दिल्ली टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी (DTU) के स्टूडेंट्स ने डिजास्टर मैनेजमेंट फील्ड में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। डीटीयू के स्टूडेंट्स ने ऐसा एडवांस्ड रोबोटिक रोवर और ड्रोन सिस्टम तैयार किया है, जो जंग, आपदा और हादसों में काफी मदद कर सकता है। भारतीय स्टूडेंट्स के इस इनोवेशन को विदेशी धरती पर भी सराहा जा रहा है। अमेरिका में हुए एक ग्लोबल रिसर्च कॉम्पिटिशन में डीटीयू की टीम को दूसरा स्थान मिला है। टीम को 1.5 लाख अमेरिकी डॉलर (करीब ₹1.32 करोड़) का पुरस्कार भी मिला। इसे भारतीय इंजीनियरिंग में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जा रहा है।
आपदा में रियल टाइम मेडिकल सिस्टमरोबोटिक रोवर और ड्रोन के इस्तेमाल से रियल टाइम मेडिकल सिस्टम तैयार किया गया है। सबसे पहले ड्रोन आपदा या हादसे की जगह का मैप तैयार करेगा। ऊपर से घालयों की लोकेशन पता लगाई जाएगी। इसके बाद रोबोटिक रोवर घायलों तक पहुंचेगा, उन से बात करने की कोशिश करेगा और रियल टाइम में मेडिकल रिपोर्ट तैयार करके डॉक्टर्स तक भेजी जाएंगी। इस सिस्टम में डीप लर्निंग मॉडल का इस्तेमाल किया गया है। इसमें RGB कैमरा, LiDAR, इन्फ्रारेड और रडार सेंसर लगे हैं, जो घायलों के शरीर के इशारे और छोटी से छोटी हलचल को पहचान सकेंगे।
घायलों की कैसे मदद करेगा DTU स्टूडेंट्स का रोबोटिक सिस्टम?यह सिस्टम DTU के अनमैन्ड एरियल सिस्टम (UAS) यूनिट के स्टूडेंट्स ने डिजाइन किया है। 25 स्टूडेंट्स की टीम का रोबोटिक रोवर और ड्रोन सिस्टम आपदा, युद्ध और हादसों के दौरान घायलों तक तुरंत मेडिकल सुविधा पहुंचा सकेगा।
दरअसल, रोवर में ऐसे सेंसर लगे हैं जो घायल व्यक्ति का ब्लड सर्कूलेशन, सांसों की स्पीड, जवाब देने की क्षमता और चोट की गहराई जैसी चीजों का कुछ ही मिनटों में पता लगाकर एक रिपोर्ट तैयार कर सकता है। इस दौरान चाहे धुआं हो या कम रोशनी हो। इससे न सिर्फ घायलों की तुरंत जांच हो सकेगी, बल्कि घायलों का एनालिसिस करके गंभीर, मीडियम या स्थिर कैटेगरी में बांट जा सकेगा। ताकि बिना ज्यादा समय गवाएं सभी को उचित इलाज मिल सके।
विदेशी धरती पर भारतीय छात्रों की प्रतिभा का डंकादिल्ली के स्टूडेंट्स की प्रतिभा का डंका विदेशी धरती पर बज रहा है। भारतीय स्टूडेंट्स ने अमेरिका की डिफेंस एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट एजेंसी (DARPA) एक कॉम्पिटिशन में दूसरा स्थान हासिल किया है, जहां दुनियाभर से टेक एक्सपर्ट्स और स्टूडेंट्स कॉम्पिटिशन में भाग लेने पहुंचे थे। अमेरिका के पेरी (जॉर्जिया) में हुए इस ग्लोबल कॉम्पिटिशन में दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी की टीम को दूसरा स्थान मिला है। टीम को पुरस्कार के तौर पर 1.5 लाख डॉलर (भारतीय रुपयों में करीब ₹1.32 करोड़) मिले हैं।
कॉम्पिटिशन के दौरान एक ड्रिल में तीनों रोवर्स ने 30x30 मीटर के क्रैश साइट पर 25–30 घायलों की पहचान और जांच की। टीम के प्रमुख चिराग सहगल के अनुसार, 'यह रोवर किसी घायल से बात करके महज एक मिनट में उसकी मेडिकल रिपोर्ट तैयार करके डॉक्टर तक भेज सकता है। यह रोवर रात में भी काम कर सकता है।'
भारतीय सेना ने भी की सराहनाभारतीय सेना और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (NIDM) के पूर्व अधिकारी ने भी DTU स्टूडेंट्स के इस इनोवेशन की सरहाना की है। NIDM के पूर्व कार्यकारी निदेशक प्रो. संतोष कुमार ने कहा, 'स्टूडेंट्स द्वारा तैयार किया गया यह ट्रायेज रोबोटिक सिस्टम भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण इनोवेशन है। भारत में डिजास्टर मैनेजमेंट और मेडिकल इमरजेंसी सेवाओं के लिए इसका इस्तेमाल बेहद काम आएगा। इससे न सिर्फ घायलों को मदद मिलेगी, बल्कि जान-माल को जोखिम भी कम होगा। ऐसे इनोवेशन जटिल या खतरनाक इलाकों में पीड़ितों को ढूंढने और इलाज करने के तरीके को पूरी तरह बदल सकते हैं।'
