इस्लामाबाद। पाकिस्तान की कैबिनेट ने शुक्रवार को बलात्कार के खिलाफ दो नए अध्यादेशों को स्वीकृति दी। इनमें एक महत्वपूर्ण प्रावधान है, जिसके तहत बलात्कारी को रासायनिक रूप से नपुंसक करने की प्रक्रिया को शामिल किया गया है। इसके साथ ही, बलात्कार के मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतों का गठन भी किया जाएगा।
रासायनिक बधिया, जिसे केमिकल कास्ट्रेशन भी कहा जाता है, एक ऐसी प्रक्रिया है जो रासायनिक तत्वों के माध्यम से व्यक्ति की यौन उत्तेजना को कम या समाप्त कर सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह निर्णय बृहस्पतिवार को संघीय कानून मंत्री फारूक नसीम की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट समिति की बैठक में लिया गया।
इससे पहले, मंगलवार को संघीय कैबिनेट ने इन अध्यादेशों को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दी थी। नए कानून के तहत, पहले बार अपराध करने वाले या पुनरावृत्ति करने वाले अपराधियों के लिए रासायनिक बधियाकरण को पुनर्वास के उपाय के रूप में देखा जाएगा, और इसके लिए दोषी की सहमति आवश्यक होगी।
कानून मंत्री नसीम ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार, बधिया करने से पहले दोषी की सहमति लेना अनिवार्य है। यदि बिना सहमति के रासायनिक बधियाकरण का आदेश दिया जाता है, तो दोषी इसे अदालत में चुनौती दे सकता है। यदि कोई दोषी सहमत नहीं होता है, तो उस पर पाकिस्तान दंड संहिता (पीपीसी) के तहत कार्रवाई की जाएगी, जिसमें मौत की सजा, आजीवन कारावास या 25 साल की जेल की सजा शामिल है।
उन्होंने यह भी कहा कि सजा का निर्णय अदालत पर निर्भर करेगा। न्यायाधीश रासायनिक बधियाकरण या पीपीसी के तहत सजा का आदेश दे सकते हैं। अध्यादेशों में बलात्कार के मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतों के गठन का भी प्रावधान है, और विशेष अभियोजकों की नियुक्ति की जाएगी।
प्रस्तावित कानूनों के अनुसार, बलात्कार विरोधी प्रकोष्ठों का गठन किया जाएगा, जिसकी अध्यक्षता एक आयुक्त या उपायुक्त करेंगे, ताकि प्राथमिकी, चिकित्सा जांच और फोरेंसिक जांच का शीघ्र पंजीकरण सुनिश्चित किया जा सके। इसके अलावा, आरोपी द्वारा बलात्कार पीड़ित से जिरह पर रोक लगा दी गई है, और केवल जज और आरोपी के वकील ही पीड़ित से जिरह कर सकेंगे।
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