एक पुरानी कहावत है कि निरंतर अभ्यास से मूर्ख भी बुद्धिमान बन जाता है... इस कहावत को सच साबित कर दिखाया है सीआईएसएफ की महिला अधिकारी गीता समोता ने, जिन्होंने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया। गीता समोता माउंट एवरेस्ट पर विजय पाने वाली सीआईएसएफ की पहली महिला अधिकारी बन गई हैं। केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) की महिला उपनिरीक्षक गीता समोता ने असीम सहनशक्ति, अदम्य साहस और अटूट दृढ़ संकल्प का उदाहरण पेश करते हुए 8849 मीटर (29032 फुट) ऊंचे माउंट एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक चढ़ाई कर इतिहास रच दिया।
जब गीता विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर खड़ी हुई, तो वह क्षण न केवल एक व्यक्तिगत विजय बन गया, बल्कि सीआईएसएफ की ताकत और भारतीय राष्ट्र के असीम साहस का प्रतीक भी बन गया। राजस्थान के सीकर जिले के चक नामक एक छोटे से गांव से शुरू हुई गीता की प्रेरक यात्रा अदम्य साहस का परिणाम है, जिसने हर बाधा को पार करते हुए एक अजेय उपलब्धि को संभव बनाया।
राजस्थान के एक छोटे से गांव में जन्मे
आपको बता दें कि 4 बहनों वाले एक साधारण परिवार में जन्मी गीता समोता का पालन-पोषण राजस्थान के सीकर जिले के चक गांव में पारंपरिक ग्रामीण परिवेश में हुआ। उन्होंने अपनी स्कूल और कॉलेज की शिक्षा स्थानीय संस्थानों से पूरी की। बचपन से ही उन्होंने लड़कों की सफलता की बहुत सी कहानियाँ सुनी थीं, लेकिन जब लड़कियों की सफलता की बात आती थी तो उन्हें एक खालीपन महसूस होता था। गीता कहती हैं कि इस खालीपन ने उनमें अपनी पहचान बनाने का जुनून और इच्छा जगाई।
गीता को शुरू से ही खेलों में बहुत रुचि थी और कॉलेज के दिनों में वह एक होनहार हॉकी खिलाड़ी के रूप में जानी जाती थीं, लेकिन एक गंभीर चोट के कारण उनका खेल करियर खत्म हो गया। यह इतना बड़ा झटका था कि इसने अनजाने में ही उसे एक नई दिशा में मोड़ दिया। एक ऐसा रास्ता जहां उन्होंने न केवल खुद को खोजा बल्कि देश और शक्ति को भी गौरव दिलाया। वर्ष 2011 में गीता समोता केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) में शामिल हुईं।
इस तरह पर्वतारोहण की यात्रा शुरू हुई।
अपनी सेवा के प्रारंभिक वर्षों के दौरान गीता ने देखा कि पर्वतारोहण एक ऐसा क्षेत्र है जिसके बारे में सीआईएसएफ में बहुत कम लोग जानते हैं। उस समय तक सीआईएसएफ के पास कोई पर्वतारोहण दल भी नहीं था। गीता ने इस स्थिति को चुनौती के रूप में नहीं बल्कि अवसर के रूप में देखा। 2015 में उनकी सोच में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया, जब उन्हें औली में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस प्रशिक्षण संस्थान में 6 सप्ताह के बुनियादी पर्वतारोहण पाठ्यक्रम के लिए चुना गया। वह अपने बैच में एकमात्र महिला प्रतिभागी थीं।
प्रशिक्षण के दौरान उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन ने न केवल उनके आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प को मजबूत किया, बल्कि पर्वतारोहण के प्रति उनके जुनून और कौशल को भी नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उन्होंने 2017 में उन्नत पर्वतारोहण प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया और ऐसा करने वाली वह पहली और एकमात्र सीआईएसएफ कर्मी बनीं। यह कठोर प्रशिक्षण कार्यक्रम उनके भीतर छिपी पर्वतारोहण प्रतिभा को निखारने में महत्वपूर्ण साबित हुआ। उनके अटूट दृढ़ संकल्प ने 2019 में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की, जब वह उत्तराखंड में माउंट सत्पथ (7075 मीटर) और नेपाल में माउंट लोबुचे (6,119 मीटर) पर सफलतापूर्वक चढ़ने वाली केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की पहली महिला बनीं।
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