जयपुर स्कूल समय परिवर्तन: राजस्थान में गर्मी ने तोड़े सारे रिकॉर्ड: इस वर्ष राजस्थान में गर्मी ने अप्रत्याशित रूप से बढ़ोतरी की है। अप्रैल में ही जून-जुलाई जैसी गर्मी ने लोगों को परेशान कर दिया है। तापमान में निरंतर वृद्धि और हीटवेव की चेतावनी के बीच, प्रशासन ने बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। जयपुर जिले के स्कूलों के समय में बदलाव किया गया है, ताकि छोटे बच्चों को दोपहर की तीव्र गर्मी से बचाया जा सके। यह नया नियम प्री-प्राइमरी से लेकर 8वीं कक्षा तक के छात्रों के लिए लागू होगा। आइए, इस बदलाव के पीछे की वजह और पूरी जानकारी पर नजर डालते हैं।
हीटवेव के प्रभाव: स्कूल समय में बदलाव
जयपुर के जिला कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट ने गर्मी के प्रभाव को देखते हुए स्कूलों के समय में बदलाव का आदेश जारी किया है। नए नियम के अनुसार, जयपुर के सभी सरकारी और निजी स्कूलों में प्री-प्राइमरी से 8वीं कक्षा तक की पढ़ाई अब सुबह 7:30 बजे से दोपहर 11:30 बजे तक होगी। यह बदलाव 22 अप्रैल 2025 से प्रभावी हो गया है। इस निर्णय का उद्देश्य छोटे बच्चों को दोपहर की चिलचिलाती धूप और हीटवेव के खतरों से बचाना है। पहले जैसलमेर और बाड़मेर में भी स्कूलों का समय बदला गया था, और अब जयपुर में भी यह कदम उठाया गया है।
कक्षा 9 से 12वीं के लिए समय में कोई बदलाव नहीं
जयपुर प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि यह नई टाइमिंग केवल प्री-प्राइमरी से 8वीं कक्षा तक के छात्रों पर लागू होगी। कक्षा 9 से 12वीं के छात्रों और स्कूल स्टाफ के लिए पुरानी टाइमिंग ही बरकरार रहेगी। इस निर्णय से छोटे बच्चों को गर्मी से राहत मिलेगी, जबकि बड़े छात्र अपनी पढ़ाई को सामान्य रूप से जारी रख सकेंगे। यह कदम अभिभावकों के लिए भी राहत की खबर है, जो अपने बच्चों की सेहत को लेकर चिंतित थे।
गर्मी का प्रकोप: बच्चों की सेहत को प्राथमिकता
राजस्थान में इस बार गर्मी ने अप्रैल में ही अपना प्रचंड रूप दिखाना शुरू कर दिया है। तापमान 40 डिग्री सेल्सियस को पार कर रहा है, और हीटवेव की चेतावनी ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। दोपहर के समय सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ है, और गर्म हवाओं ने लोगों को घरों में रहने को मजबूर कर दिया है। ऐसे में छोटे बच्चों को स्कूल भेजना अभिभावकों के लिए जोखिम भरा हो सकता है। जयपुर प्रशासन का यह निर्णय बच्चों की सेहत और सुरक्षा को ध्यान में रखकर लिया गया है, जो गर्मी से होने वाली बीमारियों जैसे डिहाइड्रेशन और हीटस्ट्रोक से बचाव में मदद करेगा।
नई टाइमिंग के साथ जिम्मेदारियों में वृद्धि
नई टाइमिंग के साथ अभिभावकों और स्कूल प्रबंधन की जिम्मेदारी भी बढ़ गई है। स्कूलों को यह सुनिश्चित करना होगा कि बच्चे सुबह जल्दी पहुंच सकें और दोपहर की गर्मी से पहले सुरक्षित घर लौट जाएं। अभिभावकों को बच्चों को पानी की बोतल, हल्के कपड़े और टोपी जैसी चीजें देने की सलाह दी जा रही है। इसके अलावा, स्कूलों में पंखे, कूलर और पीने के पानी की पर्याप्त व्यवस्था भी जरूरी है। यह सामूहिक प्रयास बच्चों को गर्मी के दुष्प्रभावों से बचाने में कारगर साबित होगा।
जलवायु परिवर्तन की ओर इशारा
जयपुर प्रशासन का यह कदम स्वागत योग्य है, लेकिन गर्मी की बढ़ती तीव्रता जलवायु परिवर्तन की ओर भी इशारा करती है। भविष्य में ऐसी परिस्थितियों से निपटने के लिए स्कूलों और प्रशासन को और दीर्घकालिक उपाय करने होंगे। बच्चों की शिक्षा और सेहत के बीच संतुलन बनाए रखना इस समय की सबसे बड़ी जरूरत है। जयपुर के इस निर्णय से अन्य शहरों को भी प्रेरणा मिल सकती है, जहां गर्मी का कहर बढ़ रहा है।
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