भारत में कामाख्या मंदिर जैसा अद्भुत और रहस्यमय स्थल शायद ही कहीं और हो। यह मंदिर गुवाहाटी से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर, कामगिरी या नीलाचल पर्वत पर स्थित है। इसे तंत्र सिद्धि और अलौकिक शक्तियों का प्रमुख स्थान माना जाता है।
कामाख्या शक्तिपीठ की विशेषताएँ
कामाख्या शक्तिपीठ, 51 शक्तिपीठों में से एक, अत्यंत प्रसिद्ध और चमत्कारी है। यह मंदिर अघोरियों और तांत्रिकों का प्रमुख स्थल माना जाता है। असम की राजधानी दिसपुर से लगभग 7 किलोमीटर दूर, यह शक्तिपीठ नीलांचल पर्वत से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसे सभी शक्तिपीठों का महापीठ माना जाता है।
मंदिर के अद्भुत रहस्य
इस मंदिर में देवी दुर्गा या मां अम्बे की कोई मूर्ति नहीं है। इसके बजाय, यहां एक कुंड है जो हमेशा फूलों से ढका रहता है और इसमें निरंतर जल प्रवाहित होता है। इस मंदिर में देवी की योनि की पूजा की जाती है, और यहां माता रजस्वला भी होती हैं।
कामाख्या मंदिर का इतिहास
धर्म पुराणों के अनुसार, कामाख्या का नाम इस स्थान पर भगवान शिव द्वारा माता सती के 51 भागों में विभाजित करने के कारण पड़ा। जहां ये भाग गिरे, वहां शक्तिपीठ बने। यह स्थान माता की योनि का स्थल है, जो आज एक शक्तिशाली पीठ है।
विशेष अवसरों पर भक्तों की भीड़
यहां सालभर भक्तों की भीड़ लगी रहती है, लेकिन दुर्गा पूजा, पोहान बिया, और अम्बुवासी जैसे त्योहारों पर यहां विशेष महत्व होता है। इन अवसरों पर लाखों भक्त यहां आते हैं।
अम्बुवाची मेला
हर साल अम्बुवाची मेले के दौरान, पास के ब्रह्मपुत्र नदी का पानी तीन दिन के लिए लाल हो जाता है, जो कामाख्या देवी के मासिक धर्म के कारण होता है। तीन दिन बाद भक्तों की भीड़ मंदिर में उमड़ पड़ती है।
प्रसाद की विशेषताएँ
कामाख्या देवी मंदिर में भक्तों को लाल रंग का गीला कपड़ा प्रसाद के रूप में दिया जाता है। कहा जाता है कि जब मां रजस्वला होती हैं, तो सफेद कपड़ा मंदिर के अंदर बिछाया जाता है, जो बाद में लाल रंग से भीग जाता है।
बलि की परंपरा
यहां मनोकामना पूरी करने के लिए कन्या पूजन और भंडारा आयोजित किया जाता है, साथ ही पशुओं की बलि भी दी जाती है, लेकिन मादा जानवरों की बलि नहीं दी जाती।
कामाख्या देवी की पूजा
कामाख्या देवी की पूजा भगवान शिव के नववधू के रूप में की जाती है। यहां आने वाले भक्तों की हर मुराद पूरी होती है। मंदिर परिसर में एक अन्य मंदिर है, जिसे कामादेव मंदिर कहा जाता है।
तांत्रिक शक्तियाँ
यहां के तांत्रिक बुरी शक्तियों को दूर करने में सक्षम होते हैं। कई लोग विवाह, संतान, और धन की इच्छाओं की पूर्ति के लिए कामाख्या की तीर्थयात्रा करते हैं।
मंदिर की संरचना
कामाख्या मंदिर तीन हिस्सों में विभाजित है। पहले हिस्से में सभी भक्तों को प्रवेश नहीं दिया जाता, जबकि दूसरे हिस्से में माता के दर्शन होते हैं।
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