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गर्दन का दर्द हिला सकता है शरीर का संतुलन, एक्सरसाइज से मिलेगा मिनटों में आराम

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New Delhi, 30 अक्टूबर . आज की जीवनशैली में सबसे ज्यादा परेशानी सिर्फ और सिर्फ गर्दन को झेलनी पड़ती है, क्योंकि सारा काम कंप्यूटर के जरिए होने लगा है, जिससे गर्दन की गतिविधि कम होती है और गर्दन और सिर से जुड़ी दिक्कतें परेशान करने लगती हैं. ऐसे में हल्के व्यायाम के जरिए गर्दन से जुड़ी परेशानियों से निजात पाया जा सकता है.

गर्दन शरीर का सबसे संवेदनशील हिस्सा है, जो रीढ़ की हड्डी और मस्तिष्क के बीच संचार को बनाए रखने में मदद करता है. गर्दन मस्तिष्क का भार उठाती है और शरीर को लचीलापन देते हुए गतिविधि में मदद करती है, लेकिन ज्यादा समय तक गर्दन का एक ही स्थिति में रहना दिक्कत कर सकता है.

इसका प्रभाव सिर्फ गर्दन तक सीमित नहीं रहता, बल्कि सिर, कंधे और रीढ़ की हड्डी को भी प्रभावित करता है. परेशानी होने पर गर्दन में अकड़न, सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस, सर्वाइकल स्पाइनल स्टेनोसिस, चक्कर आना, गर्दन की डिस्क में परेशानी होना और रुमेटीइड गठिया शामिल है. ज्यादा खराब स्थिति होने पर गर्दन का मोड़ पाना और हाथों को हिला पाना तक मुश्किल हो जाता है.

ऐसी परेशानी न हो, इसलिए रोजाना योग का सहारा लेना चाहिए, जिससे गर्दन में लचीलापन बढ़ता है. सिर व रीढ़ की हड्डी में रक्त का संचार अच्छा रहता है, तनाव कम होता है और कंधे के दर्द में भी आराम मिलता है. इसके लिए सुबह की शुरुआत स्ट्रेचिंग से करें और गर्दन की एक्सरसाइज करें. पहले गर्दन को धीरे-धीरे चारों दिशाओं की तरफ घुमाएं और फिर गोल घुमाने की कोशिश करें. अगर गोल घुमाने में चक्कर जैसा महसूस हो तो एक्सरसाइज न करें.

इसके अलावा भुजंगासन (कोबरा पोज़), कैट-काउ पोज, त्रिभुज आसन, चाइल्ड पोज या बालासन कर सकते हैं. इन एक्सरसाइज को करने से गर्दन में दर्द में आराम मिलेगा. साथ ही मस्तिष्क और गर्दन के बीच रक्त का संचार अच्छा होगा. थायरायड की ग्रंथि भी गर्दन के आगे वाले हिस्से गले में मौजूद है, जो शरीर के लगभग सारे हार्मोन और अंगों के सही संचालन में मदद करती है. गर्दन की एक्सरसाइज करने पर थायरायड ग्रंथि में रक्त का संचार अच्छा रहेगा और हार्मोन का सही उत्पादन होगा.

एक्सरसाइज के साथ-साथ मालिश के जरिए भी गर्दन के दर्द और होने वाले रोगों से राहत पाई जा सकती है. गर्दन और कंधों के आस-पास गुनगुने तेल से मालिश करनी चाहिए. ऐसा करने से मांसपेशियों में जकड़न कम होगी और रक्त का संचार अच्छे से होगा. मालिश के लिए जैतून का तेल, बादाम का तेल और सरसों के तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है.

पीएस/वीसी

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