पटना/ मोकामा : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सबसे चर्चित, सबसे विख्यात और सबसे प्रसिद्ध मोकामा सीट पर सुबह से वोटिंग जारी रही। हाल में हुए दुलारचंद यादव हत्याकांड का असर भी वोटिंग पर देखा गया। वोटरों ने उत्साह के साथ मतदान किया। महिलाओं की संख्या ज्यादा रही। मोकामा विधानसभा सीट का चुनावी रण अब एक नई और संवेदनशील करवट ले चुका है। पहले यह मुकाबला मुख्य रूप से पार्टी गठबंधन की सोशल इंजीनियरिंग पर आधारित था, लेकिन अब यह स्पष्ट रूप से सवर्ण बनाम पिछड़ा के ध्रुवीकरण वाले मुद्दे में बदल चुका है। हाल में हुई घटनाओं के बाद मोकामा काफी चर्चित रहा। अनंत सिंह के जेल जाने के बाद केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने मोर्चा संभाला। अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी ने भी प्रचार किया। ललन सिंह ने रोड शो भी किया। इस सीट पर ललन सिंह का ये बोलते हुए भी वीडियो वायरल हुआ कि विरोधियों को वोट देने वालों को घर से बाहर नहीं निकलने दें। हालांकि, उस वीडियो की एनबीटी ऑनलाइन पुष्टि नहीं करता है। 6 नवंबर को मतदान के दौरान सुबह 9 बजे तक 13.1 प्रतिशत वोटिंग हुई थी।
मोकामा का सियासी इतिहास
मोकामा का राजनीतिक इतिहास बाहुबलियों के उदय से भरा है; जहां 1980 के दशक में श्याम सुंदर सिंह धीरज जैसे नेताओं का प्रभुत्व था, वहीं 1990 में दिलीप सिंह, 2000 में सूरजभान सिंह और 2005 से अनंत सिंह ने अपनी पहचान बनाई है। अब 2025 के इस चुनाव में राजद (संभावित) से सूरजभान सिंह और जदयू (संभावित) से अनंत सिंह के बीच सीधी टक्कर की उम्मीद है, जो बाहुबलियों की पुरानी प्रतिद्वंद्विता को पुनर्जीवित कर रही है। इस बार का चुनावी समीकरण दुलारचंद यादव की हत्या के बाद और भी अधिक संवेदनशील हो गया है। यादवों के नेता दुलारचंद की हत्या के बाद, मोकामा का चुनाव जो पहले त्रिकोणीय संघर्ष की ओर बढ़ रहा था, अब सीधी टक्कर का रूप ले चुका है। इस सवर्ण बनाम पिछड़ी जाति के ध्रुवीकरण वाले रण में, जहां राजद का पारंपरिक आधार वोट यादव, मुस्लिम, और कुछ दलित समुदायों से आता है, वहीं एनडीए का मुख्य वोट बैंक सवर्ण, वैश्य, कुशवाहा और कुर्मी समुदायों पर टिका है।
लाइव अपडेट के लिए यहां क्लिक करें
मोकामा सीट पर वोटिंग जारी
हालांकि, इस बदले हुए माहौल में धानुक, कुर्मी और दलित वोट निर्णायक साबित होंगे, जो चुनाव में किंगमेकर की भूमिका निभा सकते हैं। खासकर 2020 में एनडीए के खिलाफ गए पासवान वोटों को वापस अपनी ओर खींचना एनडीए के लिए एक बड़ी चुनौती है, जबकि महागठबंधन दलित और अन्य पिछड़ा वोटों को साधने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। कुल मिलाकर, मोकामा का यह चुनाव सिर्फ एक विधानसभा सीट का चुनाव नहीं रह गया है, बल्कि यह बिहार की राजनीति में जातीय समीकरणों और सामाजिक सद्भाव के बीच एक महत्वपूर्ण लड़ाई का मैदान बन गया है। राजद के लिए सूरजभान के नाम पर भूमिहार, राजद और अन्य पिछड़ा के साथ पासवान माइनस दलित वोट का ध्रुवीकरण एक जिताऊ समीकरण है, जबकि एनडीए सवर्ण, वैश्य, पासवान और अति पिछड़ा वोट पर टिका है। दुलारचंद यादव की हत्या से उपजा माहौल, और बाहुबलियों की विरासत की सीधी टक्कर—ये सभी कारक मिलकर इस चुनाव को बेहद अप्रत्याशित बनाते हैं। जनता का फैसला ही तय करेगा कि मोकामा का भविष्य बाहुबलियों की विरासत को आगे बढ़ाता है या सामाजिक सद्भाव और विकास की राजनीति को स्वीकार करता है।
वोटिंग के लाइव अपडेट्स यहां देखें
मोकाम में वोटिंग के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। सुबह में बूथों पर महिलाएं ज्यादा दिख रही थीं। उन्होंने बढ़- चढ़कर मतदान में हिस्सा लिया। सभी बूथों पर पीने के पानी की व्यवस्था और सेल्फी की व्यवस्था की गई थी। मोकामा विधानसभा के बसवंचक ग्राम में स्थित मतदान केंद्र के ठीक बाहर दो गुटों के बीच हल्की झड़प हो गई। हालांकि, मौके पर मौजूद अन्य लोगों ने हस्तक्षेप कर दोनों पक्षों को समझा-बुझाकर माहौल को तुरंत शांत करा दिया। इस सीट पर जबरदस्त वोटिंग हुई है। चुनाव आयोग के आंकड़े के मुताबिक मोकामा सीट पर 62.13 % से ज्यादा वोटिंग दर्ज की गई है। अभी वोटिंग के एक या दो प्रतिशत और आगे बढ़ने की संभावना है। वोटरों ने उत्साह के साथ मतदान किया है। गौरतलब है कि यह वही क्षेत्र है जहां हाल ही में दुलारचंद यादव की हत्या हुई थी, जिसके कारण यहां तनाव व्याप्त रहा।
