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नासिक और देवास में भारत की विजय के लिए यज्ञ और हनुमान चालीसा पाठ का आयोजन

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नासिक, 10 मई . अखिल भारतीय संत समिति और धर्म समाज के महाराष्ट्र प्रमुख डॉ. अनिकेत शास्त्री महाराज के नेतृत्व में नासिक के स्वामी अनिकेत जी शास्त्री के आश्रम में ‘युद्ध विजय यज्ञ’ का भव्य आयोजन किया गया.

इस यज्ञ का मुख्य उद्देश्य विश्व शांति की स्थापना और भारत की विजय के लिए प्रार्थना करना था. इस अवसर पर हवन और यज्ञ के माध्यम से शांति और समृद्धि की कामना की गई. आयोजन में बड़ी संख्या में श्रद्धालु और संत-महात्मा शामिल हुए, जिन्होंने एक स्वर में विश्व कल्याण की प्रार्थना की.

डॉ. अनिकेत शास्त्री महाराज ने अपने संदेश में कहा, “यह युद्ध विजय यज्ञ विश्व शांति और भारत की विजय के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है. आज के समय में जब विश्व कई चुनौतियों का सामना कर रहा है, ऐसे में यह धार्मिक आयोजन समाज में सकारात्मकता और एकता का संदेश देता है. भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक शक्ति विश्व शांति का आधार बने, यही हमारी कामना है. यज्ञ न केवल धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि समाज को एकजुट करने और नैतिक मूल्यों को मजबूत करने का माध्यम भी है.”

वहीं, मध्य प्रदेश के देवास में भी भारत की विजय और सैनिकों की सुरक्षा के लिए एक विशेष धार्मिक आयोजन किया गया. प्रसिद्ध खेड़ापति हनुमान मंदिर में भारतीय सेना के पूर्व सैनिकों ने हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ किया. इस आयोजन में रिटायर्ड फौजियों ने भारतीय सैनिकों की सफलता और उनकी सुरक्षा के लिए पूजा-अर्चना की. पूर्व सैनिकों ने बताया कि वर्तमान में भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव को देखते हुए यह आयोजन विशेष रूप से आयोजित किया गया.

कुछ पूर्व सैनिक 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध और कारगिल युद्ध में हिस्सा ले चुके हैं. उन्होंने भगवान हनुमान से प्रार्थना की कि भारतीय सेना पाकिस्तान पर विजय प्राप्त करे और देश की सीमाएं सुरक्षित रहें. एक पूर्व सैनिक ने कहा, “हमने अपनी जवानी में देश की सेवा की है. आज भले ही हम रिटायर हो चुके हैं, लेकिन हमारा मन और आत्मा अभी भी देश के साथ है. हमारी प्रार्थना है कि हमारे सैनिक हर चुनौती में विजयी हों.”

देवास के खेड़ापति हनुमान मंदिर में इस आयोजन के दौरान स्थानीय लोगों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. मंदिर परिसर में हनुमान चालीसा के पाठ के साथ-साथ भक्ति भजनों का आयोजन भी किया गया, जिसने वातावरण को और अधिक भक्तिमय बना दिया. स्थानीय लोगों ने पूर्व सैनिकों के इस प्रयास की सराहना की और इसे देशभक्ति और आध्यात्मिकता का अनूठा संगम बताया.

एकेएस/एएस

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