India Pakistan tension: सिंधु जल संधि विवाद पर विश्व बैंक ने पाकिस्तान को दिया बड़ा झटका, कहा- ‘हम कुछ नहीं कर सकते’
India Pakistan Tension: भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के बीच पाकिस्तान को एक और बड़ा झटका लगा है। सिंधु जल संधि को लेकर उठे विवाद में विश्व बैंक ने साफ कहा है कि वह भारत को इस मामले में अपना फैसला बदलने के लिए मजबूर नहीं कर सकता। इस बयान से पाकिस्तान की उम्मीदों को बड़ा झटका लगा है, जो इस विवाद को विश्व बैंक में ले जाने की तैयारी कर रहा था।
पहलगाम हमले के बाद भारत ने इस संधि को निलंबित कर दिया
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में 26 लोग मारे गए। यह खुलासा हुआ कि इस हमले का संबंध पाकिस्तान से था। इस घटना के बाद भारत ने 1960 में पाकिस्तान के साथ हस्ताक्षरित सिंधु जल संधि को निलंबित करने का निर्णय लिया। भारत ने पाकिस्तान के साथ अटारी-वाघा सीमा को भी बंद कर दिया, पाकिस्तान के शीर्ष राजनयिकों को देश से निष्कासित कर दिया तथा पाकिस्तानी नागरिकों को जारी सभी अल्पकालिक वीज़ा रद्द कर दिए।
भारत के निर्णय का विरोध करते हुए पाकिस्तान ने दावा किया कि भारत एकतरफा ढंग से इस संधि को रद्द नहीं कर सकता। पाकिस्तान ने यह भी कहा कि चूंकि यह संधि विश्व बैंक द्वारा की गई है, इसलिए वह इस मामले पर विश्व बैंक से संपर्क करेगा। हालाँकि, विश्व बैंक ने पाकिस्तान की इन उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।
विश्व बैंक का स्पष्ट बयान
विश्व बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा ने गुरुवार को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की। इस बैठक के बाद उन्होंने सीएनबीसी-टीवी18 से बातचीत में स्पष्ट किया कि, “सिंधु जल संधि दो देशों के बीच एक समझौता है। अगर दोनों देशों के बीच कोई विवाद होता है तो विश्व बैंक की भूमिका निष्पक्ष विशेषज्ञ या मध्यस्थ की व्यवस्था करने तक सीमित है। इसके लिए हम विशेषज्ञों या मध्यस्थों की फीस एक ट्रस्ट फंड से देते हैं, जो संधि के समय बैंक में रखा गया था। इसके अलावा हमारी कोई भूमिका नहीं है।”
इसके अलावा, प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) ने बंगा के हवाले से कहा, “मीडिया में इस बात को लेकर काफी अटकलें लगाई जा रही हैं कि विश्व बैंक इस समस्या का समाधान कैसे करेगा, लेकिन यह सब व्यर्थ है। विश्व बैंक की भूमिका केवल एक सुविधादाता की है।”
India Pakistan Tension: पाकिस्तान की योजना विफल
पिछले महीने के अंत में पाकिस्तान ने घोषणा की थी कि वह भारत के “एकतरफा और अवैध” निर्णय को पलटने के लिए विश्व बैंक से संपर्क करेगा। पाकिस्तानी विशेषज्ञों का मानना था कि विश्व बैंक भारत पर दबाव डाल सकता है। हालाँकि, विश्व बैंक के एक हालिया बयान ने पाकिस्तान की योजना पर संदेह पैदा कर दिया है।
भारत का आरोप: पाकिस्तान ने संधि का उल्लंघन किया
भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने गुरुवार को एक प्रेस वार्ता में कहा, “पाकिस्तान कई वर्षों से लगातार बाधाएं खड़ी कर रहा है, जिसके कारण भारत को सिंधु जल संधि को निलंबित करने के लिए मजबूर होना पड़ा। हमने संधि में संशोधन के लिए बातचीत का अनुरोध करते हुए पाकिस्तान को कई पत्र लिखे थे। भारत ने 60 से अधिक वर्षों से इस संधि का पालन किया है, लेकिन पाकिस्तान ने इसका उल्लंघन किया है। वह जानबूझकर पश्चिमी नदियों पर भारत के वैध अधिकारों के प्रयोग में बाधा डाल रहा है।”
सिंधु जल संधि क्या है?
विश्व बैंक की मध्यस्थता में 19 सितम्बर 1960 को भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि संपन्न हुई थी। भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अयूब खान ने कराची, पाकिस्तान में इस संधि पर हस्ताक्षर किए। इस संधि के तहत सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों – रावी, व्यास, सतलुज, झेलम, चिनाब और काबुल के जल के बंटवारे पर समझौता हुआ।
संधि के अनुसार, भारत को पूर्वी नदियों – रावी, ब्यास और सतलुज के पानी का बिना किसी प्रतिबंध के उपयोग करने की अनुमति दी गई, जबकि पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों – सिंधु, चिनाब और झेलम के पानी का उपयोग करने का अधिकार मिला।
विश्व बैंक के इस बयान के बाद पाकिस्तान की स्थिति और कमजोर हो गई है। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि उसने ये सख्त कदम पाकिस्तान की आतंकवादी गतिविधियों और संधि उल्लंघनों के कारण उठाए हैं। अब देखना यह है कि इस मामले में पाकिस्तान का अगला कदम क्या होगा।
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