इस्लामाबाद, 23 अगस्त . पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित-बाल्टिस्तान के गिजर जिले में ग्लेशियर फटने से भूस्खलन और भीषण बाढ़ आने के कारण 300 से अधिक घर और दर्जनों दुकानें नष्ट हो गई.
गिलगित-बाल्टिस्तान के गिजर जिले में हिमनद झील विस्फोट के कारण Friday सुबह हुई बाढ़ ने कई गांवों में भारी तबाही मचाई, कई इलाके जलमग्न हो गए, जिससे भारी आर्थिक नुकसान हुआ. हालांकि, अधिकारियों ने पुष्टि की कि किसी भी तरह के जान-माल के नुकसान की कोई खबर नहीं है.
Friday तड़के अचानक हुए भूस्खलन और उसके बाद आए ग्लोफ (जीएलओएफ) ने रौशन और तिल्दास गांवों को तबाह कर दिया. इसके परिणामस्वरूप बनी सात किलोमीटर से ज्यादा लंबी कृत्रिम झील ने कृषि भूमि को जलमग्न कर दिया और सड़क नेटवर्क के कई हिस्से बह गए.
स्थानीय लोगों ने बताया कि रौशन गांव का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा इस आपदा में बह गया.
प्रमुख पाकिस्तानी मीडिया आउटलेट जियो न्यूज के अनुसार, Saturday को जिला प्रशासन द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आपदा से बनी अस्थायी झील का जलस्तर कम होने लगा है, जिससे कुछ राहत मिली है और आगे और नुकसान की आशंका कम हुई है.
बाढ़ ने तिल्दास, मिदुरी, मुलाबाद, हॉक्स थांगी, रौशन और गोथ गांवों में कुल 330 घरों को प्रभावित किया, जबकि दर्जनों दुकानों को भी भारी नुकसान पहुंचा.
अतिरिक्त उपायुक्त (एडीसी) गुपिस यासीन ने कहा कि विस्थापित परिवारों के लिए टेंट, खाद्य आपूर्ति और अन्य आवश्यक राहत सामग्री की तत्काल आवश्यकता है.
प्रमुख पाकिस्तानी दैनिक द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार, गिलगित-बाल्टिस्तान के गीजर जिले में हिमनद झील विस्फोट के कारण आई बाढ़ और कृत्रिम झील बनने से स्थानीय लोगों में दहशत फैल गई. राहत-बचाव अधिकारियों ने पुष्टि की है कि इस आपदा के बाद कम से कम 200 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है.
घिजर के वरिष्ठ अधिकारी शेर अफजल ने कहा कि कुछ ऊपरी घर अभी भी जलमग्न हैं, लेकिन स्पिलवे खुलने के बाद हजारों अतिरिक्त घरों में बाढ़ आने की आशंका टल गई.
हालांकि, उन्होंने आगाह किया कि पहले से प्रभावित इलाकों से पानी पूरी तरह से निकलने में समय लगेगा.
अधिकारियों ने आगे चेतावनी दी है कि रौशन में प्राकृतिक बांध अस्थिर बना हुआ है और दबाव के कारण अभी भी टूट सकता है.
पाकिस्तान मौसम विभाग (पीएमडी) ने Saturday, 23 अगस्त से बारिश के पूर्वानुमान के साथ, हिमाच्छादित क्षेत्रों में हाई अलर्ट जारी रखा है.
स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, ऐसी चार घटनाओं ने गिलगित-बाल्टिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा की घाटियों में घरों, फसलों और महत्वपूर्ण सड़क संपर्कों को पहले ही भारी नुकसान पहुंचाया है.
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डीकेएम/एएस
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