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आखिर क्यों इस देश में लकड़ी के बक्शे में बंद करके रखते हैं भगवान गणेश की मूर्ति, यह है वजह

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भारत में भगवान गणेश की पूजा बेहद खास मानी जाती है। हर घर, मंदिर और समारोह में उनकी मूर्ति की प्रतिष्ठा होती है। लेकिन क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि गणेश जी की मूर्तियों को अक्सर लकड़ी के बक्से में बंद करके रखा जाता है? यह सिर्फ एक परंपरा या सुरक्षा का उपाय नहीं है, इसके पीछे छुपा है एक गहरा धार्मिक और सांस्कृतिक कारण।

लकड़ी के बक्से में मूर्ति रखने की परंपरा क्यों?

गणेश जी की मूर्तियों को लकड़ी के बक्सों में रखने का सबसे बड़ा कारण है मूर्ति की सुरक्षा। गणेश जी की मूर्तियों का आकार और नाजुकता इस तरह की होती है कि वे टूट-फूट का शिकार हो सकती हैं। खासकर जब मूर्ति पूजा स्थल से किसी जगह पर ले जानी हो, तो उन्हें लकड़ी के मजबूत बक्सों में बंद करना जरूरी हो जाता है।

लेकिन इसका एक और आध्यात्मिक और धार्मिक कारण भी है।

धार्मिक दृष्टिकोण से इसका महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मूर्ति स्वयं में भगवान का स्वरूप होती है। इसे केवल पूजा के समय ही नहीं, बल्कि जब मूर्ति उपयोग में न हो, तब भी सम्मान देना जरूरी होता है। इसलिए, मूर्ति को लकड़ी के बक्से में बंद करके रखना, जैसे कि उसे ‘विश्राम’ दिलाना होता है। ऐसा माना जाता है कि जब मूर्ति बक्से में होती है, तो वह सुरक्षित रहती है और उसकी पवित्रता बनी रहती है।

मूर्ति की पवित्रता और संरक्षण

गणेश जी की मूर्ति को बाहरी तत्वों से बचाना बेहद जरूरी होता है। खासकर मिट्टी, पानी, हवा या धूप से उनकी मूर्ति को नुकसान हो सकता है। लकड़ी के बक्से न केवल मूर्ति को फिजिकल रूप से सुरक्षित रखते हैं, बल्कि उनकी पवित्रता और ऊर्जा को भी संरक्षित करते हैं।

पारंपरिक सोच और संस्कृति

भारतीय संस्कृति में मूर्ति पूजा के नियम और संस्कार बहुत ही सटीक होते हैं। मूर्ति को असम्मानित नहीं किया जा सकता। मूर्ति के साथ किसी भी प्रकार की लापरवाही या अपमान धार्मिक अपराध माना जाता है। इसलिए मूर्ति को लकड़ी के बक्से में रखने की परंपरा चली आ रही है ताकि वह सुरक्षित रहे और उसकी पूजा विधि का उल्लंघन न हो।

क्या बक्से का रंग या सजावट मायने रखती है?

हां, कई बार लकड़ी के बक्सों को पूजा के अनुरूप सजाया भी जाता है। बक्से पर धार्मिक चित्र, मंत्र या देवी-देवताओं के चित्र भी अंकित किए जाते हैं। इससे यह प्रतीक होता है कि यह सिर्फ एक साधारण बक्सा नहीं बल्कि भगवान की मूर्ति का पवित्र निवास है।

निष्कर्ष

तो अगली बार जब आप कहीं भगवान गणेश की मूर्ति को लकड़ी के बक्से में बंद होते देखें, तो समझ जाइए कि यह सिर्फ सुरक्षा का सवाल नहीं, बल्कि धार्मिक आस्था, सम्मान और परंपरा की एक अभिव्यक्ति है। लकड़ी के बक्से में बंद गणेश जी की मूर्ति न केवल उनके प्रति श्रद्धा दिखाती है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत को भी संजोती है।

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