नई दिल्ली, 22 मई . सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को भी नए वक्फ कानून को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच के सामने केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलीलें रखीं.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने किसी भी तरह के अंतरिम आदेश का विरोध करते हुए दलील दी कि अगर अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट को लगता है कि कानून असंवैधानिक है तो कोर्ट इसे रद्द कर सकता है. लेकिन, अगर कोर्ट अंतरिम आदेश से कानून पर रोक लगाता है और इस दौरान कोई संपत्ति वक्फ को चली जाती है, तो उसे वापस पाना मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि वक्फ अल्लाह का होता है और एक बार जो वक्फ हो गया, उसे पाना आसान नहीं होगा.
सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा, “वक्फ बनाना और वक्फ को दान देना दोनों अलग हैं. यही कारण है कि मुसलमानों के लिए 5 साल की प्रैक्टिस की जरूरत रखी गई है, ताकि वक्फ का इस्तेमाल किसी को धोखा देने के लिए न किया जाए.”
तुषार मेहता ने सर्वोच्च अदालत को बताया कि मान लीजिए कि मैं हिंदू हूं और मैं वक्फ के लिए दान करना चाहता हूं, तो भी वक्फ को दान दिया जा सकता है.
सॉलिसिटर जनरल ने ट्राइबल एरिया का जिक्र करते हुए कहा, “ट्राइबल इलाकों में वक्फ संपत्तियों के बढ़ने के मामले में कोई आम व्यक्ति वहां जमीन नहीं खरीद सकता, क्योंकि राज्य का कानून इसकी अनुमति नहीं देता. लेकिन, अगर वही व्यक्ति वक्फ करना चाहे तो वक्फ करने के बाद मुतवल्ली (ट्रस्टी या देखभाल करने वाला) जो चाहे कर सकता है. यह व्यवस्था इतनी खतरनाक है, जिस पर रोक लगाए जाने की जरूरत है.”
तुषार मेहता ने बेंच के सामने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट अपने एक फैसले में कह चुका है कि संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत वक्फ अपने आप में राज्य है. ऐसे में यह दलील नहीं दी जा सकती कि इसमें किसी एक संप्रदाय के लोग ही शामिल होंगे.
बता दें कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बुधवार को सरकार का पक्ष रखते हुए कहा था कि ट्रस्ट की जमीन को सरकार सभी नागरिकों के लिए सुनिश्चित करना चाहती है.
तुषार मेहता ने कहा था, “वक्फ कानून 2013 के संशोधन से पहले अधिनियम के सभी संस्करणों में कहा गया था कि केवल मुसलमान ही अपनी संपत्ति वक्फ कर सकते हैं. लेकिन, 2013 के आम चुनाव से ठीक पहले एक संशोधन किया गया था, जिसके मुताबिक कोई भी अपनी संपत्ति वक्फ कर सकता है.”
इससे पहले, मंगलवार को सुनवाई के दौरान सीजेआई बीआर गवई ने खजुराहो के एक मंदिर का जिक्र किया था. उन्होंने कहा था कि वह मंदिर पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है और फिर भी लोग वहां जाकर पूजा कर सकते हैं. इस पर कपिल सिब्बल ने दलील दी कि नया कानून कहता है कि अगर यह एएसआई संरक्षित क्षेत्र है तो यह वक्फ नहीं हो सकता है.
इस पर कपिल सिब्बल ने दलील दी थी कि नया कानून कहता है कि अगर यह एएसआई संरक्षित क्षेत्र है तो यह वक्फ नहीं हो सकता है.
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एफएम/केआर
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