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दुनिया का अनोखा मंदिर जहां जीवित हैं भगवान! जानें क्या है इसके पीछे का रहस्य

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भारत अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और प्राचीन मंदिरों के लिए विश्वप्रसिद्ध है। देश में कई ऐसे मंदिर हैं जो अपनी अद्भुत विशेषताओं के कारण न केवल देश में, बल्कि विदेशों में भी श्रद्धालुओं के बीच लोकप्रिय हैं। इनमें से एक विशेष और अनोखा मंदिर है तेलंगाना राज्य के वारंगल जिले के मल्लुरु में स्थित मल्लूर नरसिंह स्वामी मंदिर, जिसे हेमाचल नरसिंह स्वामी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

मल्लूर नरसिंह मंदिर की भौगोलिक और प्राकृतिक विशेषता

यह मंदिर मंगपेट मंडल के मल्लुर गांव में पहाड़ियों के बीच बसा हुआ है। मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को लगभग 120 से 150 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं, जो यात्रा को एक आध्यात्मिक अनुभव में बदल देती हैं। मंदिर चारों ओर से हरी-भरी प्राकृतिक सुंदरता से घिरा है, जो इसे ध्यान और शांति के लिए उपयुक्त स्थल बनाता है। पहाड़ियों की ठंडी हवा और शांत वातावरण भक्तों को मानसिक शांति और आध्यात्मिक आनंद प्रदान करता है।

भगवान नरसिंह की जीवित प्रतिमा

मल्लूर नरसिंह स्वामी मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यहां स्थापित भगवान नरसिंह की लगभग 10 फीट ऊंची प्रतिमा है, जिसे जीवित माना जाता है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, इस मूर्ति की आंखें, मुखमंडल और त्वचा बिल्कुल जीवित व्यक्ति जैसी लगती हैं। मूर्ति की त्वचा इतनी मुलायम होती है कि इसे दबाने पर त्वचा पर गड्ढा पड़ जाता है, जैसे असली इंसानी त्वचा पर होता है। यह चमत्कारिक विशेषता मंदिर को दुनिया के सबसे अनोखे मंदिरों में शामिल करती है। मंदिर का इतिहास लगभग 4776 साल पुराना है और इसे 6वीं शताब्दी से भी पहले का माना जाता है।

मंदिर की अद्भुत वास्तुकला

मल्लूर नरसिंह स्वामी मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तुकला की मिसाल है। मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार यानी गोपुरम बहुत ही भव्य और आकर्षक है। मंदिर की दीवारों पर देवी-देवताओं की कलात्मक मूर्तियां और पौराणिक कथाओं की नक्काशी देखी जा सकती है, जो इसे और भी मनोरम बनाती हैं। यह स्थापत्य कला मंदिर की शाश्वतता और धार्मिक महत्ता को दर्शाती है।

भव्य उत्सव: ब्रह्मोत्सवम

मल्लूर नरसिंह मंदिर में हर साल ब्रह्मोत्सवम नामक उत्सव का आयोजन होता है, जो श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक अवसर होता है। इस दौरान भगवान नरसिंह की मूर्ति को भव्य शोभायात्रा में मंदिर के बाहर निकाला जाता है। पूरे उत्सव में देशभर से हजारों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं और भगवान के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यह उत्सव न केवल धार्मिक महत्त्व रखता है, बल्कि मल्लूर नरसिंह स्वामी मंदिर को एक सांस्कृतिक केंद्र भी बनाता है, जहां भक्त आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव करते हैं।

आध्यात्मिक केंद्र और आस्था का प्रतीक

मल्लूर नरसिंह मंदिर सिर्फ एक पूजा स्थल नहीं है, बल्कि यह भक्तों के लिए आध्यात्मिक शांति, आस्था और विश्वास का प्रतीक है। यहां आने वाले श्रद्धालु भगवान नरसिंह की उपस्थिति को जीवित महसूस करते हैं और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। मंदिर की दिव्यता और प्राकृतिक सुंदरता मिलकर इसे एक अनोखा धार्मिक केंद्र बनाती हैं।

निष्कर्ष

मल्लूर नरसिंह स्वामी मंदिर अपनी जीवित प्रतिमा, अद्भुत वास्तुकला और आध्यात्मिक माहौल के कारण तेलंगाना का एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल बन चुका है। अगर आप आध्यात्मिक शांति और सांस्कृतिक समृद्धि का अनुभव करना चाहते हैं, तो इस मंदिर की यात्रा अवश्य करें। यहां की प्राकृतिक सुंदरता और भगवान नरसिंह की जीवंत प्रतिमा आपके मन को सुकून और आत्मा को ऊर्जा से भर देगी।

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