बदायूं। मनोज नामक एक व्यक्ति ने चूहा मारने के बाद यह नहीं सोचा था कि उसकी यह हरकत उसे गंभीर कानूनी समस्याओं में डाल देगी।
सदर कोतवाली क्षेत्र में घटित इस चूहा हत्याकांड में मनोज को यह समझ नहीं आया कि चूहा मारने पर भी उसके खिलाफ मामला दर्ज हो सकता है।
घटना के बाद मनोज पुलिस हिरासत में आ गया और उसने स्वीकार किया कि वह चूहों से परेशान था, क्योंकि उसके घर का बहुत सारा सामान चूहों ने खराब कर दिया था। उसने बताया कि आर्थिक तंगी के कारण वह खुद भी मुश्किल में था और चूहों ने उसके कपड़े भी बर्बाद कर दिए थे। इसलिए, उसने चूहे को पत्थर से बांधकर नाले में फेंक दिया।
गुनाह कबूल करने के बाद उसने माफी मांगी और कहा कि भविष्य में वह ऐसा नहीं करेगा। पुलिस ने उसके कबूलनामे के आधार पर एफआईआर दर्ज की और अब कोर्ट में चार्जशीट पेश की गई है। चार्जशीट तैयार करने में पुलिस को चार महीने का समय लगा। इस मामले में सात पर्चे काटे गए और अंततः 30 पेज की चार्जशीट दाखिल की गई।
घटनाक्रम के अनुसार, पिछले साल 25 नवंबर को मनोज ने अपने घर से चूहा पकड़ा और उसे नाले में डुबो दिया। इस दौरान पीएफए के विकेंद्र शर्मा ने उसे ऐसा करते हुए देखा और पुलिस को सूचित किया। विकेंद्र ने मनोज के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की मांग की। पुलिस ने मनोज को गिरफ्तार कर लिया।
इसके बाद चूहे का बरेली के आईवीआरआई में पोस्टमार्टम कराया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर विकेंद्र की शिकायत पर पशु क्रूरता अधिनियम के तहत मनोज के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। बाद में उसे कच्ची जमानत पर रिहा कर दिया गया। मनोज ने घटना के पांचवें दिन अदालत में हाजिर होकर जमानत प्राप्त की।
मनोज ने कहा कि उसे नहीं पता था कि चूहा मारने के कारण वह इतनी बड़ी मुसीबत में फंस जाएगा। चूहा मारने के लिए कई दवाइयां उपलब्ध हैं, जिन्हें लोग अपने घरों में रखते हैं। वह चूहों से परेशान था, क्योंकि चूहों ने उसके घर का महत्वपूर्ण सामान खराब कर दिया था और उसकी बेटी को भी काट लिया था, जिसके इलाज में उसे काफी खर्च करना पड़ा।
जिला बार एसोसिएशन के महासचिव पवन कुमार गुप्ता ने बताया कि चार्जशीट में जिन धाराओं का उल्लेख है, वे जमानतीय अपराध हैं। इस मामले में आरोपी को छह महीने तक की सजा हो सकती है।
सीओ सिटी आलोक मिश्रा ने बताया कि मनोज के खिलाफ पशु क्रूरता अधिनियम के तहत कार्रवाई की गई है और चार्जशीट दाखिल कर दी गई है।
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