। बनारस संगीत घराने के सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र का 89 साल की उम्र में निधन हो गया। पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे पंडित मिश्र ने अपने अंतिम समय में भी राम धुन गुनगुनाई, और इस प्रकार संगीत के प्रति अपने जीवन भर के समर्पण का परिचय दिया।
संगीत जीवन और योगदानपंडित छन्नूलाल मिश्र भारतीय शास्त्रीय संगीत के उन कलाकारों में से थे, जिन्होंने हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों तक पहुँचाया। बनारस संगीत घराने से जुड़े पंडित मिश्र ने अपने जीवन में ठुमरी, भजन और खयाल गायकी में महारत हासिल की। उनके गायन की गहराई, भाव और शैली ने उन्हें संगीत प्रेमियों के बीच एक अद्वितीय स्थान दिलाया।
पंडित मिश्र ने अपने संगीत जीवन में कई छात्रों को प्रशिक्षित किया और अपने घराने की परंपरा को आगे बढ़ाया। उन्हें उनके योगदान के लिए पद्मविभूषण सहित कई राष्ट्रीय सम्मान से नवाजा गया।
पीएम मोदी ने जताया दुःखपंडित छन्नूलाल मिश्र के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शोक व्यक्त किया। उन्होंने अपनी श्रद्धांजलि में लिखा कि, “सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। उनके शिष्य और संगीत प्रेमी उनके संगीत की विरासत को आगे बढ़ाएंगे।”
अंतिम संस्कारपंडित छन्नूलाल मिश्र का अंतिम संस्कार वाराणसी में किया जाएगा। उनके अनुयायी, छात्र और संगीत प्रेमी उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त कर रहे हैं।
संगीत जगत की प्रतिक्रियासंगीतकारों और कला जगत ने उनके निधन पर दुःख व्यक्त किया है। कई कलाकारों ने सोशल मीडिया और सार्वजनिक मंचों पर उन्हें “हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत का अमूल्य खजाना” बताया। उनके गीत और गायन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बने रहेंगे।
निष्कर्षपंडित छन्नूलाल मिश्र का निधन केवल वाराणसी या उत्तर प्रदेश के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे भारतीय शास्त्रीय संगीत जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। उनका जीवन और योगदान दर्शाता है कि संगीत केवल कला ही नहीं, बल्कि समाज और संस्कृति का संवाहक भी है।
देशवासियों और संगीत प्रेमियों के लिए यह एक अवसर है कि वे पंडित मिश्र के संगीत और संस्कृति के प्रति समर्पण को याद करें और उनकी विरासत को हमेशा जीवित रखें।
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