नई दिल्ली: क्या दुनिया में एक बार फिर परमाणु हथियारों की होड़ तेज होने जा रही? जिस तरह से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने न्यूक्लियर टेस्ट का ऐलान किया, उससे पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया है। कई देश ट्रंप के इन दावों को लेकर अलर्ट मोड पर आ गए हैं। हालांकि, भारत की बात करें तो देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस पर बहुत सधा जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि भारत सही समय पर सही फैसला लेगा। न्यूक्लियर हथियारों को लेकर जिस तरह से घमासान शुरू हुआ ऐसे में ये जानना जरूरी है कि परमाणु हथियारों की टेस्टिंग में किन बातों का ध्यान रखा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि परमाणु बम बेहद खतरनाक हाथों होते, जरा सी चूक से शहर के शहर साफ हो सकते हैं। ऐसे में जानिए परमाणु परीक्षण कैसे किए जाते हैं।
बेहद खतरनाक होते हैं परमाणु बम
परमाणु बम अब तक बनाए गए सबसे विनाशकारी और अमानवीय हथियार हैं। इनसे होने वाली तबाही का अंदाजा लगाना बेहद मुश्किल है। परमाणु बम से पूरा शहर तबाह हो सकता है। इसका पता जापान के हिरोशिमा-नागासाकी की स्थिति देखकर समझा जा सकता है। जहां 1945 में अमेरिका ने परमाणु हथियारों से अटैक किए थे। इस घटना ने पूरी मानव जाति को झकझोर के रख दिया था। ऐसे में एक बार फिर परमाणु बमों को लेकर शुरू हुई कवायद ने नई चर्चा छेड़ दी है।
परमाणु बमों का परीक्षण कैसे होता है
किसी बड़े शहर पर गिराया गया एक भी परमाणु बम लाखों लोगों की जान ले सकता है। दसियों या सैकड़ों परमाणु बमों के इस्तेमाल से वैश्विक जलवायु में उथल-पुथल मच जाएगी और व्यापक अकाल पड़ सकता है। ऐसे में जब परमाणु बम का परीक्षण होता है तो बहुत सावधानी बरतनी होती है। ये बेहद जटिल प्रक्रिया है। इन परीक्षणों को आबादी वाली जगहों से दूर किया जाता है, जिससे लोगों पर इससे निकलने वाली रेडिएशन का असर नहीं पड़े।
न्यूक्लियर टेस्ट में इन 5 बातों का रखते हैं ध्यान
1. परमाणु परीक्षण के लिए खास जगहों का चुनाव किया जाता है। ये जगहें अक्सर रेगिस्तान या टापू जैसी सुनसान और भूवैज्ञानिक रूप से उपयुक्त होती हैं।
2. परमाणु बम का परीक्षण जमीन के नीचे, पानी के अंदर और वायुमंडल में काफी ऊपर किया जाता है। परीक्षण से पहले परमाणु हथियार को एक विशेष रूप से तैयार किए गए केबिन में रखा जाता है।
3. जमीन के नीचे परीक्षणों में, बम को एक गहरी खुदी हुई सुरंग या छेद में विस्फोटित किया जाता है। इसे सील कर दिया जाता है ताकि धमाका अंदर ही रहे और रेडियोधर्मी धूल बाहर न फैले। पानी के अंदर परीक्षण नौसैनिक ठिकानों पर इसके असर को देखने के लिए किए जाते थे।
4. वायुमंडल में परीक्षण टावरों, हवाई जहाजों या गुब्बारों से किए जाते थे, जिससे काफी रेडियोधर्मी धूल फैलती थी। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि तुरंत होने वाले नुकसान को कम किया जा सके।
5. सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए परमाणु हथियारों को काफी दूर से ही ब्लास्ट किया जाता है। यह एक सतह पर बने नियंत्रण बंकर से किया जाता है। इस दौरान, भूकंपीय गतिविधि, विकिरण और विस्फोट के अन्य प्रभावों पर डेटा इकट्ठा करने के लिए बहुत सारे निगरानी उपकरण लगाए जाते हैं।
क्यों खतरनाक माने जाते हैं परमाणु हथियार