मोकामा का सियासी इतिहास
मोकामा का राजनीतिक इतिहास बाहुबलियों के उदय से भरा है; जहां 1980 के दशक में श्याम सुंदर सिंह धीरज जैसे नेताओं का प्रभुत्व था, वहीं 1990 में दिलीप सिंह, 2000 में सूरजभान सिंह और 2005 से अनंत सिंह ने अपनी पहचान बनाई है। अब 2025 के इस चुनाव में राजद (संभावित) से सूरजभान सिंह और जदयू (संभावित) से अनंत सिंह के बीच सीधी टक्कर की उम्मीद है, जो बाहुबलियों की पुरानी प्रतिद्वंद्विता को पुनर्जीवित कर रही है। इस बार का चुनावी समीकरण दुलारचंद यादव की हत्या के बाद और भी अधिक संवेदनशील हो गया है। यादवों के नेता दुलारचंद की हत्या के बाद, मोकामा का चुनाव जो पहले त्रिकोणीय संघर्ष की ओर बढ़ रहा था, अब सीधी टक्कर का रूप ले चुका है। इस सवर्ण बनाम पिछड़ी जाति के ध्रुवीकरण वाले रण में, जहां राजद का पारंपरिक आधार वोट यादव, मुस्लिम, और कुछ दलित समुदायों से आता है, वहीं एनडीए का मुख्य वोट बैंक सवर्ण, वैश्य, कुशवाहा और कुर्मी समुदायों पर टिका है।
लाइव अपडेट के लिए यहां क्लिक करें
मोकामा सीट पर वोटिंग जारी
हालांकि, इस बदले हुए माहौल में धानुक, कुर्मी और दलित वोट निर्णायक साबित होंगे, जो चुनाव में किंगमेकर की भूमिका निभा सकते हैं। खासकर 2020 में एनडीए के खिलाफ गए पासवान वोटों को वापस अपनी ओर खींचना एनडीए के लिए एक बड़ी चुनौती है, जबकि महागठबंधन दलित और अन्य पिछड़ा वोटों को साधने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। कुल मिलाकर, मोकामा का यह चुनाव सिर्फ एक विधानसभा सीट का चुनाव नहीं रह गया है, बल्कि यह बिहार की राजनीति में जातीय समीकरणों और सामाजिक सद्भाव के बीच एक महत्वपूर्ण लड़ाई का मैदान बन गया है। राजद के लिए सूरजभान के नाम पर भूमिहार, राजद और अन्य पिछड़ा के साथ पासवान माइनस दलित वोट का ध्रुवीकरण एक जिताऊ समीकरण है, जबकि एनडीए सवर्ण, वैश्य, पासवान और अति पिछड़ा वोट पर टिका है। दुलारचंद यादव की हत्या से उपजा माहौल, और बाहुबलियों की विरासत की सीधी टक्कर—ये सभी कारक मिलकर इस चुनाव को बेहद अप्रत्याशित बनाते हैं। जनता का फैसला ही तय करेगा कि मोकामा का भविष्य बाहुबलियों की विरासत को आगे बढ़ाता है या सामाजिक सद्भाव और विकास की राजनीति को स्वीकार करता है।
वोटिंग के लाइव अपडेट्स यहां देखें
मोकाम में वोटिंग के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। सुबह में बूथों पर महिलाएं ज्यादा दिख रही थीं। उन्होंने बढ़- चढ़कर मतदान में हिस्सा लिया। सभी बूथों पर पीने के पानी की व्यवस्था और सेल्फी की व्यवस्था की गई थी। मोकामा विधानसभा के बसवंचक ग्राम में स्थित मतदान केंद्र के ठीक बाहर दो गुटों के बीच हल्की झड़प हो गई। हालांकि, मौके पर मौजूद अन्य लोगों ने हस्तक्षेप कर दोनों पक्षों को समझा-बुझाकर माहौल को तुरंत शांत करा दिया। इस सीट पर जबरदस्त वोटिंग हुई है। चुनाव आयोग के आंकड़े के मुताबिक मोकामा सीट पर 62.13 % से ज्यादा वोटिंग दर्ज की गई है। अभी वोटिंग के एक या दो प्रतिशत और आगे बढ़ने की संभावना है। वोटरों ने उत्साह के साथ मतदान किया है। गौरतलब है कि यह वही क्षेत्र है जहां हाल ही में दुलारचंद यादव की हत्या हुई थी, जिसके कारण यहां तनाव व्याप्त रहा।
You may also like

India Oil Imports: भारत में बहुत बड़ा बदलाव करेगी इस महीने आ रही यह तारीख, सरकार की क्यों बढ़ी टेंशन?

पहले चरण का मतदान संपन्न, इस दौरान 1415 गिरफ्तार, पटना में ₹25 लाख नकद और 8 अवैध हथियार जब्त

राजस्थान में कंडक्टर भर्ती परीक्षा में 28 हजार 741 अभ्यर्थी अनुपस्थित रहे, उदयपुर में सबसे कम और अलवर में सबसे ज्यादा अभ्यर्थी पहुंचे

Bhabhi Dance Video : छत पर चढ़कर भाभी ने मचाया कहर, देसी लुक में दिखीं इतनी ग्लैमरस कि लोग देखते रह गए!

दुनिया की खबरें: क्या अफगानिस्तान के खिलाफ जंग छेड़ेगा पाकिस्तान? अमेरिका में अब तक का सबसे लंबा शटडाउन जारी




