कटनी:भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री संजय पाठक एक नए विवाद में घिर गए हैं, जहां जेल में बंद हिस्ट्रीशीटर अब्दुल रज्जाक ने उन्हें अपनी याचिका में पक्षकार बनाया है। रज्जाक ने आरोप लगाया है कि संजय पाठक ने राजनीतिक दबाव डालकर उसे फर्जी मामलों में फंसाया है और खनन कारोबार में प्रतिस्पर्धा के चलते लगातार परेशान किया है। इस मामले में जबलपुर हाईकोर्ट ने संजय पाठक को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 16 दिसंबर को तय की गई है।
कोर्ट ने पूछा था सवाल
शुक्रवार को हुई सुनवाई पर हाईकोर्ट की खंडपीठ ने रज्जाक की ओर से विधायक संजय पाठक को पक्षकार बनाने की अनुमति देते हुए उन्हें नोटिस जारी किया। इससे पहले 29 अक्टूबर को हाईकोर्ट ने अब्दुल रज्जाक से पूछा था कि वे जिन विधायक और खनन कारोबारी पर आरोप लगा रहे हैं, उन्हें नामजद पक्षकार क्यों नहीं बना रहे हैं। यह मामला तब और गंभीर हो गया जब पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पुलिस प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए पूछा था कि जब अब्दुल रज्जाक अगस्त 2021 से लगातार जेल में बंद था, तो उसी दौरान उसके खिलाफ अलग-अलग थानों में आपराधिक प्रकरण कैसे दर्ज कर लिए गए।
वकील ने भी लगाए थे आरोप
अब्दुल रज्जाक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मोहम्मद अली, शारिक अकील फारुकी व अमित रायजादा ने दलील दी कि विधायक के दबाव में सरकार उनके मुवक्किल को लगातार परेशान कर रही है। उन्होंने बताया कि रज्जाक के खिलाफ दर्ज कई मामलों में अभी तक अंतिम रिपोर्ट दाखिल नहीं की गई है। जैसे ही एक मामले में जमानत मिलती है, उसी समय दूसरे प्रकरण में गिरफ्तारी दिखा दी जाती है, जिसे न्यायिक प्रक्रिया के साथ छलावा बताया गया है।
जज के बयान से हंगामा
इस मामले से जुड़ा एक और पहलू तब सामने आया जब एमपी हाईकोर्ट के जस्टिस विशाल मिश्रा ने एक याचिका की सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि वे इस रिट याचिका पर विचार करने का इच्छुक नहीं हैं क्योंकि विधायक संजय पाठक ने उन्हें एक पर्टिकुलर मैटर (पाठक परिवार की खनन कंपनियों) पर चर्चा करने की कोशिश की है। यह टिप्पणी 1 सितंबर को एक ऑर्डर में लिखी गई थी, जिसने हाईकोर्ट के वकील और पक्षकारों को सकते में डाल दिया था।
कोर्ट ने पूछा था सवाल
शुक्रवार को हुई सुनवाई पर हाईकोर्ट की खंडपीठ ने रज्जाक की ओर से विधायक संजय पाठक को पक्षकार बनाने की अनुमति देते हुए उन्हें नोटिस जारी किया। इससे पहले 29 अक्टूबर को हाईकोर्ट ने अब्दुल रज्जाक से पूछा था कि वे जिन विधायक और खनन कारोबारी पर आरोप लगा रहे हैं, उन्हें नामजद पक्षकार क्यों नहीं बना रहे हैं। यह मामला तब और गंभीर हो गया जब पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पुलिस प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए पूछा था कि जब अब्दुल रज्जाक अगस्त 2021 से लगातार जेल में बंद था, तो उसी दौरान उसके खिलाफ अलग-अलग थानों में आपराधिक प्रकरण कैसे दर्ज कर लिए गए।
वकील ने भी लगाए थे आरोप
अब्दुल रज्जाक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मोहम्मद अली, शारिक अकील फारुकी व अमित रायजादा ने दलील दी कि विधायक के दबाव में सरकार उनके मुवक्किल को लगातार परेशान कर रही है। उन्होंने बताया कि रज्जाक के खिलाफ दर्ज कई मामलों में अभी तक अंतिम रिपोर्ट दाखिल नहीं की गई है। जैसे ही एक मामले में जमानत मिलती है, उसी समय दूसरे प्रकरण में गिरफ्तारी दिखा दी जाती है, जिसे न्यायिक प्रक्रिया के साथ छलावा बताया गया है।
जज के बयान से हंगामा
इस मामले से जुड़ा एक और पहलू तब सामने आया जब एमपी हाईकोर्ट के जस्टिस विशाल मिश्रा ने एक याचिका की सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि वे इस रिट याचिका पर विचार करने का इच्छुक नहीं हैं क्योंकि विधायक संजय पाठक ने उन्हें एक पर्टिकुलर मैटर (पाठक परिवार की खनन कंपनियों) पर चर्चा करने की कोशिश की है। यह टिप्पणी 1 सितंबर को एक ऑर्डर में लिखी गई थी, जिसने हाईकोर्ट के वकील और पक्षकारों को सकते में डाल दिया था।