यहां ये भी जानना जरूरी है कि परमाणु परीक्षणों के गंभीर पर्यावरणीय और स्वास्थ्य परिणाम हो सकते हैं। इन परीक्षणों से निकलने वाला रेडियोधर्मी विकिरण लंबे समय तक पर्यावरण में बना रह सकता है। ये मनुष्यों और अन्य जीवों के लिए खतरा पैदा कर सकता है। यही वजह है कि परमाणु परीक्षणों पर अंतर्राष्ट्रीय संधि और प्रतिबंध लागू हैं ताकि इन हथियारों के प्रसार को रोका जा सके और उनके विनाशकारी प्रभावों को कम किया जा सके।
बेहद खतरनाक होते हैं परमाणु बम
परमाणु बम अब तक बनाए गए सबसे विनाशकारी और अमानवीय हथियार हैं। इनसे होने वाली तबाही का अंदाजा लगाना बेहद मुश्किल है। परमाणु बम से पूरा शहर तबाह हो सकता है। इसका पता जापान के हिरोशिमा-नागासाकी की स्थिति देखकर समझा जा सकता है। जहां 1945 में अमेरिका ने परमाणु हथियारों से अटैक किए थे। इस घटना ने पूरी मानव जाति को झकझोर के रख दिया था। ऐसे में एक बार फिर परमाणु बमों को लेकर शुरू हुई कवायद ने नई चर्चा छेड़ दी है।
परमाणु बमों का परीक्षण कैसे होता है
किसी बड़े शहर पर गिराया गया एक भी परमाणु बम लाखों लोगों की जान ले सकता है। दसियों या सैकड़ों परमाणु बमों के इस्तेमाल से वैश्विक जलवायु में उथल-पुथल मच जाएगी और व्यापक अकाल पड़ सकता है। ऐसे में जब परमाणु बम का परीक्षण होता है तो बहुत सावधानी बरतनी होती है। ये बेहद जटिल प्रक्रिया है। इन परीक्षणों को आबादी वाली जगहों से दूर किया जाता है, जिससे लोगों पर इससे निकलने वाली रेडिएशन का असर नहीं पड़े।
न्यूक्लियर टेस्ट में इन 5 बातों का रखते हैं ध्यान
1. परमाणु परीक्षण के लिए खास जगहों का चुनाव किया जाता है। ये जगहें अक्सर रेगिस्तान या टापू जैसी सुनसान और भूवैज्ञानिक रूप से उपयुक्त होती हैं।
2. परमाणु बम का परीक्षण जमीन के नीचे, पानी के अंदर और वायुमंडल में काफी ऊपर किया जाता है। परीक्षण से पहले परमाणु हथियार को एक विशेष रूप से तैयार किए गए केबिन में रखा जाता है।
3. जमीन के नीचे परीक्षणों में, बम को एक गहरी खुदी हुई सुरंग या छेद में विस्फोटित किया जाता है। इसे सील कर दिया जाता है ताकि धमाका अंदर ही रहे और रेडियोधर्मी धूल बाहर न फैले। पानी के अंदर परीक्षण नौसैनिक ठिकानों पर इसके असर को देखने के लिए किए जाते थे।
4. वायुमंडल में परीक्षण टावरों, हवाई जहाजों या गुब्बारों से किए जाते थे, जिससे काफी रेडियोधर्मी धूल फैलती थी। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि तुरंत होने वाले नुकसान को कम किया जा सके।
5. सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए परमाणु हथियारों को काफी दूर से ही ब्लास्ट किया जाता है। यह एक सतह पर बने नियंत्रण बंकर से किया जाता है। इस दौरान, भूकंपीय गतिविधि, विकिरण और विस्फोट के अन्य प्रभावों पर डेटा इकट्ठा करने के लिए बहुत सारे निगरानी उपकरण लगाए जाते हैं।
क्यों खतरनाक माने जाते हैं परमाणु हथियार
यहां ये भी जानना जरूरी है कि परमाणु परीक्षणों के गंभीर पर्यावरणीय और स्वास्थ्य परिणाम हो सकते हैं। इन परीक्षणों से निकलने वाला रेडियोधर्मी विकिरण लंबे समय तक पर्यावरण में बना रह सकता है। ये मनुष्यों और अन्य जीवों के लिए खतरा पैदा कर सकता है। यही वजह है कि परमाणु परीक्षणों पर अंतर्राष्ट्रीय संधि और प्रतिबंध लागू हैं ताकि इन हथियारों के प्रसार को रोका जा सके और उनके विनाशकारी प्रभावों को कम किया जा सके।
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