नई दिल्ली: भारत की कच्चे तेल (क्रूड) और प्राकृतिक गैस के आयात पर निर्भरता वित्त वर्ष 2024-25 में और बढ़ गई है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि खपत की बढ़ोतरी और घरेलू उत्पादन के बीच का अंतर बढ़ता गया। पेट्रोलियम मंत्रालय के नए आंकड़ों के अनुसार, पूरे वित्तीय वर्ष के लिए देश की तेल आयात निर्भरता एक और रिकॉर्ड ऊंचे स्तर पर पहुंच गई। वहीं, प्राकृतिक गैस के आयात पर निर्भरता चार साल के ऊंचे स्तर पर थी। पेट्रोलियम मंत्रालय के पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल (PPAC) के अस्थायी आंकड़ों के अनुसार, मार्च में समाप्त वित्तीय वर्ष के लिए भारत की तेल आयात निर्भरता 88.2 फीसदी थी, जो पिछले वित्तीय वर्ष (वित्त वर्ष 2023-24) में 87.8 फीसदी थी। प्राकृतिक गैस के मामले में आयात निर्भरता वित्त वर्ष 2024-25 में 50.8 फीसदी थी, जो वित्त वर्ष 2023-24 में 47.1 फीसदी थी। भारत की ऊर्जा मांग तेजी से बढ़ रही है। इसके चलते क्रूड और प्राकृतिक गैस का आयात बढ़ा है। यह ऊर्जा-गहन उद्योगों के विकास, वाहनों की बिक्री में बढ़ोतरी, तेजी से बढ़ते विमानन क्षेत्र, पेट्रोकेमिकल्स की बढ़ती खपत और बढ़ती आबादी जैसे फैक्टर्स से प्रेरित है। सरकार भारत के आयातित कच्चे तेल पर निर्भरता को कम करना चाहती है। लेकिन, पेट्रोलियम उत्पादों की लगातार बढ़ती मांग के सामने सुस्त घरेलू तेल उत्पादन सबसे बड़ी बाधा रही है। भारत को अगर सुपरपावर बनना है तो उसे इस निर्भरता को कम करना होगा। आज जितने भी शक्तिशाली देश हैं, ऊर्जा पर उनकी निर्भरता कम या बिल्कुल नहीं है। बढ़ रही हैं भारत की ऊर्जा जरूरतें भारत की ऊर्जा जरूरतें लगातार बढ़ रही हैं। इसलिए हमें दूसरे देशों से तेल और गैस ज्यादा मंगवानी पड़ रही है। पेट्रोलियम मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि तेल और गैस के मामले में हम पहले से ज्यादा दूसरों पर निर्भर हो गए हैं।कच्चे तेल के मामले में हम 88.2% तक आयात पर निर्भर हो गए हैं। पिछले साल यह आंकड़ा 87.8% था। इसी तरह प्राकृतिक गैस के मामले में हम 50.8% तक आयात पर निर्भर हैं, जो पिछले साल 47.1% था।भारत में तेल और गैस की मांग बढ़ने के कई कारण हैं। जैसे-जैसे उद्योग बढ़ रहे हैं, लोग गाड़ियां ज्यादा खरीद रहे हैं, हवाई जहाज से ज्यादा यात्रा कर रहे हैं और प्लास्टिक जैसी चीजों का इस्तेमाल बढ़ रहा है। इन सब चीजों के लिए तेल और गैस की जरूरत होती है।पिछले कुछ सालों से भारत की तेल आयात पर निर्भरता लगातार बढ़ रही है। सिर्फ वित्त वर्ष 2020-21 में यह थोड़ी कम हुई थी, क्योंकि कोरोना महामारी के कारण मांग कम हो गई थी। भारत दुनिया में कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है। इसलिए, जब हम तेल के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहते हैं तो दुनिया में तेल की कीमतों में बदलाव का सीधा असर भारत पर पड़ता है। इससे देश का व्यापार घाटा, विदेशी मुद्रा भंडार, रुपये की कीमत और महंगाई दर भी प्रभावित होती है। क्या है सरकार की मंशा?