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शहरी जीवनशैली का बच्चों की ऊंचाई पर प्रभाव: आईसीएमआर अध्ययन

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बच्चों की ऊंचाई में कमी का कारण शहरी जीवनशैली का बच्चों की ऊंचाई पर प्रभाव: आईसीएमआर अध्ययन

शहरों में रहने वाले बच्चों की ऊंचाई में कमी एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। हाल ही में किए गए एक अध्ययन में यह पाया गया है कि शहरी बच्चों की लंबाई और वजन में कमी आई है, जबकि ग्रामीण बच्चों में सुधार देखा गया है। यह अध्ययन 2,325 देशों के डेटा पर आधारित है, जिसमें 5 से 19 वर्ष के 71 मिलियन बच्चों का विश्लेषण किया गया है। 1990 से 2020 तक के आंकड़ों के अनुसार, शहरीकरण के लाभ अब प्रभावी नहीं रह गए हैं।


शहरी बच्चों का बॉडी मास इंडेक्स (BMI) भी कम हुआ है। अध्ययन में यह स्पष्ट हुआ है कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों की शारीरिक वृद्धि बेहतर हुई है। भारत में पिछले 20 वर्षों में ग्रामीण बच्चों की ऊंचाई में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।


अध्ययन के अनुसार, अधिक सुविधाएं और धन बच्चों की सेहत पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं। आईसीएमआर के वैज्ञानिकों का मानना है कि बच्चों की ऊंचाई और विकास मुख्य रूप से उनके पोषण और रहने की स्थिति पर निर्भर करते हैं।


शहरी बच्चों की ऊंचाई में कमी का एक कारण यह भी है कि उनके पास खेलने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है और वे जंक फूड का सेवन कर रहे हैं। भारत में कुपोषण और मोटापे की समस्या बढ़ रही है।


आईसीएमआर की रिपोर्ट के अनुसार, कम ऊंचाई और BMI वाले बच्चे भविष्य में बीमारियों का शिकार हो सकते हैं। स्वस्थ जीवन के लिए BMI का सही होना आवश्यक है।


दिल्ली में 51% से अधिक बच्चे अस्वस्थ हैं, और मोटापे की समस्या बढ़ रही है। 1990 में शहरी बच्चों की BMI ग्रामीण बच्चों की तुलना में अधिक थी, लेकिन अब यह स्थिति बदल गई है।


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