News India Live, Digital Desk : उत्तर प्रदेश में एक बार फिर पुरानी भर्तियों का जिन्न बोतल से बाहर आ गया है। समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) के चेयरमैन रहे अनिल कुमार यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार और धांधली के गंभीर आरोपों में FIR दर्ज की गई है। अनिल यादव को तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का बेहद करीबी माना जाता था और उनका कार्यकाल भर्तियों में जातिवाद और भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर हमेशा विवादों में रहा।अब विजिलेंस (सतर्कता विभाग) ने उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति और भ्रष्टाचार के मामले में केस दर्ज किया है, जिससे पुरानी भर्तियों की फाइलों का दोबारा खुलना तय माना जा रहा है।क्या हैं अनिल यादव पर लगे आरोप?अनिल यादव पर लगे आरोप बेहद संगीन हैं। विजिलेंस जांच में उनके खिलाफ कई सबूत मिले हैं, जिनके आधार पर यह कार्रवाई की गई है:आय से अधिक संपत्ति: जांच में पाया गया कि चेयरमैन रहते हुए उन्होंने अपनी आय से कई गुना ज़्यादा संपत्ति बनाई। यह संपत्ति उनके और उनके परिवार के सदस्यों के नाम पर है, जिसका वे कोई पुख्ता हिसाब नहीं दे पाए।भर्तियों में धांधली और भ्रष्टाचार: अनिल यादव का कार्यकाल UPPSC के सबसे विवादित दौरों में से एक माना जाता है। उन पर आरोप है कि उन्होंने पीसीएस (PCS) समेत कई बड़ी भर्तियों में धांधली की, अपात्र लोगों को नौकरी दी और योग्य उम्मीदवारों को बाहर का रास्ता दिखा दिया।जाति विशेष को फायदा पहुंचाना: उन पर यह भी आरोप है कि उन्होंने एक जाति विशेष के उम्मीदवारों को भर्तियों में जमकर फायदा पहुंचाया, जिसके चलते परिणामों पर भी गंभीर सवाल उठे थे।पत्नी को लाभ पहुंचाना: अनिल यादव पर अपनी पत्नी को भी गलत तरीके से लाभ पहुंचाने का आरोप है। उनकी पत्नी गैर-सरकारी संस्था (NGO) चलाती थीं, और आरोप है कि चेयरमैन पद का दुरुपयोग करते हुए उन्होंने इस NGO को फायदा पहुंचाया।कौन हैं अनिल कुमार यादव?अनिल यादव की नियुक्ति समाजवादी पार्टी की सरकार में हुई थी और वे अखिलेश यादव के बेहद भरोसेमंद माने जाते थे। उनके चेयरमैन बनने के बाद से ही UPPSC की लगभग हर भर्ती परीक्षा विवादों में रही, सड़कों पर प्रदर्शन हुए और मामले कोर्ट तक पहुंचे। पीसीएस परीक्षा 2011 में हुई कथित धांधली को लेकर वे सबसे ज़्यादा चर्चा में आए थे, जिसकी जांच अब सीबीआई कर रही है।बीजेपी सरकार आने के बाद से ही अनिल यादव के कार्यकाल की भर्तियों की जांच चल रही थी। अब विजिलेंस की इस FIR के बाद उनकी मुश्किलें बढ़ना तय माना जा रहा है। इस कार्रवाई ने उन हजारों योग्य उम्मीदवारों की उम्मीदों को फिर से जगा दिया है, जो धांधली की वजह से नौकरी पाने से वंचित रह गए थे।
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