हिमाचल प्रदेश सरकार ने स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक और दूरगामी फैसला लेते हुए राज्य के सरकारी स्कूलों में CBSE (Central Board of Secondary Education) पाठ्यक्रम लागू करने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह बदलाव चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा और आगामी शैक्षणिक सत्र से इसे लागू किया जाएगा।
यह फैसला न केवल शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार की दिशा में उठाया गया कदम है, बल्कि इससे राज्य के छात्रों को राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं के लिए भी बेहतर तैयारी का अवसर मिलेगा।
फैसले का उद्देश्य: शिक्षा में गुणवत्ता और समानता
राज्य सरकार का मानना है कि CBSE पाठ्यक्रम अपनाने से छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे NEET, JEE, CUET आदि में सफलता पाने में मदद मिलेगी। साथ ही, इससे राज्य के छात्रों को राष्ट्रीय स्तर की शिक्षा प्रणाली से जोड़ा जा सकेगा।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस फैसले की जानकारी देते हुए कहा,
“हमारी सरकार शिक्षा को केवल डिग्री का माध्यम नहीं, बल्कि समग्र विकास का आधार मानती है। CBSE पाठ्यक्रम से न केवल छात्रों की बौद्धिक क्षमता में वृद्धि होगी, बल्कि शिक्षक प्रशिक्षण और मूल्यांकन प्रणाली भी सुदृढ़ होगी।”
किन स्कूलों में होगा लागू?
सरकारी सूत्रों के अनुसार, पहले चरण में राज्य के कुछ प्रमुख मॉडल स्कूलों और नवोदय जैसी संरचना वाले सरकारी स्कूलों में CBSE पाठ्यक्रम लागू किया जाएगा। बाद में इसकी समीक्षा कर इसे अन्य सरकारी स्कूलों में भी विस्तार दिया जाएगा।
वर्तमान में हिमाचल के अधिकांश सरकारी स्कूलों में HPBOSE (हिमाचल प्रदेश बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन) का पाठ्यक्रम पढ़ाया जाता है। CBSE पाठ्यक्रम की ओर यह संक्रमण राज्य की शैक्षणिक दिशा में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है।
शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण अनिवार्य
CBSE पाठ्यक्रम की बारीकियों को समझने और बेहतर पढ़ाई सुनिश्चित करने के लिए शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। शिक्षा विभाग इस संबंध में एक व्यापक कार्ययोजना तैयार कर रहा है जिसमें शिक्षकों को नई पद्धतियों, मूल्यांकन तरीकों और पाठ्यक्रम के अनुरूप शिक्षण तकनीकों की जानकारी दी जाएगी।
छात्रों और अभिभावकों की मिली-जुली प्रतिक्रिया
जहां कुछ अभिभावकों और छात्रों ने इस फैसले का स्वागत किया है, वहीं कुछ वर्गों में इसे लेकर संशय भी व्यक्त किया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों के कुछ छात्रों और शिक्षकों को भाषा व संसाधनों की समस्या आने की संभावना जताई जा रही है।
हालांकि, शिक्षा विभाग का कहना है कि वह इस संक्रमण को स्मूद और समावेशी बनाने के लिए हर जरूरी कदम उठाएगा।
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