नई दिल्ली : छोटी बचत योजनाओं में पैसा लगाने वालों को झटका लग सकता है। डाकघर की छोटी बचत योजनाओं पर मिलने वाला ब्याज अगली तिमाही में कम हो सकता है। इनमें पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) और नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC) जैसी योजनाएं शामिल हैं। वित्त मंत्रालय इन योजनाओं की ब्याज दरों की समीक्षा करने वाला है। यह समीक्षा कल यानी 30 सितंबर को होगी। इस समीक्षा के बाद नई ब्याज दरें घोषित की जाएंगी। ये नई दरें अक्टूबर से दिसंबर 2025 की तिमाही के लिए लागू होंगी।
इस साल रेपो रेट में कई बार बदलाव हुए हैं। आरबीआई ने रेपो रेट को कई बार घटाया है। इसके बावजूद, सरकार ने अब तक छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों को कम नहीं किया है। सुकन्या समृद्धि अकाउंट (SSA) और सीनियर सिटीजन्स सेविंग्स स्कीम (SCSS) जैसी योजनाएं भी इसमें शामिल हैं। इन योजनाओं की ब्याज दरें अभी तक स्थिर बनी हुई हैं। लेकिन, अब ऐसी आशंका है कि वित्त मंत्रालय आने वाली तिमाही समीक्षा में इन दरों को घटा सकता है। यह एक बड़ा फैसला होगा, जिसका असर लाखों निवेशकों पर पड़ेगा। सरकार के इस कदम से कई लोगों की आय प्रभावित हो सकती है।
रेपो रेट में कटौती
ब्याज दरें कम होने का एक बड़ा कारण आरबीआईद्वारा रेपो रेट में की गई कटौती है। केंद्रीय बैंक ने इस साल रेपो रेट में काफी कमी की है। साल की शुरुआत में, रेपो रेट 6.50% था। यह वह दर होती है जिस पर बैंक RBI से पैसा उधार लेते हैं। जब यह दर कम होती है, तो बैंकों के लिए पैसा सस्ता हो जाता है। RBI ने फरवरी और अप्रैल में अपनी मौद्रिक नीति बैठकों में रेपो रेट को 25-25 बेसिस पॉइंट (bps) कम किया। इसके बाद, जून में हुई समीक्षा बैठक में आरबीआई ने रेपो रेट को 50 बीपीएस और घटा दिया।
इस तरह इस साल कुल मिलाकर रेपो रेट में 1% की कटौती हुई है। रेपो रेट में इस बड़ी कटौती के बाद कई बैंकों ने अपनी फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) योजनाओं पर मिलने वाली ब्याज दरों को भी कम कर दिया है। बैंकों ने अपनी कई खास एफडी योजनाओं को बंद भी कर दिया है। ये खास एफडी योजनाएं पहले बहुत अच्छा ब्याज दे रही थीं। कुछ मामलों में, बैंकों ने इन खास एफडी योजनाओं को जारी तो रखा, लेकिन उन पर मिलने वाले ब्याज को कम कर दिया। यह सब दिखाता है कि बाजार में ब्याज दरें नीचे आ रही हैं।
बॉन्ड यील्डसरकारी प्रतिभूतियों का बॉन्ड यील्ड भी एक महत्वपूर्ण कारण है। G-Sec यानी सरकारी सिक्योरिटी एक तरह का कर्ज होता है जो सरकार लोगों या संस्थाओं से लेती है। इस पर सरकार ब्याज देती है। बॉन्ड यील्ड का मतलब है कि उस बॉन्ड पर कितना रिटर्न मिल रहा है। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 1 जनवरी 2025 को 10 साल की G-Sec का बॉन्ड यील्ड 6.779% था। लेकिन 24 सितंबर, 2025 तक यह घटकर 6.483% पर आ गया। इसका मतलब है कि इस अवधि में बॉन्ड पर मिलने वाला रिटर्न कम हो गया है। हालांकि, पिछले तीन महीनों से इस यील्ड में थोड़ी बढ़ोतरी दिख रही है, लेकिन यह अभी भी 1 जनवरी के स्तर से 0.296 अंक पीछे है।
इस साल रेपो रेट में कई बार बदलाव हुए हैं। आरबीआई ने रेपो रेट को कई बार घटाया है। इसके बावजूद, सरकार ने अब तक छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों को कम नहीं किया है। सुकन्या समृद्धि अकाउंट (SSA) और सीनियर सिटीजन्स सेविंग्स स्कीम (SCSS) जैसी योजनाएं भी इसमें शामिल हैं। इन योजनाओं की ब्याज दरें अभी तक स्थिर बनी हुई हैं। लेकिन, अब ऐसी आशंका है कि वित्त मंत्रालय आने वाली तिमाही समीक्षा में इन दरों को घटा सकता है। यह एक बड़ा फैसला होगा, जिसका असर लाखों निवेशकों पर पड़ेगा। सरकार के इस कदम से कई लोगों की आय प्रभावित हो सकती है।
रेपो रेट में कटौती
ब्याज दरें कम होने का एक बड़ा कारण आरबीआईद्वारा रेपो रेट में की गई कटौती है। केंद्रीय बैंक ने इस साल रेपो रेट में काफी कमी की है। साल की शुरुआत में, रेपो रेट 6.50% था। यह वह दर होती है जिस पर बैंक RBI से पैसा उधार लेते हैं। जब यह दर कम होती है, तो बैंकों के लिए पैसा सस्ता हो जाता है। RBI ने फरवरी और अप्रैल में अपनी मौद्रिक नीति बैठकों में रेपो रेट को 25-25 बेसिस पॉइंट (bps) कम किया। इसके बाद, जून में हुई समीक्षा बैठक में आरबीआई ने रेपो रेट को 50 बीपीएस और घटा दिया।
इस तरह इस साल कुल मिलाकर रेपो रेट में 1% की कटौती हुई है। रेपो रेट में इस बड़ी कटौती के बाद कई बैंकों ने अपनी फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) योजनाओं पर मिलने वाली ब्याज दरों को भी कम कर दिया है। बैंकों ने अपनी कई खास एफडी योजनाओं को बंद भी कर दिया है। ये खास एफडी योजनाएं पहले बहुत अच्छा ब्याज दे रही थीं। कुछ मामलों में, बैंकों ने इन खास एफडी योजनाओं को जारी तो रखा, लेकिन उन पर मिलने वाले ब्याज को कम कर दिया। यह सब दिखाता है कि बाजार में ब्याज दरें नीचे आ रही हैं।
बॉन्ड यील्डसरकारी प्रतिभूतियों का बॉन्ड यील्ड भी एक महत्वपूर्ण कारण है। G-Sec यानी सरकारी सिक्योरिटी एक तरह का कर्ज होता है जो सरकार लोगों या संस्थाओं से लेती है। इस पर सरकार ब्याज देती है। बॉन्ड यील्ड का मतलब है कि उस बॉन्ड पर कितना रिटर्न मिल रहा है। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 1 जनवरी 2025 को 10 साल की G-Sec का बॉन्ड यील्ड 6.779% था। लेकिन 24 सितंबर, 2025 तक यह घटकर 6.483% पर आ गया। इसका मतलब है कि इस अवधि में बॉन्ड पर मिलने वाला रिटर्न कम हो गया है। हालांकि, पिछले तीन महीनों से इस यील्ड में थोड़ी बढ़ोतरी दिख रही है, लेकिन यह अभी भी 1 जनवरी के स्तर से 0.296 अंक पीछे है।
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