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खालिस्तानी आतंकी पन्नू का अमेरिकी टैरिफ के समर्थन में बयान पंजाब विरोधी, सिखों से विश्वासघात: रिपोर्ट

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वाशिंगटन, 17 अगस्त . खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू के भारत विरोधी बयानों पर सिख समुदाय ने सख्त ऐतराज जताया है. गुरपतवंत सिंह पन्नू ने हाल ही में भारत पर लगाए गए अमेरिकी टैरिफ का न सिर्फ समर्थन किया, बल्कि इसमें 500 प्रतिशत बढ़ोतरी का सुझाव दिया. एक रिपोर्ट में पन्नू के इस बयान को ‘नौटंकी’ करार देते हुए सिखों के ही आर्थिक हितों के खिलाफ बताया.

खालसा वॉक्स की रिपोर्ट में कहा गया, “एक ऐसा शख्स जो सिख अधिकारों का समर्थक होने का दावा करता है, आखिर वह ऐसी नीति का समर्थन कैसे कर सकता है जो पंजाब के मेहनती सिख किसानों और डेयरी श्रमिकों के जीवन को सीधे तौर पर खतरे में डालती हो? पन्नू का ये रवैया वाकई सबको हैरान करने वाला है.”

इसमें आगे कहा गया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ को समर्थन ‘सिख या पंजाब समर्थक नहीं,’ बल्कि विश्वासघात है.

पंजाब की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि और डेयरी पर आधारित है. मुख्य रूप से बासमती चावल, वस्त्र और प्रोसेस्ड फूड जैसे उत्पाद भारत की ओर से अमेरिका को निर्यात किए जाते हैं. अमेरिकी टैरिफ से ये उत्पाद वहां महंगे दामों में बिकेंगे. इसके अलावा, अगर भारत टैरिफ के कारण अपने कृषि बाजारों को खोलता है, तो अमेरिकी डेयरी और कृषि दिग्गज भारतीय बाजारों में प्रवेश करेंगे.

रिपोर्ट में कहा गया है, “भारी सब्सिडी के सहारे अमेरिकी डेयरी और कृषि दिग्गज पंजाब के छोटे सिख किसानों और अमूल जैसी सहकारी समितियों को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इसका न सिर्फ आर्थिक नुकसान होगा, बल्कि यह उन सांस्कृतिक परंपराओं के लिए भी खतरा पैदा करता है जो सिख पहचान को जमीन और खेती से जोड़ती हैं.”

इसमें कहा गया है कि डेयरी उद्योग पंजाब की रीढ़ है. सिख पीढ़ियों से इस पर निर्भर हैं. अगर अमेरिकी कंपनियां कब्जा कर लेती हैं, तो इन छोटे किसानों का क्या होगा? सिख आत्मनिर्भरता का वादा (जिसका अक्सर पन्नू खुद हवाला देता है) सस्ते आयात के बोझ तले दब जाएगा.

खालसा वॉक्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “पन्नू का रुख एक विरोधाभास को उजागर करता है. उसके भाषणों में भारत-विरोधी भावना झलकती है. नीतियां सिखों को आर्थिक नुकसान पहुंचाने वाली हैं.

पंजाब के किसानों को कमजोर करने वाले ट्रेड वॉर का समर्थन करके वह सामुदायिक उत्थान की बजाय राजनीतिक बदले की भावना को प्राथमिकता देता है. अगर उसकी वफादारी सचमुच पंजाब के साथ है, तो वह सिखों की आजीविका को खतरे में डालने वाली नीतियों का समर्थन क्यों करता है? इसका जवाब साफ है कि पन्नू के लिए भारत-विरोधी ड्रामा सिखों की भलाई से ज्यादा मायने रखता है.”

इसमें कहा गया है कि पंजाब का भविष्य उन नीतियों में निहित है जो किसानों की रक्षा करती हैं, डेयरी सहकारी समितियों को मजबूत करती हैं और निष्पक्ष व्यापार सुनिश्चित करती हैं, न कि ऐसे राजनीतिक दिखावे में जो निजी एजेंडे के लिए आजीविका का बलिदान कर देते हैं.

डीसीएच/केआर

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