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भारत में पशु वध: मांस, तेल और अन्य उत्पादों का व्यापार

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भारत में कत्लखानों की स्थिति

भारत में लगभग 3600 बड़े कत्लखाने हैं, जिन्हें पशुओं के वध का लाइसेंस प्राप्त है। इसके अलावा, 35000 से अधिक छोटे कत्लखाने अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं।


हर साल लगभग 4 करोड़ पशुओं का वध किया जाता है, जिसमें गाय, भैंस, सूअर, बकरा, ऊंट आदि शामिल हैं। मुर्गियों के वध का कोई ठोस आंकड़ा नहीं है। मांस का उत्पादन होने के बाद, मांसाहारी लोग इसे बड़े चाव से खाते हैं। भारत में 20% लोग नियमित रूप से मांस का सेवन करते हैं।


मांस और तेल का उपयोग

गाय के मांस से प्राप्त तेल को 'tallow' कहा जाता है। गाय के मांस से निकला तेल 'beef tallow' और सूअर के मांस से निकला तेल 'pork tallow' कहलाता है। इस तेल का उपयोग मुख्य रूप से कॉस्मेटिक उत्पादों में किया जाता है, जैसे कि Fair & Lovely, Ponds, और Emami।


मद्रास उच्च न्यायालय में श्री राजीव दीक्षित ने Fair & Lovely के खिलाफ एक मामला जीता था, जिसमें कंपनी ने स्वीकार किया था कि उनके उत्पाद में सूअर की चर्बी का तेल मिलाया जाता है।


खून और अन्य उत्पाद

कत्लखानों में मांस और तेल के बाद, पशुओं का खून निकाला जाता है। कसाई गाय और अन्य पशुओं को उल्टा लटका कर उनकी गर्दन पर तेज चाकू से वार करते हैं। खून का उपयोग अंग्रेजी दवाओं, जैसे कि 'dexorange' में किया जाता है, जो खासकर गर्भवती महिलाओं के लिए लिखी जाती है।


इसके अलावा, खून का उपयोग लिपस्टिक और चाय बनाने में भी किया जाता है। कई कंपनियां चाय के उत्पादन में जानवरों के खून का उपयोग करती हैं, जिसे 'tea dust' कहा जाता है।


हड्डियों और चमड़े का उपयोग

कत्लखानों से निकली हड्डियों का उपयोग टूथपेस्ट, शेविंग क्रीम और टैल्कम पाउडर बनाने में किया जाता है। हड्डियों को सुखाकर पाउडर बनाया जाता है और कंपनियों को बेचा जाता है।


गाय की चमड़ी का उपयोग क्रिकेट और फुटबॉल बनाने में किया जाता है। इसके अलावा, चमड़े का उपयोग जूते, चप्पल, बेल्ट और अन्य सजावटी सामान बनाने में भी होता है।


गाय के अन्य अंगों का उपयोग

गाय के अंदरूनी अंगों का भी उपयोग होता है, जैसे बड़ी आंत से जिलेटिन बनाई जाती है, जिसका उपयोग आइसक्रीम, चॉकलेट और कैप्सूल में किया जाता है।


इस प्रकार, जानवरों के वध के बाद कई उत्पादों का निर्माण होता है, जिनका हम अनजाने में उपयोग करते हैं।


सावधानी बरतें

इन उत्पादों से बचने के लिए सावधानी बरतें। विज्ञापनों पर ध्यान न दें, क्योंकि इनमें अक्सर धोखा होता है। देशी उत्पादों का उपयोग करें, जो बिना विज्ञापन के भी बिकते हैं।


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