जसबीर कुमार, हमीरपुर : हिमाचल प्रदेश के इतिहास में पहली बार एक सात फुट लंबे ब्लैक किंग कोबरा का सफल ऑपरेशन किया गया है। जिला हमीरपुर के बड़सर उपमंडल के जजरी गांव में घटी यह अनोखी घटना न केवल वन्यजीव संरक्षण का दुर्लभ उदाहरण बनी, बल्कि इंसानियत, करुणा और संवेदनशीलता की मिसाल भी पेश की। इस रेस्क्यू अभियान में वन विभाग, पशुपालन विभाग और स्थानीय स्नेक कैचर जसवीर पटियाल की भूमिका उल्लेखनीय रही। दरअसल कुछ दिन पहले लोहरली गांव में तेज बारिश के कारण एक कच्चा मकान अचानक ढह गया। उसी दौरान मलबे में एक विशालकाय ब्लैक किंग कोबरा दब गया और बुरी तरह घायल हो गया। जब ग्रामीणों ने मलबा हटाया, तो उन्होंने सांप को खून से लथपथ हालत में तड़पते देखा। डरने के बजाय ग्रामीणों ने साहस दिखाते हुए तुरंत स्नेक कैचर जसवीर पटियाल को घटना की सूचना दी।
नागिन के साथ चिपका हुआ था सांप
जसवीर पटियाल मौके पर पहुंचे और जोखिम उठाते हुए घायल सांप को मलबे से सुरक्षित बाहर निकाला। जसवीर ने बताया कि यह सांप अकेला नहीं था, बल्कि उसके पास एक और सांप (नागिन) भी मौजूद थी। उन्होंने कहा कि दोनों सांप आपस में जुड़े थे। यह ‘ नाग-नागिन ’ की जोड़ी लग रही थी। मलबा गिरने से नाग बुरी तरह जख्मी हुआ जबकि नागिन सुरक्षित बच निकली। जसवीर ने घायल कोबरा को अपने पास रखकर प्राथमिक देखभाल की, लेकिन जब उसकी हालत बिगड़ने लगी तो उन्होंने वन विभाग और पशुपालन विभाग से सहायता मांगी।
कोबरा का पहुंचाया गया अस्पताल
वन विभाग की टीम ने घायल ब्लैक कोबरा को पशु औषधालय बिझड़ी पहुंचाया। यहां पशुपालन विभाग के डॉक्टर विश्वदीप राठौर ने उसका उपचार किया। उन्होंने बताया, ब्लैक कोबरा के शरीर पर गहरी चोटें थीं और संक्रमण का खतरा था। हमने उसे एंटीसेप्टिक दवा दी और दो टांके लगाए। अपने लंबे सेवाकाल में यह पहला अवसर था जब किसी विषैले ब्लैक कोबरा का सफल ऑपरेशन किया गया। डॉक्टर राठौर और जसवीर पटियाल दोनों ने बताया कि उपचार के बाद सांप को दो दिन तक निगरानी में रखा गया। जब उसकी हालत पूरी तरह सामान्य हुई, तो वन विभाग ने उसे उसी क्षेत्र के घने जंगल में सुरक्षित रूप से छोड़ दिया।
नागिन के साथ चिपका हुआ था सांप
जसवीर पटियाल मौके पर पहुंचे और जोखिम उठाते हुए घायल सांप को मलबे से सुरक्षित बाहर निकाला। जसवीर ने बताया कि यह सांप अकेला नहीं था, बल्कि उसके पास एक और सांप (नागिन) भी मौजूद थी। उन्होंने कहा कि दोनों सांप आपस में जुड़े थे। यह ‘ नाग-नागिन ’ की जोड़ी लग रही थी। मलबा गिरने से नाग बुरी तरह जख्मी हुआ जबकि नागिन सुरक्षित बच निकली। जसवीर ने घायल कोबरा को अपने पास रखकर प्राथमिक देखभाल की, लेकिन जब उसकी हालत बिगड़ने लगी तो उन्होंने वन विभाग और पशुपालन विभाग से सहायता मांगी।
कोबरा का पहुंचाया गया अस्पताल
वन विभाग की टीम ने घायल ब्लैक कोबरा को पशु औषधालय बिझड़ी पहुंचाया। यहां पशुपालन विभाग के डॉक्टर विश्वदीप राठौर ने उसका उपचार किया। उन्होंने बताया, ब्लैक कोबरा के शरीर पर गहरी चोटें थीं और संक्रमण का खतरा था। हमने उसे एंटीसेप्टिक दवा दी और दो टांके लगाए। अपने लंबे सेवाकाल में यह पहला अवसर था जब किसी विषैले ब्लैक कोबरा का सफल ऑपरेशन किया गया। डॉक्टर राठौर और जसवीर पटियाल दोनों ने बताया कि उपचार के बाद सांप को दो दिन तक निगरानी में रखा गया। जब उसकी हालत पूरी तरह सामान्य हुई, तो वन विभाग ने उसे उसी क्षेत्र के घने जंगल में सुरक्षित रूप से छोड़ दिया।
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