शरद पूर्णिमा, जिसे कोजागिरी पूर्णिमा भी कहा जाता है, का विशेष महत्व है। इस रात चंद्रमा अपनी सभी सोलह कलाओं में पूर्ण होता है और इसकी चाँदनी में अमृतकारी शक्ति होती है। इस रात लक्ष्मी माता जाग्रत रहती हैं, और इस समय किए गए पुण्यकर्मों का फल अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
कोजागिरी पूर्णिमा का महत्व
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस रात लक्ष्मी माता की कृपा प्राप्त करने के लिए जागरण करना और पूजा करना आवश्यक है। जो लोग इस रात जागकर पूजा करते हैं, उन्हें सुख, संपत्ति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। चंद्रमा की पूर्णता के साथ उसकी अमृतकारी ऊर्जा रातभर फैलती रहती है, जिससे इस दिन बनाए जाने वाले विशेष व्यंजन, जैसे खीर, को पुण्यकारी माना जाता है।
पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि का आरंभ: 6 अक्टूबर 2025, दोपहर 12:23 बजे
पूर्णिमा तिथि का समाप्ति: 7 अक्टूबर 2025, सुबह 9:16 बजे
चंद्रोदय: शाम 5:27 बजे
कोजागरी पूजा का निशिता काल: रात 12:03 से 12:52 बजे तक
खीर बनाने की परंपरा
पुराणों में वर्णित है कि भगवान कृष्ण ने गोपियों के साथ रासलीला इसी रात की थी। गोपियाँ रातभर खीर बनाकर उसे चाँद की रोशनी में रखती थीं। माना जाता है कि चाँद की रोशनी में रखी खीर में अमृतात्मक ऊर्जा समाहित होती है। खीर, जिसमें मुख्य रूप से दूध और चावल होते हैं, शुद्धता और समृद्धि का प्रतीक है। इसे चाँद की रोशनी में रखने से यह विशेष फलदायक होती है।
इस दिन लक्ष्मी माता की पूजा और खीर का भोग अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है। यदि आप इस रात जागकर खीर का भोग माता को अर्पित करते हैं, तो आपकी मेहनत और भक्ति से जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है।
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