लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने अगली जनगणना में जातिगत गणना कराए जाने के केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए बुधवार को कहा कि वह इसका समर्थन करते हैं, लेकिन सरकार को बताना चाहिए कि यह किस तिथि तक होगी और कैसे कराई जाएगी। मोदी सरकार ने बुधवार को कैबिनेट बैठक में फैसला किया कि आगामी जनगणना में जातिगत गणना को ‘पारदर्शी’ तरीके से शामिल किया जाएगा।
केंद्र सरकार के इस फैसले पर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा, "संसद में हमने कहा था कि जाति जनगणना करवाएंगे और 50 फीसदी आरक्षण की सीमा को हटाएंगे। अब केंद्र सरकार ने जाति जनगणना कराने का ऐलान किया है, तो हम इसका समर्थन करते हैं। लेकिन हम यह भी जानना चाहते हैं कि ये जनगणना कब कराई जाएगी और इसकी प्रक्रिया क्या होगी।
राहुल गांधी ने कहा, नरेन्द्र मोदी जी ने कहा था कि सिर्फ चार जातियां (गरीब, मध्यम वर्ग, अमीर और बहुत अमीर), लेकिन इन चारों के भीतर भी कौन कहां खड़ा है, यह जानने के लिए जातिगत आंकड़े जरूरी हैं। जाति जनगणना पहला कदम है। हमें इससे आगे भी बढ़ना होगा। लेकिन पता नहीं क्या हुआ कि 11 साल बाद इसकी घोषणा की गई।
राहुल गांधी ने कहा कि इसमें समयसीमा होनी चाहिए...हमें तिथि बताई जाए। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार को यह भी बताना चाहिए कि यह जातिगत गणना किस प्रकार से होगी। उन्होंने सरकार को सलाह देते हुए कहा कि तेलंगाना का जातिगत सर्वेक्षण जातिगत गणना का एक मॉडल है। केंद्र सरकार तेलंगाना सरकार की तरह तेज, पारदर्शी और समावेशी जाति सर्वे मॉडल अपनाए।
राहुल गांधी ने जातिगत जनगणना पर सरकार को सलाह देते हुए दोहराया कि जातिगत आंकड़ों के आधार पर 50 फीसदी आरक्षण की वर्तमान संवैधानिक सीमा को हटाना जरूरी होगा ताकि न्यायसंगत हिस्सेदारी सुनिश्चित की जा सके। साथ ही राहुल गांधी ने कहा कि सरकारी संस्थानों की तरह ही निजी संस्थानों में भी आरक्षण लागू होना चाहिए।
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