नई दिल्ली, 14 मई . पूर्व अमेरिकी सैनिक, लेखक और सैन्य विश्लेषक जॉन स्पेंसर ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को भारत की बड़ी जीत बताया है. उन्होंने कहा कि चार दिनों की सोची-समझी कार्रवाई में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने न केवल अपने रणनीतिक उद्देश्यों को पूरा किया, बल्कि यह उससे आगे भी निकल गया.
जॉन स्पेंसर ने अपने ‘एक्स’ अकाउंट पर भारतीय सेना की कार्रवाई को लेकर एक पोस्ट लिखा है. उन्होंने बताया, “केवल चार दिनों की सटीक सैन्य कार्रवाई के बाद यह निष्पक्ष रूप से स्पष्ट है कि भारत ने एक बड़ी जीत हासिल की, जिसमें आतंकवादी ढांचे को नष्ट करना, सैन्य श्रेष्ठता का प्रदर्शन करना, प्रतिरोध को बहाल करना और एक नई राष्ट्रीय सुरक्षा सिद्धांत का अनावरण करना जैसी अहम चीजें शामिल रहीं.”
जॉन ने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ फिलहाल एक संवेदनशील ठहराव पर आया है, जिसे कुछ लोग युद्धविराम भी कह सकते हैं. लेकिन सैन्य अधिकारियों ने जानबूझकर इस शब्द से परहेज किया है. युद्ध के नजरिए से यह केवल विराम नहीं है, बल्कि यह एक स्पष्ट सैन्य जीत के बाद एक रणनीतिक ठहराव है. भारत ने ऑपरेशन सिंदूर को पूरी तरह से खत्म घोषित नहीं किया है.
उन्होंने पहलगाम की घटना का जिक्र करते हुए लिखा कि 22 अप्रैल, 2025 को भारत पर हमला हुआ, जब जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 26 भारतीय नागरिक मारे गए, जिनमें ज्यादातर हिंदू पर्यटक थे. पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) की शाखा द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने इसकी जिम्मेदारी ली और इसे पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) का समर्थन प्राप्त था. दशकों से यही स्थिति चली आ रही है. लेकिन, इस बार भारत ने इंतजार नहीं किया. न तो उसने अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता की अपील की और न ही कोई कूटनीतिक नोट जारी किया. भारत ने युद्धक विमान तैनात किए और 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया, जो एक तेज और सटीक सैन्य अभियान था.
जॉन स्पेंसर ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान में नौ आतंकी ठिकानों पर हमला किया, जिसमें जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा के मुख्यालय और परिचालन केंद्र शामिल थे. संदेश स्पष्ट था कि पाकिस्तानी धरती से किए गए आतंकी हमले अब युद्ध की कार्रवाई माने जाएंगे. साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई नीति को स्पष्ट किया कि भारत किसी भी परमाणु ब्लैकमेल को बर्दाश्त नहीं करेगा. भारत परमाणु ब्लैकमेल की आड़ में विकसित हो रहे आतंकवादी ठिकानों पर सटीक और निर्णायक हमला करेगा. यह केवल जवाबी कार्रवाई नहीं थी, बल्कि एक रणनीतिक नीति का अनावरण था. पीएम मोदी ने स्पष्ट किया कि आतंक और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते. पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते.
जॉन स्पेंसर ने बताया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को सोच-समझकर चरणबद्ध तरीके से क्रियान्वित किया गया. 7 मई को भारतीय सेना ने पीओके और पाकिस्तानी क्षेत्र में अंदर तक नौ सटीक हमले किए. इन हमलों में बहावलपुर, मुरीदके, मुजफ्फराबाद और अन्य स्थानों पर प्रमुख आतंकी प्रशिक्षण शिविर और लॉजिस्टिक्स केंद्र को निशाना बनाया गया था.
इसके बाद 8 मई को पाकिस्तान ने भारत के पश्चिमी राज्यों में बड़े पैमाने पर ड्रोन हमले किए. लेकिन भारत की घरेलू स्तर पर निर्मित बहुस्तरीय वायु रक्षा नेटवर्क ने लगभग सभी को बेअसर कर दिया. 9 मई को भारत ने छह पाकिस्तानी सैन्य हवाई अड्डों और ड्रोन समन्वय केंद्रों पर अतिरिक्त हमले किए.
इसके बाद 10 मई को अस्थायी रूप से गोलीबारी रोकी गई. भारत ने इसे संघर्ष विराम नहीं कहा, बल्कि सेना ने इसे “गोलीबारी रोकने” के रूप में संदर्भित किया. इन शब्दों का चुनाव जानबूझकर किया गया था, जो स्थिति पर भारत के रणनीतिक नियंत्रण को मजबूत करता है. यह केवल सामरिक सफलता नहीं थी. यह युद्ध की स्थिति में नीतिगत कार्यान्वयन था.
स्पेंसर ने आगे लिखा कि भारत को इस कार्रवाई से कुछ अहम रणनीतिक प्रभाव भी हासिल हुए. जैसे अब पाकिस्तानी धरती से होने वाले आतंकी हमलों का जवाब सैन्य बल से दिया जाएगा. इसमें ऑपरेशन सिंदूर एक मिसाल है. भारत ने पाकिस्तान में किसी भी लक्ष्य पर हमला करने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन करते हुए अपनी श्रेष्ठता को साबित किया. भारत ने जोरदार जवाब दिया और स्थिति को अपने नियंत्रण में रखा. भारत ने इस संकट को अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता की मदद के बिना ही संभाला, जो देश की संप्रभुता के अनुरूप है. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ एक सीमित कार्रवाई थी, जिसे खास उद्देश्यों के लिए अंजाम दिया गया था.
स्पेंसर ने सीजफायर के आलोचकों के लिए कहा, “जो आलोचक कहते हैं कि भारत को और आगे जाना चाहिए था, वे इस मामले को समझ नहीं पाए. रणनीतिक सफलता विनाश के पैमाने पर नहीं, बल्कि वांछित राजनीतिक प्रभाव पर निर्भर करती है. भारत प्रतिशोध के लिए नहीं लड़ रहा था, बल्कि वह प्रतिरोध के लिए लड़ रहा था और यह काम कर गया. भारत का संयम कमजोरी नहीं है, यह परिपक्वता है. भारत ने सिर्फ हमले का जवाब नहीं दिया. इसने रणनीतिक समीकरण को बदल दिया. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ अनुशासित सैन्य रणनीति का प्रदर्शन था. भारत ने हमला झेला, अपना उद्देश्य परिभाषित किया और इसे सीमित समय में हासिल किया.”
जॉन स्पेंसर ने ‘नए भारत’ की कार्रवाई की तारीफ की. उन्होंने कहा, “2008 का भारत हमले झेलता था और इंतजार करता था. यह भारत तुरंत, सटीक और स्पष्टता के साथ जवाब देता है. पीएम मोदी की नीति, भारत का बढ़ता स्वदेशी रक्षा उद्योग और इसके सशस्त्र बलों की व्यावसायिकता यह संकेत देती है कि देश अब अगले युद्ध के लिए तैयार है. अगर फिर से उकसाया गया, तो वह फिर हमला करेगा. ऑपरेशन सिंदूर एक आधुनिक युद्ध था, जो परमाणु हमले की छाया, वैश्विक ध्यान के बीच सीमित उद्देश्य के दायरे में लड़ा गया था. हर मायने में यह एक रणनीतिक सफलता थी और एक निर्णायक भारतीय जीत थी.
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एफएम/एएस
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