायता के अलावा, सरकार सभी घायलों को मुफ़्त चिकित्सा उपचार प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि विरोध प्रदर्शनों के दौरान मारे गए लोगों के शवों को उनके गृहनगर पहुँचाने की व्यवस्था की जाएगी, जिसमें दूरदराज के इलाकों तक हेलीकॉप्टर सेवाएँ भी शामिल हैं। आर्यल ने कहा कि सरकार अंतिम संस्कार में भी सहायता करेगी।

जेन-ज़ी आंदोलन से पर्यटन क्षेत्र हिल गया है

नेपाल पर्यटन प्राधिकरण, होटल व्यवसायियों और ट्रेक आयोजकों ने कहा कि इस आंदोलन का पर्यटन क्षेत्र पर बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कहा कि पिछले साल की तुलना में इस समय पर्यटकों की संख्या में 30% की गिरावट आई है, जिसके कारण बुकिंग रद्द हो रही हैं।

उन्होंने कहा कि विदेशी पर्यटक आमतौर पर राजधानी काठमांडू से अपनी यात्रा शुरू करते हैं, लेकिन संसद और हिल्टन होटल में आग लगने की तस्वीरों के बाद, कई देशों ने नेपाल के लिए यात्रा परामर्श जारी किए हैं और उन्हें अनावश्यक यात्रा से बचने की सलाह दी है। इससे पर्यटकों का आगमन कम हो गया है। देश में सालाना 12 लाख पर्यटक आते हैं और यह क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 8% का योगदान देता है। सितंबर से दिसंबर तक का समय पर्यटन का सबसे व्यस्त मौसम माना जाता है।

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