पटना: देर ही सही पर विधानसभा के चुनावी जंग में महागठबंधन के नेतृत्वकर्ता तेजस्वी यादव अंततः बीजेपी की राह उतर गए। बीजेपी ने जिस तरह से अपने विद्रोहियों को मना कर अपना रास्ता आसान करने की कोशिश की अब तेजस्वी ने भी कई विधानसभा में सफलता पा ली है। आइए जानते है कि राजद नेता तेजस्वी यादव कहां- कहां डैमेज कंट्रोल करने में सफल रहे।
भागलपुर विधानसभा
बिहार विधानसभा चुनाव 2025में महागठबंधन में मचे भारी घमासान के बीच भागलपुर की सीट पर कुछ राहत की खबर मिली है। दूसरे चरण के नामांकन के आखिरी दिन राजद की टिकट पर ताल ठोकने की तैयारी कर रहे भागलपुर नगर निगम के डिप्टी मेयर सलाहुद्दीन अहसान को मना ही लिया गया। नजारा ये था कि सलाहुद्दीन अहसन का नामांकन जुलूस तक निकल गया। राजद के झंडे लहराने लगे थे। लेकिन उस खास वक्त में झारखंड के मंत्री संजय यादव ने मोर्चा संभाला और सलाहुद्दीन अहसन को मनाने में कामयाबी हासिल कर ली।
देर से शुरू हुई कवायद
देर से शुरू हुए इस अभियान के कारण प्रथम चरण में सफलता ज्यादा नहीं मिली। दूसरे चरण में कुछ और उम्मीद है कि कुछ बागी उम्मीदवार अपना नामांकन वापस भी लेंगे। कुल मिलाकर तेजस्वी यादव ने अपने अभियान को तेजी दी है। महागठबंधन के विरोधी और महागठबंधन के खिलाफ में खड़े होने वाले उम्मीदवारों से बातचीत की जा रही है।
बीजेपी ने दिखाया रंग
बीजेपी के रणनीतिकारों ने बहुत ही सलीके से विद्रोहियों को शांत करने का खेल काफी पहले पूरा कर लिया। पटना साहिब की सीट से मेयर के पुत्र शिशिर को मनाया। अलीनगर विधानसभा से मैथिली ठाकुर के विरुद्ध खम ठोक रहे संजय सिंह को मना लिया। भागलपुर से पूर्व मंत्री अश्वनी चौबे के पुत्र शाश्वत को बिठाया।
बीजेपी के अंदर की बात
यहां तक कि बीजेपी के रणनीतिकारों ने कुछ विधायकों का टिकट काटा था। इनके चुनाव लड़ने की चर्चा जैसे कन्फ्यूजन को समाप्त करने के लिए केंद्रीय नेतृत्व के दबाव में ये लोग खुद मीडिया में बयान जारी कर भी 2025 का चुनाव स्वयं नहीं लड़ने की घोषणा की। ऐसे नेताओं में पटना साहिब के विधायक एवं विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव, दानापुर की पूर्व विधायक आशा सिन्हा, कुम्हरार के विधायक अरुण सिन्हा के अतिरिक्त पूर्व नगर विकास मंत्री सुरेश शर्मा, पूर्व मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह जैसे दिग्गज शामिल हैं।
भागलपुर विधानसभा
बिहार विधानसभा चुनाव 2025में महागठबंधन में मचे भारी घमासान के बीच भागलपुर की सीट पर कुछ राहत की खबर मिली है। दूसरे चरण के नामांकन के आखिरी दिन राजद की टिकट पर ताल ठोकने की तैयारी कर रहे भागलपुर नगर निगम के डिप्टी मेयर सलाहुद्दीन अहसान को मना ही लिया गया। नजारा ये था कि सलाहुद्दीन अहसन का नामांकन जुलूस तक निकल गया। राजद के झंडे लहराने लगे थे। लेकिन उस खास वक्त में झारखंड के मंत्री संजय यादव ने मोर्चा संभाला और सलाहुद्दीन अहसन को मनाने में कामयाबी हासिल कर ली।
देर से शुरू हुई कवायद
देर से शुरू हुए इस अभियान के कारण प्रथम चरण में सफलता ज्यादा नहीं मिली। दूसरे चरण में कुछ और उम्मीद है कि कुछ बागी उम्मीदवार अपना नामांकन वापस भी लेंगे। कुल मिलाकर तेजस्वी यादव ने अपने अभियान को तेजी दी है। महागठबंधन के विरोधी और महागठबंधन के खिलाफ में खड़े होने वाले उम्मीदवारों से बातचीत की जा रही है।
बीजेपी ने दिखाया रंग
बीजेपी के रणनीतिकारों ने बहुत ही सलीके से विद्रोहियों को शांत करने का खेल काफी पहले पूरा कर लिया। पटना साहिब की सीट से मेयर के पुत्र शिशिर को मनाया। अलीनगर विधानसभा से मैथिली ठाकुर के विरुद्ध खम ठोक रहे संजय सिंह को मना लिया। भागलपुर से पूर्व मंत्री अश्वनी चौबे के पुत्र शाश्वत को बिठाया।
बीजेपी के अंदर की बात
यहां तक कि बीजेपी के रणनीतिकारों ने कुछ विधायकों का टिकट काटा था। इनके चुनाव लड़ने की चर्चा जैसे कन्फ्यूजन को समाप्त करने के लिए केंद्रीय नेतृत्व के दबाव में ये लोग खुद मीडिया में बयान जारी कर भी 2025 का चुनाव स्वयं नहीं लड़ने की घोषणा की। ऐसे नेताओं में पटना साहिब के विधायक एवं विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव, दानापुर की पूर्व विधायक आशा सिन्हा, कुम्हरार के विधायक अरुण सिन्हा के अतिरिक्त पूर्व नगर विकास मंत्री सुरेश शर्मा, पूर्व मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह जैसे दिग्गज शामिल हैं।
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