श्रीनगर, 23 अगस्त . जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने Saturday को वादीज हिंदी शिक्षा समिति के कार्यक्रम में भाग लिया. इस दौरान उन्होंने युवाओं को संबोधित किया. इसके साथ ही उन्होंने वादीज हिंदी शिक्षा समिति की अध्यक्ष नसरीन अली निधि के प्रयासों की भी सराहना की.
उपराज्यपाल ने कहा कि पिछले वर्ष हिंदी भाषा को देश की राजभाषा के रूप में अपनाए जाने की 75वीं वर्षगांठ थी और पिछले 75 वर्षों में हिंदी देश को जोड़ने वाली भाषा बनी है. स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हिंदी को संपूर्ण देश की भावनाओं के आदान-प्रदान की भाषा माना जाता था और हमारे नीति-निर्माताओं ने इस बात पर बल दिया था कि हिंदी तथा राष्ट्र की अन्य भाषाओं के मध्य सामंजस्य हो.
उपराज्यपाल ने कहा कि भाषाओं की अनेकता, भाषाओं की विविधता हमारी सांस्कृतिक समृद्धि और विविधता में एकता का प्रतीक है. हिंदी के साथ-साथ हमें अपनी सभी भाषाओं पर गर्व होना चाहिए. अपनी मातृभाषा के अलावा अन्य भाषाओं को भी सीखना चाहिए एवं उन भाषाओं के सांस्कृतिक-साहित्यिक धरोहरों का प्रसार करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि भारत एक बहुभाषी देश है, जहां आधिकारिक रूप से 453 भाषाएं बोली जाती हैं. 453 भाषाओं के बीच हिंदी 140 करोड़ भारतवासियों को जोड़ने की कड़ी रही है. इसका यह मतलब नहीं है कि मातृभाषा को प्रोत्साहन न दिया जाए. मेरा मानना है कि हिंदी के साथ-साथ हमें अपनी सभी भाषाओं पर गर्व होना चाहिए और हमें सभी भाषाओं का सम्मान करना चाहिए. आज सिर्फ भाषा सीखना महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि भाषाई सद्भाव बनाकर कैसे रखा जाए, यह सीखने की आवश्यकता है. सभी छात्रों के लिए सिर्फ हिंदी सीखना आवश्यक नहीं है, बल्कि उन्हें यह भी सीखना चाहिए कि विभिन्न भाषाओं, संस्कृतियों के बीच आपसी समझ और सम्मान का होना जरूरी है ताकि हम एक साथ मिलकर विविधता में एकता की ताकत से देश की तरक्की में योगदान दे सकें.
उपराज्यपाल ने 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा में हुई चर्चा का उदाहरण देते हुए कहा कि जब भारत में राजभाषा के चयन पर बहस हो रही थी तब हिंदी को सबसे अधिक समर्थन ऐसे क्षेत्रों से मिला था, जहां हिंदी नहीं बोली जाती थी. संविधान सभा में बहस से पहले तमिलनाडु से महाकवि सुब्रमण्यम भारती ने सबसे पहले आवाज उठाई थी कि हिंदी देश की राजभाषा होनी चाहिए. गुजरात, बंगाल, महाराष्ट्र से भी अनेक महान स्वतंत्रता सेनानियों ने एक स्वर से हिंदी का समर्थन किया था. हमारे नीति-निर्माताओं के लिए हिंदी राष्ट्र की अस्मिता और उसकी पहचान से जुड़ी थी. वे हिंदी को वह समन्वय एवं सामंजस्य के धागे के रूप में देखते थे, जिसने सांस्कृतिक विरासत में मौजूद विविधता को अधिक समृद्ध बनाया है.
कार्यक्रम में संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव बृजमोहन शर्मा, जेके बैंक के प्रबंध निदेशक और सीईओ अमिताव चटर्जी, परमवीर चक्र विजेता मानद कैप्टन योगेंद्र सिंह यादव, केंद्रीय विद्यालय संगठन, जम्मू संभाग के उपायुक्त नागेंद्र गोयल, वादीज हिंदी शिक्षा समिति की अध्यक्ष नसरीन अली निधि और छात्र-छात्राएं मौजूद थे.
वादीज हिंदी शिक्षा समिति ने इस वर्ष जून-जुलाई में चार केंद्रीय विद्यालयों में विभिन्न गतिविधियों से कक्षा 6 और 10 के छात्रों में हिंदी भाषा के प्रति रुचि उत्पन्न करने का अभियान चलाया था.
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पीएसके/एबीएम
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