New Delhi, 5 अक्टूबर . एक किसान परिवार का लड़का, जिसने शून्य से शिखर तक का सफर तय किया और दशकों तक एक ऐसे राज्य की राजनीति की धुरी बना रहा, जो हमेशा से ‘आया राम-गया राम’ जैसे नाटकीय घटनाक्रमों के लिए मशहूर रहा है. हम बात कर रहे हैं चौधरी भजनलाल की, जो सिर्फ तीन बार Haryana के Chief Minister ही नहीं बने, बल्कि जिन्होंने अपनी Political सूझबूझ और अद्भुत संगठन क्षमता से ‘सत्ता के गणित’ को हमेशा के लिए बदल दिया. उन्हें Haryana की सियासत का ‘चाणक्य’ कहा जाता था.
भजनलाल का जन्म 1930 में कोटली गांव में हुआ था, जो अब Pakistan में है. विभाजन की त्रासदी झेलने के बाद, उनका परिवार हिसार के आदमपुर गांव में आ बसा. शुरुआती जीवन संघर्षों से भरा था, लेकिन उनकी आंखों में एक बड़ी दुनिया को देखने का सपना था. उन्होंने अपनी Political यात्रा ग्राम पंचायत के सरपंच से शुरू की. यह वह नींव थी, जिसने उन्हें लोगों के बीच की नब्ज पहचानना सिखाया. गांव की चौपालों से शुरू हुई यह यात्रा, उन्हें जल्द ही विधानसभा के गलियारों तक ले गई. भजनलाल ने 1968 में पहली बार विधायक का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. उनकी Political कुशलता की पहली झलक तभी मिल गई थी, जब उन्होंने अपने दम पर ग्रामीण वोट बैंक में गहरी पैठ बना ली थी.
Haryana की राजनीति में तीन ‘लाल’ (भजन लाल, बंसी लाल और देवी लाल) हमेशा सुर्खियों में रहे. ये तीनों दिग्गज अलग-अलग समय पर सत्ता के केंद्र में रहे और एक-दूसरे को लगातार चुनौती देते रहे. भजनलाल का पहला Chief Minister काल 1979 में शुरू हुआ, जब देवी लाल को हटाकर उन्हें कमान सौंपी गई. इस दौरान, उन्होंने एक प्रशासक के रूप में अपनी मजबूत पकड़ स्थापित की. उन्होंने ग्रामीण विकास, कृषि और सिंचाई पर ध्यान केंद्रित किया, लेकिन जो बात उन्हें बाकियों से अलग करती थी, वह थी उनकी ‘मैनेजमेंट’ कला. वह जानते थे कि Political अस्थिरता वाले राज्य में, सत्ता में बने रहने के लिए सिर्फ काम करना काफी नहीं है. इसके लिए लगातार विधायकों का विश्वास बनाए रखना भी जरूरी है.
भजनलाल के Political जीवन का सबसे नाटकीय और अविस्मरणीय अध्याय साल 1982 में लिखा गया. उस समय विधानसभा चुनावों के बाद, किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला. देवी लाल के नेतृत्व में ‘लोकदल-भाजपा’ गठबंधन ने Government बनाने का दावा किया, लेकिन भजनलाल के पास एक अलग ही योजना थी. उन्होंने एक ही रात में बाजी पलट दी. जब लोकदल-भाजपा खेमा Government बनाने की तैयारी कर रहा था, तब भजनलाल ने अपने विरोधियों के कई विधायकों को अपने पाले में कर लिया. यह भारतीय राजनीति के इतिहास में सबसे बड़े और सबसे तेज दलबदल की घटनाओं में से एक था.
अगले दिन, Governor ने लोकदल-भाजपा गठबंधन के बजाय, भजनलाल को Chief Minister पद की शपथ दिला दी. विपक्ष स्तब्ध रह गया. इस घटना ने उन्हें ‘आया राम-गया राम’ की राजनीति का अघोषित ‘अधिष्ठाता’ बना दिया. उन्हें न सिर्फ सत्ता बचाने का, बल्कि सत्ता छीनने का भी माहिर खिलाड़ी माना जाने लगा. इस दांव ने उन्हें ‘चाणक्य’ का स्थायी तमगा दिला दिया.
भजनलाल की सफलता का एक और बड़ा कारण था Haryana के जटिल जातीय समीकरणों को साधने की उनकी क्षमता. जाट और गैर-जाट राजनीति के बीच संतुलन बिठाना Haryana में हमेशा एक चुनौती रहा है. भजनलाल (जो बिश्नोई समुदाय से आते थे) ने गैर-जाट वोटों को सफलतापूर्वक एकजुट किया, लेकिन साथ ही जाट नेताओं के साथ भी ऐसे संबंध बनाए रखे कि जब जरूरत पड़ी तो वे उनके समर्थन में आ गए.
वह विरोधियों को सीधे टक्कर देने के बजाय, उन्हें अपनी ओर खींचने या बेअसर करने की रणनीति अपनाते थे. सत्ता का सुख, कुर्सी का लालच और प्रशासनिक रियायतें. वह जानते थे कि किस विधायक को कब और क्या देना है, ताकि वह उनके वफादार बने रहें. इस प्रबंधन के चलते उनकी Governmentें अक्सर बाहरी झंझावातों के बावजूद अंदरुनी रूप से मजबूत रहती थीं.
भजनलाल 1991 में तीसरी बार Haryana के Chief Minister बने. यह कार्यकाल उनके लिए एक प्रशासक के रूप में अपनी छवि को और मजबूत करने का मौका था. उन्होंने अपने इस कार्यकाल में राज्य के बुनियादी ढांचे और कृषि विकास को प्राथमिकता दी. उनके समर्थक मानते हैं कि उन्होंने Haryana को आर्थिक और सामाजिक स्थिरता देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. खासकर, बिजली और सड़क के नेटवर्क को मजबूत करने में उनका योगदान उल्लेखनीय रहा. उन्होंने हमेशा यह सुनिश्चित किया कि उनकी नीतियों का लाभ सीधे आम आदमी तक पहुंचे, जिससे उनकी लोकप्रियता का ग्राफ कभी बहुत नीचे नहीं आया.
कांग्रेस में लंबा सफर तय करने के बाद, जब उन्हें लगा कि पार्टी में उनका कद कम हो रहा है तो उन्होंने अपने बेटे कुलदीप बिश्नोई के साथ मिलकर 2007 में अपनी खुद की पार्टी ‘Haryana जनहित कांग्रेस (एचजेसी)’ का गठन किया.
3 जून 2011 को Haryana की राजनीति का यह चमकता सितारा हमेशा के लिए अस्त हो गया.
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वीकेयू/डीकेपी
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