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चीनी J-10C से टकराने वाले राफेल पर भारत को पूरा भरोसा, फ्रांस से होगा अरबों डॉलर का सौदा? F-35, SU-57 का पत्ता साफ!

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पेरिस: भारत में लबे समय से बहस चल रही है कि क्या भारतीय वायुसेना के लिए पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान खरीदना चाहिए? क्या भारत को अमेरिकी एफ-35 या फिर रूसी एसयू-57 पर दांव लगाना चाहिए, या फिर भारत को फ्रांस से राफेल लड़ाकू विमान ही खरीदना चाहिए। भारतीय वायुसेना इस वक्त लड़ाकू विमानों की घटती संख्या से जूझ रही है। भारत के पास 42 की जगह सिर्फ 31 स्क्वार्डर्न ही हैं। ऐसे में लड़ाकू विमानों की संख्या बढ़ाने के लिए भारत MRFA (मल्टी रोल फाइटर एयरक्राफ्ट) प्रोग्राम पर काम कर रहा है। इस प्रोग्राम के तहत 114 एडवांस फाइटर जेट खरीदे जाने हैं। ऐसा करने से भारत के पास 6 नये स्क्वार्डर्न आ जाएंगे।



इस बीच यूक्रेन की सरकारी UNITED24 मीडिया की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत ने अब फ्रांस से ही 114 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने की योजना बनाई है। फ्रांस की सरकार के साथ बहुत जल्द भारत का सौदा होने वाला है। दावा किया गया है कि ये सौदा सरकार-से-सरकार स्तर पर की जाएगी, जिसके तहत आधे से ज्यादा राफेल फाइटर जेट का निर्माण भारत में मेक 'इन इंडिया' प्रोग्राम के तहत किया जाएगा। राफेल बनाने वाली फ्रांसीसी कंपनी डसॉल्ट एविएशन पहले ही भारत में प्रोडक्शन लाइन बनाने के लिए टाटा ग्रुप के साथ समझौता कर चुकी है।



फ्रांस से 114 राफेल खरीदेगा भारत!

सूत्रों के हवाले से दावा किया गया है कि भारत सरकार और वायुसेना ने फ्रांस के डसॉल्ट एविएशन से सीधे और 114 राफेल विमान खरीदने का मन बना लिया है। यह कदम भारत की तात्कालिक सामरिक जरूरतों को देखते हुए लिया जा रहा है, क्योंकि पुराने MiG-21 विमानों की विदाई के बाद वायुसेना की स्क्वाड्रन संख्या 31 से घटकर सिर्फ 29 रह जाएगी। कई देशों की डिफेंस कंपनियों की नजर भारत के MRFA प्रोग्राम पर थी। वो MRFA टेंडर का इंतजार कर रही थीं, जिनमें स्वीडिश कंपनी SAAB, अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन (एफ-21, एफ-15EX, एफ-35) रूस (एसयू-57) और दक्षिण कोरिया की भी एक कंपनी शामिल थी। लेकिन अगर भारत सीधे फ्रांस सरकार से डील करता है तो इन कंपनियों को बड़ा झटका लगेगा।



सबसे बड़ा झटका Su-57 को लगा है, जिसे बनाने वाली रूसी कंपनी ने टेक्नोलॉजी ट्रांसफर, मेक इन इंडिया निर्माण और सोर्स कोड तक भारत को देने की बात कही थी। लेकिन अब इसे पूरी तरह से किनारे कर दिए जाने का दावा किया गया है। हालांकि हम इसकी पुष्टि नहीं कर सकते हैं। लेकिन ऐसा करना भारत की रक्षा खरीद में रूस पर घटती निर्भरता को भी दर्शाता है। बीते कुछ वर्षों में भारत ने कामोव हेलिकॉप्टर और सुखोई लड़ाकू विमान प्रोजेक्ट से भी दूरी बना चुका है। रूस ने भारत को यहां तक ऑफर दिया था कि अगर भारत सरकार तैयार होती है तो इसी साल से एसयू-57 का प्रोडक्शन शुरू हो सकता है। लेकिन भारत की तरफ कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।



राफेल पर क्यों है भारतीय वायुसेना को भरोसा?

राफेल लड़ाकू विमान भारतीय वायुसेमा के लिए काफी भरोसेंमंद रहा है। साल 2016 में भारत ने 36 राफेल जेट की खरीद 7.8 अरब यूरो में की फ्रांस के साथ डील की थी। फिर अप्रैल 2025 में 26 नौसैनिक राफेल-M विमानों का सौदा 6.6 अरब यूरो में किया। इन सौदों के बाद भारत ने राफेल के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा, हथियार और पायलट प्रशिक्षण में निवेश कर लिया है। साथ ही, टाटा ग्रुप अब राफेल के फ्यूजलेज असेंबल कर रहा है, जिससे भारत को लोकल प्रोडक्शन और सप्लाई चेन में भी लाभ मिल रहा है। इसीलिए भारत एक बार फिर फ्रांसीसी लड़ाकू विमान में भरोसा दिखा सकता है।

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