हिंदू धर्म में नवरात्रि के नौ दिन बेहद महत्वपूर्ण माने जाते हैं, जो देवी दुर्गा के नौ रूपों को समर्पित हैं। इस नौ दिवसीय उत्सव के दौरान, भक्त हर दिन देवी दुर्गा के एक अलग रूप की पूजा करते हैं और देवी माँ को प्रसन्न करने के लिए उनके पसंदीदा भोग अर्पित करते हैं। आज शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन है और इस दिन देवी दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा की जाती है। माँ चंद्रघंटा के माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसलिए उनका नाम चंद्रघंटा देवी है। आइए जानें कि नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा कैसे करें और उन्हें क्या भोग लगाना चाहिए।
नवरात्रि के तीसरे दिन किस रंग के वस्त्र पहनने चाहिए?
माँ चंद्रघंटा को लाल और पीला दोनों ही रंग प्रिय हैं। इसलिए, नवरात्रि के तीसरे दिन लाल वस्त्र पहनने चाहिए। नवरात्रि के तीसरे दिन पूजा के दौरान माँ चंद्रघंटा को लाल वस्त्र और फूल अर्पित किए जाते हैं।
नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा का मंत्र क्या है?
नवरात्रि के तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा का मंत्र "ॐ देवी चंद्रघंटाये नमः" है। नवरात्रि के तीसरे दिन पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप करने से देवी चंद्रघंटा भक्तों पर अपनी कृपा बरसाती हैं और उनकी मनोकामनाएँ पूरी करती हैं।
नवरात्रि के तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा को क्या भोग लगाना चाहिए?
नवरात्रि के तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा को दूध से बनी मिठाई और खीर का भोग लगाना चाहिए। उन्हें केसर वाली खीर विशेष प्रिय है। आप देवी चंद्रघंटा को लौंग, इलायची, सूखे मेवे, मिठाई या मिश्री भी चढ़ा सकते हैं।
देवी चंद्रघंटा को कौन सा फूल पसंद है?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शांति और पवित्रता का प्रतीक कमल का फूल नवरात्रि के तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा को अर्पित किया जाता है। देवी चंद्रघंटा को कमल का फूल बहुत प्रिय है।
नवरात्रि के तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा की पूजा कैसे करें?
ब्रह्म मुहूर्त में उठें: नवरात्रि के तीसरे दिन सूर्योदय से पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठें।
स्नान और स्वच्छ वस्त्र: स्नान के बाद, स्वच्छ, लाल या पीले वस्त्र पहनें।
पूजा स्थल की सफाई: पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और पुराने फूल हटा दें।
देवी माँ की स्थापना: फिर माँ चंद्रघंटा की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करें।
देवी का आह्वान: धूप और दीप जलाएँ, माँ चंद्रघंटा का आह्वान करें और उनका स्मरण करें।
सजावट: मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराएँ, रोली, चंदन, चावल और फूल चढ़ाएँ।
भोग: माँ चंद्रघंटा को दूध या शहद से बनी मिठाई का भोग लगाएँ।
मंत्र जाप: माँ चंद्रघंटा के मंत्र "ॐ देवी चंद्रघंटाये नमः" का जाप करें।
पाठ और आरती: दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और अंत में माँ की आरती करें।
प्रसाद वितरण: पूजा के बाद, परिवार और उपस्थित सभी लोगों को प्रसाद बाँटें।
माँ चंद्रघंटा की आरती
जय माँ चन्द्रघण्टा सुख धाम।पूर्ण कीजो मेरे काम
चन्द्र समाज तू शीतल दाती।चन्द्र तेज किरणों में समाती॥
मन की मालक मन भाती हो।चन्द्रघण्टा तुम वर दाती हो॥
सुन्दर भाव को लाने वाली।हर संकट में बचाने वाली॥
हर बुधवार को तुझे ध्याये।श्रद्धा सहित तो विनय सुनाए॥
मूर्ति चन्द्र आकार बनाए।सन्मुख घी की ज्योत जलाएं॥
शीश झुका कहे मन की बाता।पूर्ण आस करो जगत दाता॥
कांचीपुर स्थान तुम्हारा।कर्नाटिका में मान तुम्हारा॥
नाम तेरा रटू महारानी।भक्त की रक्षा करो भवानी॥
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