नई दिल्ली: काफी मिडिल क्लास लोगों की समस्या होती है कि उनकी सैलरी ज्यादा नहीं है। इसलिए वे वैसे बचा नहीं पाते हैं। लेकिन एक एक्सपर्ट में मिडिल क्लास की आदतों पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। एक्सपर्ट का कहना है कि भारत का मिडिल क्लास कम कमाई की वजह से नहीं, बल्कि पैसों की गलत आदतों की वजह से फंसा हुआ है।
डाइम (Dime) की फाउंडर चंद्रलेखा एमआर ने यह बात लिंक्डइन पर कही है। उन्होंने अपनी पोस्ट ऐसी चार ऐसी आदतों के बारे में बताया है जो चुपके से भारतीय मिडिल क्लास को ना सिर्फ गुजारा करने के चक्र में फंसाए रखती हैं, बल्कि आर्थिक तरक्की के रास्ते पर ले जाने से भी रोकती है। उन्होंने लिखा है कि भारत का मिडिल क्लास कड़ी मेहनत करता है, ठीक-ठाक कमाता है, और फिर भी पैसे बनाने के लिए संघर्ष करता है। यह कमाई की कमी की वजह से नहीं, बल्कि वित्तीय ढांचे की कमी की वजह से है।
सैलरी आते ही हो जाती है खर्चआम तौर पर क्या होता है? सैलरी आती है, बिल और ईएमआई में चली जाती है। और अगर कुछ बचता है तो उसे बचा लिया जाता है। उन्होंने कहा कि यह वित्तीय योजना नहीं है। यह वित्तीय अस्तित्व है। चंद्रलेखा का तर्क है कि पैसों की ज्यादातर समस्याएं गणित की नहीं, बल्कि व्यवहार की होती हैं।
इन 4 आदतों का किया जिक्रचंद्रलेखा ने अपनी पोस्ट में मिडिल क्लास की खर्च से जुड़ी 4 प्रमुख आदतों का जिक्र किया है। ये इस प्रकार हैं:
1. कर्ज को सामान्य बनाना: चंद्रलेखा का कहना है कि क्रेडिट कार्ड और ईएमआई तरक्की के निशान बन गए हैं, खतरे की घंटी नहीं।
2. इमरजेंसी फंड न बनाना: चंद्रलेखा ने अपनी पोस्ट में इमरजेंसी फंड का भी जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि अगर इमरजेंसी फंड नहीं है, तो एक अचानक आया खर्च आपकी सालों की मेहनत पर पानी फेर सकता है।
3. स्टेटस के लिए खरीदना: वह कहती है कि घर, कार और गैजेट्स अक्सर उतनी तेजी से क्रेडिट पर खरीदे जाते हैं जितनी तेजी से कमाए नहीं जाते। यानी इन चीजों को खरीदना स्टेटस बन गया है। जबकि सैलरी उतनी नहीं होती।
4. अनियमित निवेश: प्लान के बजाय ट्रेंड्स को फॉलो करने से कंपाउंडिंग (पैसों का बढ़ना) खराब होता है और घबराहट में बिकवाली हो जाती है। यानी चंद्रलेखा का कहना है कि पैसा ऐसी निवेश करना जरूरी है जहां उसकी वैल्यू बढ़ती हो।
अमीर लोगों के प्लान का किया जिक्रचंद्रलेखा ने अपनी पोस्ट में अमीर लोगों के प्लान का जिक्र किया है। उन्होंने बताया कि अमीर लोग एक ढांचे का पालन करके ज्यादा कमाते हैं। वह पहले वित्तीय सुरक्षा को महत्व देते हैं। इसके बाद वे स्थिरता और फिर आजादी चाहते हैं। इसका मतलब है खर्च करने से पहले बचाना, सोच-समझकर कर्ज चुकाना और लगातार निवेश सुनिश्चित करने के लिए ऑटोमेटेड निवेश करना।
डाइम (Dime) की फाउंडर चंद्रलेखा एमआर ने यह बात लिंक्डइन पर कही है। उन्होंने अपनी पोस्ट ऐसी चार ऐसी आदतों के बारे में बताया है जो चुपके से भारतीय मिडिल क्लास को ना सिर्फ गुजारा करने के चक्र में फंसाए रखती हैं, बल्कि आर्थिक तरक्की के रास्ते पर ले जाने से भी रोकती है। उन्होंने लिखा है कि भारत का मिडिल क्लास कड़ी मेहनत करता है, ठीक-ठाक कमाता है, और फिर भी पैसे बनाने के लिए संघर्ष करता है। यह कमाई की कमी की वजह से नहीं, बल्कि वित्तीय ढांचे की कमी की वजह से है।
सैलरी आते ही हो जाती है खर्चआम तौर पर क्या होता है? सैलरी आती है, बिल और ईएमआई में चली जाती है। और अगर कुछ बचता है तो उसे बचा लिया जाता है। उन्होंने कहा कि यह वित्तीय योजना नहीं है। यह वित्तीय अस्तित्व है। चंद्रलेखा का तर्क है कि पैसों की ज्यादातर समस्याएं गणित की नहीं, बल्कि व्यवहार की होती हैं।
इन 4 आदतों का किया जिक्रचंद्रलेखा ने अपनी पोस्ट में मिडिल क्लास की खर्च से जुड़ी 4 प्रमुख आदतों का जिक्र किया है। ये इस प्रकार हैं:
1. कर्ज को सामान्य बनाना: चंद्रलेखा का कहना है कि क्रेडिट कार्ड और ईएमआई तरक्की के निशान बन गए हैं, खतरे की घंटी नहीं।
2. इमरजेंसी फंड न बनाना: चंद्रलेखा ने अपनी पोस्ट में इमरजेंसी फंड का भी जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि अगर इमरजेंसी फंड नहीं है, तो एक अचानक आया खर्च आपकी सालों की मेहनत पर पानी फेर सकता है।
3. स्टेटस के लिए खरीदना: वह कहती है कि घर, कार और गैजेट्स अक्सर उतनी तेजी से क्रेडिट पर खरीदे जाते हैं जितनी तेजी से कमाए नहीं जाते। यानी इन चीजों को खरीदना स्टेटस बन गया है। जबकि सैलरी उतनी नहीं होती।
4. अनियमित निवेश: प्लान के बजाय ट्रेंड्स को फॉलो करने से कंपाउंडिंग (पैसों का बढ़ना) खराब होता है और घबराहट में बिकवाली हो जाती है। यानी चंद्रलेखा का कहना है कि पैसा ऐसी निवेश करना जरूरी है जहां उसकी वैल्यू बढ़ती हो।
अमीर लोगों के प्लान का किया जिक्रचंद्रलेखा ने अपनी पोस्ट में अमीर लोगों के प्लान का जिक्र किया है। उन्होंने बताया कि अमीर लोग एक ढांचे का पालन करके ज्यादा कमाते हैं। वह पहले वित्तीय सुरक्षा को महत्व देते हैं। इसके बाद वे स्थिरता और फिर आजादी चाहते हैं। इसका मतलब है खर्च करने से पहले बचाना, सोच-समझकर कर्ज चुकाना और लगातार निवेश सुनिश्चित करने के लिए ऑटोमेटेड निवेश करना।
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