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हर बुधवार पूजा के समय करे भगवान गणेश के महाशक्तिशाली स्तोत्र का पाठ, घर में होगा सुख-समृधि और शांति का वास

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भारत में सनातन परंपराओं और देवी-देवताओं की पूजा का विशेष महत्व है। इनमें भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देव माना गया है। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत श्रीगणेश के स्मरण और वंदन से की जाती है। माना जाता है कि भगवान गणेश विघ्नों का नाश करते हैं और भक्तों के जीवन में सुख, समृद्धि तथा सफलता का संचार करते हैं। विशेष रूप से बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित माना गया है। इस दिन उनकी विशेष पूजा-अर्चना और व्रत करने से जीवन में आ रही रुकावटें दूर होती हैं।लेकिन क्या आप जानते हैं कि केवल पूजा-अर्चना ही नहीं, बल्कि हर बुधवार को 'गणेश अष्टकम स्तोत्र' का पाठ करने से भी अनेक आध्यात्मिक और सांसारिक लाभ मिलते हैं? यह एक प्राचीन, प्रभावशाली और चमत्कारी स्तोत्र है, जो भगवान गणेश के आठ स्वरूपों की स्तुति करता है। शास्त्रों में कहा गया है कि यह स्तोत्र न केवल मन को शांति देता है, बल्कि घर में सकारात्मक ऊर्जा, समृद्धि और सौभाग्य भी लेकर आता है।


क्या है गणेश अष्टकम स्तोत्र?
‘गणेश अष्टकम स्तोत्र’ एक संस्कृत रचना है, जिसमें भगवान गणेश के आठ रूपों की स्तुति की गई है। इसे आदिशंकराचार्य द्वारा रचित माना जाता है। इस स्तोत्र का पाठ भक्तों द्वारा श्रद्धा और विश्वास से किया जाए, तो भगवान गणेश शीघ्र प्रसन्न होते हैं और जीवन में चल रही हर प्रकार की बाधा को दूर करते हैं।

पाठ का महत्व और शुभ समय
गणेश अष्टकम स्तोत्र का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन बुधवार के दिन इसका विशेष महत्व है। इस दिन सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनकर, भगवान गणेश की प्रतिमा के समक्ष दीप जलाकर और चंदन, दूर्वा व लड्डू चढ़ाकर स्तोत्र का पाठ करना शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि यह पाठ करने से—

घर में सुख-शांति का वातावरण बनता है
आर्थिक तंगी धीरे-धीरे दूर होने लगती है
पारिवारिक कलह और मानसिक तनाव कम होते हैं
विद्यार्थियों को पढ़ाई में सफलता मिलती है
नौकरी और व्यवसाय में आ रही बाधाएं दूर होती हैं

कैसे करें पाठ?
इस स्तोत्र का पाठ करने के लिए किसी विशेष नियम या विधि की आवश्यकता नहीं है, लेकिन पवित्र मन और स्थान जरूरी हैं। एकाग्रता के साथ शांत वातावरण में बैठकर इसका पाठ करना चाहिए। यदि आप संस्कृत श्लोकों का सही उच्चारण नहीं कर पाते हैं, तो इसका हिंदी अनुवाद भी पढ़ सकते हैं, क्योंकि भगवान भाव के भूखे होते हैं, शुद्ध उच्चारण के नहीं।

गणेश अष्टकम स्तोत्र – श्लोक (संक्षिप्त रूप)
सुमुखश्चैकदन्तश्च कपिलो गजकर्णकः।
लम्बोदरश्च विकटो विघ्ननाशो विनायकः॥
धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचन्द्रो गजाननः।
द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्यं यः पठेन्नरः॥
न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभुः॥

इसका अर्थ है— जो व्यक्ति भगवान गणेश के इन बारह नामों का प्रतिदिन तीनों संधियों (प्रातः, मध्यान्ह और सायं) में पाठ करता है, उसे कभी किसी विघ्न या संकट का भय नहीं रहता। वह सभी कार्यों में सफलता प्राप्त करता है।

वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में मानसिक शांति और आत्मिक संतुलन सबसे बड़ी जरूरत है। अध्यात्म और भक्ति ऐसे माध्यम हैं, जो व्यक्ति को आंतरिक शक्ति देते हैं। गणेश अष्टकम जैसे स्तोत्रों का नियमित पाठ न केवल मन को एकाग्र करता है, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा भी उत्पन्न करता है। कई मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि मंत्रों का उच्चारण मस्तिष्क को शांत करता है और तनाव को दूर करता है।

समाज में बढ़ती भक्ति परंपरा
वर्तमान समय में जब जीवन में अनिश्चितता और चिंता बढ़ती जा रही है, ऐसे में युवाओं से लेकर वरिष्ठ नागरिकों तक में भक्ति और आध्यात्मिकता की ओर झुकाव देखा जा रहा है। लोग अब न केवल मंदिरों में पूजा कर रहे हैं, बल्कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर भी भक्ति पाठ, मंत्र और स्तोत्रों को सुनना पसंद कर रहे हैं। ऐसे में गणेश अष्टकम स्तोत्र जैसे प्राचीन ग्रंथों का महत्व और भी बढ़ गया है।

निष्कर्ष
अगर आप चाहते हैं कि आपके घर में सदैव सुख-समृद्धि, शांति और शुभता का वास बना रहे, तो हर बुधवार को भगवान गणेश का ध्यान करते हुए ‘गणेश अष्टकम स्तोत्र’ का श्रद्धापूर्वक पाठ करें। यह न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि एक मानसिक साधना भी है, जो आपके जीवन को दिशा देने का कार्य कर सकती है। भगवान गणेश का आशीर्वाद सच्चे श्रद्धा से माँगा जाए, तो वह अवश्य प्राप्त होता है।

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