लखनऊ: राजधानी लखनऊ के ठाकुरगंज के बालागंज स्थित समनान गार्डन के मुहल्ले से सोमवार शाम तीन युवकों के एकसाथ जनाजे उठते ही पूरे इलाके में मातम छा गया। गलियों में स्थानीय लोगों का जमावड़ा लगा रहा। युवकों के परिवारीजनों को रोता-बिलखता देख वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंख नम हो गई। परिवारीजनों ने शवों को कैंपबेल रोड असियामऊ कब्रिस्तान में सुपुर्द ए खाक किया।ठाकुरगंज बालागंज समनान गार्डन निवासी एजाज (16), हमजा (18), समी (18) स्थानीय निवासी आफताब, आरिफ और रहमान के साथ रविवार दोपहर बाद मड़ियांव घैला पुल के पास गोमती नदी में नहाने गए थे। नहाते समय नदी में खिलवाड़ करने के दौरान एजाज, हमजा और समी नदी की गहराई वाले क्षेत्र में पहुंच गए। तीनों नदी में डूब गए थे। सूचना पर पहुंची मड़ियांव पुलिस ने गोताखोरों की मदद से करीब तीन घंटे बाद तीनों युवकों को नदी से निकाला, लेकिन तब तक तीनों की मौत हो चुकी थी। सोमवार दोपहर बाद पोस्टमॉर्टम होने के बाद तीनों युवकों के शवों को परिवारीजनों के सुपुर्द कर दिया गया। परिवारीजन करीब डेढ़ बजे शवों को लेकर घर पहुंचे तो गलियों में स्थानीय लोग पहले से मौजूद थे। एक के बाद एक तीनों शवों को आता देख इलाके में सन्नाटा पसर गया। युवकों के घर के आसपास भारी भीड़ जुटी हुई थी। शव देखकर परिवारीजन विलाप करने लगे तो वहां मौजूद लोगों की आंखें भी नम हो गईं। शाम करीब पांच बजे दो सौ मीटर की दूरी पर स्थित घरों से तीनों शवों का जनाजा निकला तो तीन जनाजे देख वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंख नम हो गई। परिवारीजनों ने कैंपबेल रोड पर स्थित असियामऊ कब्रिस्तान में तीनों को सुपुर्द ए खाक कर दिया गया। वॉटर पार्क जाने की बात कह कर निकला था शमीशमी के पिता अकील सआदतगंज में एक दुकान में काम करते हैं। बड़े भाई अजहर ने बताया कि शमी बालागंज इलाके में स्थित एक टाइल्स की दुकान में काम करता था। रविवार को छुट्टी होने पर शमी घर पर ही था। दोपहर बाद करीब 2 बजे वह मां शबीना और भाई अफजल से वॉटर पार्क जाने की बात कह कर घर से निकला था। करीब साढ़े तीन बजे ताऊ के बेटे सुल्तान ने मां को हादसे की जानकारी दी थी। हमजा को भाई बनाना चाहता था दारोगाहमजा के पिता मो. इब्राहिम और मां शकीला बानो का सात साल पहले निधन हो गया था। घर में वह तीन भाई यासीन, तल्हा, ताहा और बहन अल्फिशा के साथ रहता था। भाई ताहा ने बताया कि हमजा की कद-काठी अच्छी थी। ताहा उसको पढ़ा कर दारोगा बनाना चाहता था। अभी हाल में इंटरमीडिएट का रिजल्ट आया था। हमजा 60 प्रतिशत अंकों से पास हुआ था। बीए में एडमिशन करवाने के लिए भाई ताहा ने राजाजीपुरम इलाके में स्थित एक निजी कॉलेज का बीए का फॉर्म हमजा को खरीदकर दिया था। पिता के बीमार होने पर छोड़ दी थी पढ़ाईएजाज के पिता रईस अहमद पहले फेरी लगाकर बर्तन बेचते थे। बीमार होने के बाद से वह घर पर ही रहते हैं। एजाज ने पांचवीं तक पढ़ाई की थी, पिता के बीमार होने पर उसने पढ़ाई छोड़ दी। वह पीवीसी पैनल लगाने का काम करता था। पिता ने बताया कि रविवार को बुद्धेश्वर में चल रही साइट पर एजाज गया था। लाइट न आने पर वह लौट आया था। घर में मां गुड्डी बानो, भाई नदीम, नाजिम, अयान और आरुष थे। दोपहर बाद करीब 2 बजे वह गली में बैठा था। शमी की स्कूटी से वह घर में किसी को बताए बिना चला गया था।
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