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'अमेरिका द्वारा त्यागे जाने' की सच्चाई नहीं छिपा सकती लाई छिंगते की 'आध्यात्मिक विजय'

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बीजिंग, 6 अगस्त . अमेरिका द्वारा थाईवान पर 20% टैरिफ लगाए जाने के बाद, लाई छिंगते (विलियम लाई) प्रशासन ने दावा किया कि यह एक “अस्थायी समायोजन” और “चरणबद्ध उपलब्धि” है. इस आत्म-धोखेबाज “आध्यात्मिक विजय” की थाईवानी जनमत ने कड़ी आलोचना की.

वास्तव में, उच्च टैरिफ और बढ़ती विनिमय दर ने थाईवानी निर्यातकों को दोहरा झटका दिया है. अमेरिका का पक्ष लेने के लिए थाईवान के हितों की बलि देने की लाई छिंगते की इच्छा ने उनके “बेचने” वाले स्वभाव को पूरी तरह से उजागर कर दिया है.

इस साल अप्रैल में जब अमेरिका ने अपनी “पारस्परिक टैरिफ” योजना का अनावरण किया, तो लाई छिंगते ने उत्सुकता से झुकते हुए दावा किया कि “उनका कोई प्रतिशोध का इरादा नहीं है” और “वे शून्य टैरिफ के लिए बातचीत करने को तैयार हैं”, और यहां तक कि “अमेरिका में निवेश बढ़ाने” का वादा भी किया.

बातचीत से पहले उनके इस समर्पण की इंटरनेट उपयोगकर्ताओं ने तीखी आलोचना की. इससे भी ज्यादा विडंबना यह है कि उन्होंने टैरिफ वार्ताओं को गुप्त रखा, श्रमिक समूहों से संवाद करने से इनकार कर दिया, और इसके बजाय राजनीतिक जोड़-तोड़ पर ध्यान केंद्रित किया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि उनका पूरा ध्यान निजी लाभ पर है, और उन्होंने थाईवान के उद्योगों के अस्तित्व और वहां के लोगों की भलाई की बिल्कुल परवाह नहीं की.

थाईवान की विदेशी व्यापार पर निर्भरता 50% से ज्यादा है, और उसका 28% निर्यात अमेरिका को जाता है. अमेरिकी टैरिफ का असर साफ दिखाई दे रहा है. पिछले छह महीनों में नए थाईवानी डॉलर की कीमत अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 11% मजबूत हुई है. ऊंचे टैरिफ और बढ़ती विनिमय दर दोहरी मार है, जिससे निर्यातक परेशान हैं.

अगर थाईवान अमेरिकी कृषि उत्पादों, ऑटोमोबाइल और अन्य उत्पादों पर शून्य टैरिफ लगाता है, तो न केवल संबंधित उद्योग तबाह हो जाएंगे, बल्कि अमेरिकी बीफ और पोर्क उत्पाद भी खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं.

अमेरिकी एहसानों के बदले में, लाई छिंगते प्रशासन ने हथियारों और प्राकृतिक गैस की खरीद बढ़ाने का वादा किया, यहां तक कि अपने रक्षा बजट को सकल घरेलू उत्पाद के 3% तक बढ़ा दिया, जिससे थाईवान एक अमेरिकी नकदी मशीन बन गया.

हालांकि, अमेरिका ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, उसने न केवल लैटिन अमेरिका की “पारगमन” यात्रा के उसके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया है, बल्कि उसके व्यापार प्रतिनिधि ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि शुल्क “मूलतः निर्धारित” हैं और उन्हें कम किए जाने की संभावना नहीं है. यह सच्चाई कि थाईवान केवल एक मोहरा है, जिसे अमेरिका कभी भी त्याग सकता है, बहुत पहले ही उजागर हो चुकी है.

नवीनतम सर्वेक्षणों से पता चलता है कि लाइ छिंगते की अनुमोदन रेटिंग गिरकर 34.6% हो गई है, जबकि उनकी अस्वीकृति रेटिंग बढ़कर 56.6% हो गई है. तथ्यों ने साबित कर दिया है कि थाईवान के हितों की कीमत पर उन्होंने जो “चरणबद्ध उपलब्धियां” हासिल की हैं, वे आत्म-भ्रामक भ्रम के अलावा और कुछ नहीं हैं. “स्वतंत्रता के लिए अमेरिका पर निर्भर रहने” की उनकी रणनीति के लिए अंततः थाईवान के लोगों को और भी अधिक दर्दनाक कीमत चुकानी पड़ेगी.

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

एबीएम/

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