सरकार चाहती है कि भारत दूसरे देशों से कम तेल खरीदे। लेकिन, देश में तेल का उत्पादन कम हो रहा है और लोगों को तेल की जरूरत बढ़ती जा रही है। इसलिए, सरकार के लिए यह मुश्किल हो रहा है। जहां तक प्राकृतिक गैस की बात है तो सरकार चाहती है कि देश में इसका इस्तेमाल बढ़े। सरकार चाहती है कि 2030 तक देश की ऊर्जा में प्राकृतिक गैस का हिस्सा 6% से बढ़कर 15% हो जाए।सरकार प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल बढ़ाना चाहती है, भले ही इसके लिए हमें इसे दूसरे देशों से ज्यादा मंगवाना पड़े। इसकी वजह यह है कि प्राकृतिक गैस कच्चे तेल और कोयले जैसे दूसरे ईंधनों की तुलना में कम प्रदूषण करती है। साथ ही, यह तेल से सस्ती भी होती है। इसे एक अच्छा 'ट्रांजिशन फ्यूल' माना जाता है।हालांकि, सरकार यह भी चाहती है कि भारत की तेल और गैस कंपनियां देश में ही प्राकृतिक गैस का उत्पादन बढ़ाएं, ताकि हमें इसे दूसरे देशों से कम मंगवाना पड़े। वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत ने 242.4 मिलियन टन कच्चा तेल आयात किया, जबकि वित्त वर्ष 2023-24 में यह आंकड़ा 234.3 मिलियन टन था। वहीं, देश में तेल का उत्पादन थोड़ा कम होकर 28.7 मिलियन टन हो गया, जो वित्त वर्ष 2023-24 में 29.4 मिलियन टन था। कच्चे तेल के आयात पर भारत ने लगभग $137 अरब खर्च किए, जो पिछले साल से 3% ज्यादा है। प्राकृतिक गैस का आयात 15.4% बढ़कर 36.7 अरब क्यूबिक मीटर (bcm) हो गया, जिस पर $15.2 अरब खर्च हुए। पिछले साल यह आंकड़ा $13.4 अरब था।वित्तीय वर्ष 2024-25 में देश में प्राकृतिक गैस का उत्पादन 35.6 bcm था, जो FY24 में 35.7 bcm था। वित्तीय वर्ष 2014-25 में देश में पेट्रोलियम उत्पादों की कुल खपत 239.2 मिलियन टन थी, जिसमें से सिर्फ 28.2 मिलियन टन तेल देश में ही बना था। इसका मतलब है कि हम सिर्फ 11.8% तक ही आत्मनिर्भर थे। प्राकृतिक गैस की बात करें तो FY25 में देश में इसकी कुल खपत 72.3 bcm थी, जबकि 36.7 bcm गैस दूसरे देशों से मंगवाई गई थी।2015 में सरकार ने लक्ष्य रखा था कि 2022 तक तेल के आयात पर निर्भरता को 2013-14 के 77% से घटाकर 67% कर दिया जाएगा। लेकिन, इसके बाद से यह निर्भरता और बढ़ गई है।सरकार लगातार कोशिश कर रही है कि तेल के आयात को कम किया जाए। इसके लिए सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं, ताकि भारत में तेल और गैस की खोज और उत्पादन में निवेश को बढ़ावा दिया जा सके। तेल के आयात को कम करना सरकार की उन योजनाओं का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिनके तहत इलेक्ट्रिक गाड़ियां, बायोफ्यूल और दूसरे वैकल्पिक ईंधनों को बढ़ावा दिया जा रहा है।हालांकि, इलेक्ट्रिक गाड़ियों का इस्तेमाल बढ़ रहा है और बायोफ्यूल को पेट्रोल-डीजल में मिलाया जा रहा है, लेकिन यह पेट्रोलियम की बढ़ती मांग को कम करने के लिए काफी नहीं है।
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