कृष्णा कुणाल सिंह, नई दिल्ली: मुस्तफाबाद हादसे में एक ही परिवार के मारे गए 11 लोगों में से एक साथ रविवार को सात जनाजे निकले, जिसे देख इलाके के लोगों की रूह कांप गई। यह मंजर देख आसपास रहने वाले लोगों के आंखो से आंसू नहीं रुक पा रहे थे।मुस्तफाबाद इलाके में रविवार शाम सबसे आगे घर के मुखिया तहसीन (60) का जनाजा था। उनके पीछे उनके बेटे नाजिम (30), दो बहुएं शाहिना (28), चांदनी (23) और तीन मासूम पोती-पोती आफरीन (4), अनस (6) और आठ माह के अफ्फान का जनाजा था। विदाई के लिए उमड़ी लोगों की भीड़जीटीबी अस्पताल में पोस्टमॉर्टम के बाद पुलिस की सुरक्षा में सभी सातों शवों को तीन एंबुलेंस से पुराना मुस्तफाबाद की गली नंबर 2 में लाया गया था। करीब 400 मीटर लंबी पूरी गली लोगों से भरी हुई थी। छतों तक पर लोग उमड़े हुए थे। वहीं हादसे के बाद इमारत के मलबे से जिंदा निकले चांद (25) का रो रोकर बुरा हाल है। आंखों के सामने पत्नी, बुजुर्ग पिता और भतीजी-भतीजों के जनाजे देखकर वह कई बार बेहोश तक हो गए। रिश्तेदार और परिवार के सदस्यों ने उन्हें संभाला और इस पहाड़ जैसे दुख को झेलने के लिए हिम्मत देते रहे। किरायेदारों का शव भी पहुंचा कब्रिस्तानइलाके में ही सभी सातों लोगों की असर (शाम) के वक्त नमाजे जनाजा अता की गई। जिसके बाद 25 फुटा रोड मुस्तफाबाद में उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया गया। हादसे का शिकार हुए तहसीन के तीनों किरायेदारों के शव भी इसी कब्रिस्तान में पहुंचे। जबकि एक शव को उनके परिजन लोनी ले गए थे। गांव की जमीन और दिल्ली का फ्लैट दोनों गएमुस्तफाबाद हादसे में एक ही परिवार के आठ लोगों की जिंदगी खत्म हो गई। हादसे में कुछ लोग बचे हैं, लेकिन उनका भी सब कुछ छिन गया। हादसे के शिकार अहमद ने करीब साढ़े तीन साल पहले गांव की जमीन बेचकर चौथी मंजिल पर लीज पर मकान लिया था, लेकिन हादसे के बाद वह भी नहीं रहा। गांव की जमीन भी चली गई और दिल्ली का घर भी। अब तक अहमद हादसे से उबर भी नहीं सके है। हादसे में अहमद की पत्नी रेशमा की जान भी चली गई। मौतों से सदमे में है परिवारअहमद के एक रिश्तेदार मुजाहिद ने बताया कि अहमद और उनके परिवार के लिए हादसे उबरना मुश्किल है। फिलहाल तो परिवार रेशमा की मौत से सदमे में है। अहमद और तन्नू अस्पताल में भर्ती हैं, जबकि आलिया और अलशेख को अस्पताल से छुट्टी तो मिल गई है, लेकिन चोट उनको को भी लगी है। तन्नू का ऑपरेशन हो गया है। उसके दोनों पैरों और हाथ की हड्डी टूटी हुई है। जबकि कमर और पैर के जॉइंट का ऑपरेशन किया गया है। अहमद की कॉलर बोन व दोनों पसली टूटी हुई हैं। आलिया और अलशेख को मामूली चोट हैं। दोनों को एक रिश्तेदार के घर भेज दिया गया है। चारों घायलों को अभी तक रेशमा की मौत के बारे में नहीं बताया गया है। कुछ दिनों से बीमार थी रेशमामुजाहिद ने बताया कि अब वह शव लेकर सीधे घर जाएंगे, तब आलिया और अलशेख को उनकी मां की मौत के बारे में पता चलेगा। उसने बताया कि रेशमा के शव को दफन करते समय अहमद और तन्नू मौके पर नहीं होंगे। उन्होंने बताया कि रेशमा पिछले कुछ दिनों से बीमार थी। पेट दर्द की शिकायत के बाद उसे लोक नायक अस्पताल में भर्ती किया गया था, जिसके बाद पथरी का इलाज हो रहा था। अगले महीने ऑपरेशन होना था। हादसे के बाद ऑपरेशन के लिए परिवार ने जो पैसे जमा किए थे। उसका भी पता नहीं चल सका है। कीमती सामान ढूंढ रहे लोगमुस्तफाबाद हादसे के बाद इमारत के मलबे में यहां रहने वाले लोगों का सामान भी दब गया। हादसे के पहले दिन राहत कार्य में लगी टीम ने किसी तरह मलबे को हटाकर उसमें फंसे करीब 22 लोगों को बाहर निकाला, जिसमें 11 लोगों की मौत हो गई। लेकिन मलबा हटाने के बाद लोगों के सामान को राहत कार्य में लगी टीम ने साइड में रख दिया। ऐसे में वहां जमा भीड़ में मौजूद असामाजिक तत्वों ने लोगों का कीमती चोरी कर लिया। हादसे में बचे लोग जब होश में आए तो उन्होंने अपने रिश्तेदारों को सामान के बारे में जानकारी दी। जिसके बाद देर रात हादसे वाली जगह पर पहुंचे पीड़ितों के रिश्तेदार हादसे वाली जगह पर कीमती सामान ढूंढते नजर आए। शादी के लिए जमा किए थे पैसेशाहिद के रिश्तेदार शहजाद ने बताया कि उनकी बहन रिहाना को शनिवार देर रात होश आया। होश आने के बाद जब डॉक्टरों ने उन्हें बहन से मिलने के लिए बुलाया तो उन्होंने खुद बहन को पूरे हादसे की जानकारी दी। शहजाद ने बताया कि रिहाना को हादसे के बारे में कुछ भी याद नहीं था। उसने बताया कि वह तो परिवार के साथ रात को सोई थी, देर रात इमारत हिलने लगी और तेज आवाज आई। उसके बाद उन्हें कुछ भी याद नहीं है। हादसे के बारे में पता लगने पर रिहाना ने नेहा की शादी के लिए जमा पैसों की बात बताई। जिसके बाद देर रात शहजाद और उसके परिजन हादसे वाली जगह पर पहुंचे और पैसों वाली अटैची बहुत देर तक ढूंढी लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला। उन्होंने बताया कि पुलिसकर्मियों से भी सामान के बारे में पूछा लेकिन उन्हें भी कुछ नहीं पता था। जूलरी और पैसे नहीं मिलेउधर, रविवार सुबह अहमद के होश में आने पर उन्होंने अपने रिश्तेदार मुजाहिद को घर में रखी जूलरी और पैसों के बैग की जानकारी दी। मुजाहिद अपने अन्य रिश्तेदारों के साथ मौके पर पहुंचे और सामान की तलाश की, लेकिन उन्हें कपड़ों के अलावा कुछ नहीं मिला। मुजाहिद ने बताया कि कुछ सामान इमारत के मालिक तहसीन के भाई के घर रखा गया है। पहचान के बाद सामान बांट दिया जाएगा। मुजाहिद और उनके साथी गली नम्बर दो स्थित तहसीन के भाई के घर भी पहुंचे जहां उन्हें उनका सामान नहीं मिला।
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