अब यूएएस-डीटीयू 2026 में परचम लहराना हैचैलेंज इवेंट 2 में अपनी सफलता के बाद, टीम अब यूएएस-डीटीयू 2026 में होने वाले चैलेंज इवेंट 3 की तैयारी कर रही है। इस इवेंट में टीम अपने ट्रायेज सिस्टम को और बेहतर बनाएंगी। इसके अलावा टीम भारत में स्वास्थ्य सेवा और रक्षा संगठनों के साथ मिलकर काम कर सकती है।
आपदा में रियल टाइम मेडिकल सिस्टमरोबोटिक रोवर और ड्रोन के इस्तेमाल से रियल टाइम मेडिकल सिस्टम तैयार किया गया है। सबसे पहले ड्रोन आपदा या हादसे की जगह का मैप तैयार करेगा। ऊपर से घालयों की लोकेशन पता लगाई जाएगी। इसके बाद रोबोटिक रोवर घायलों तक पहुंचेगा, उन से बात करने की कोशिश करेगा और रियल टाइम में मेडिकल रिपोर्ट तैयार करके डॉक्टर्स तक भेजी जाएंगी। इस सिस्टम में डीप लर्निंग मॉडल का इस्तेमाल किया गया है। इसमें RGB कैमरा, LiDAR, इन्फ्रारेड और रडार सेंसर लगे हैं, जो घायलों के शरीर के इशारे और छोटी से छोटी हलचल को पहचान सकेंगे।
घायलों की कैसे मदद करेगा DTU स्टूडेंट्स का रोबोटिक सिस्टम?यह सिस्टम DTU के अनमैन्ड एरियल सिस्टम (UAS) यूनिट के स्टूडेंट्स ने डिजाइन किया है। 25 स्टूडेंट्स की टीम का रोबोटिक रोवर और ड्रोन सिस्टम आपदा, युद्ध और हादसों के दौरान घायलों तक तुरंत मेडिकल सुविधा पहुंचा सकेगा।
दरअसल, रोवर में ऐसे सेंसर लगे हैं जो घायल व्यक्ति का ब्लड सर्कूलेशन, सांसों की स्पीड, जवाब देने की क्षमता और चोट की गहराई जैसी चीजों का कुछ ही मिनटों में पता लगाकर एक रिपोर्ट तैयार कर सकता है। इस दौरान चाहे धुआं हो या कम रोशनी हो। इससे न सिर्फ घायलों की तुरंत जांच हो सकेगी, बल्कि घायलों का एनालिसिस करके गंभीर, मीडियम या स्थिर कैटेगरी में बांट जा सकेगा। ताकि बिना ज्यादा समय गवाएं सभी को उचित इलाज मिल सके।
विदेशी धरती पर भारतीय छात्रों की प्रतिभा का डंकादिल्ली के स्टूडेंट्स की प्रतिभा का डंका विदेशी धरती पर बज रहा है। भारतीय स्टूडेंट्स ने अमेरिका की डिफेंस एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट एजेंसी (DARPA) एक कॉम्पिटिशन में दूसरा स्थान हासिल किया है, जहां दुनियाभर से टेक एक्सपर्ट्स और स्टूडेंट्स कॉम्पिटिशन में भाग लेने पहुंचे थे। अमेरिका के पेरी (जॉर्जिया) में हुए इस ग्लोबल कॉम्पिटिशन में दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी की टीम को दूसरा स्थान मिला है। टीम को पुरस्कार के तौर पर 1.5 लाख डॉलर (भारतीय रुपयों में करीब ₹1.32 करोड़) मिले हैं।
कॉम्पिटिशन के दौरान एक ड्रिल में तीनों रोवर्स ने 30x30 मीटर के क्रैश साइट पर 25–30 घायलों की पहचान और जांच की। टीम के प्रमुख चिराग सहगल के अनुसार, 'यह रोवर किसी घायल से बात करके महज एक मिनट में उसकी मेडिकल रिपोर्ट तैयार करके डॉक्टर तक भेज सकता है। यह रोवर रात में भी काम कर सकता है।'
भारतीय सेना ने भी की सराहनाभारतीय सेना और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (NIDM) के पूर्व अधिकारी ने भी DTU स्टूडेंट्स के इस इनोवेशन की सरहाना की है। NIDM के पूर्व कार्यकारी निदेशक प्रो. संतोष कुमार ने कहा, 'स्टूडेंट्स द्वारा तैयार किया गया यह ट्रायेज रोबोटिक सिस्टम भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण इनोवेशन है। भारत में डिजास्टर मैनेजमेंट और मेडिकल इमरजेंसी सेवाओं के लिए इसका इस्तेमाल बेहद काम आएगा। इससे न सिर्फ घायलों को मदद मिलेगी, बल्कि जान-माल को जोखिम भी कम होगा। ऐसे इनोवेशन जटिल या खतरनाक इलाकों में पीड़ितों को ढूंढने और इलाज करने के तरीके को पूरी तरह बदल सकते हैं।'
अब यूएएस-डीटीयू 2026 में परचम लहराना हैचैलेंज इवेंट 2 में अपनी सफलता के बाद, टीम अब यूएएस-डीटीयू 2026 में होने वाले चैलेंज इवेंट 3 की तैयारी कर रही है। इस इवेंट में टीम अपने ट्रायेज सिस्टम को और बेहतर बनाएंगी। इसके अलावा टीम भारत में स्वास्थ्य सेवा और रक्षा संगठनों के साथ मिलकर काम कर सकती है।
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