भारत में महंगाई तेजी से बढ़ती जा रही है, लेकिन उतनी ही तेज रफ्तार से कमाई नहीं बढ़ रही। अब इस स्थिति पर बेंगलुरु स्थित पर पीपलको के सीईओ आशीष सिंघल का बड़ा बयान सामने आया है। उनका कहना है कि भारत में कोई भी सबसे बड़े घोटाले की बात नहीं कर रहा। वे भारत के मध्यम वर्गीय लोगों की खर्चों की आदत और वेतन में नहीं हो रही वृद्धि को लेकर चिंतित है। दोनों तरफ से जल रहा मध्यम वर्ग मध्यवर्गीय बढ़ती लागत से तो परेशान हैं। इसके साथ ही वेतन में वृद्धि नहीं होने से भी उन्हें समस्याएं हो रही है। वेतन स्थिर होने के बावजूद कई लोग साल में एक बार हवाई यात्रा कर रहे हैं, नए फोन खरीद रहे हैं और ईएमआई पर कई चीज खरीद रहे हैं। यह स्थिति उन्हें एक संकट की ओर लेकर जा सकती है। आशीष सिंघल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लिंक्डइन पर लिखा कि मध्यवर्ग का वेतन सबसे बड़ा घोटाला है जिसके बारे में कोई भी बात नहीं करता। इस पर पिछले कई दशकों से कम चर्चा हुई है। उन्होंने अपनी पोस्ट में यह लिखा कि पिछले 10 सालों में सालाना 5 लाख रुपये से एक करोड़ रुपये कमाने वाले भारतीय जिन्हें मध्यम वर्गीय कहा जाता है, उनकी आय में केवल 0.4% की वृद्धि हुई है। इसके अलावा 5 लाख रुपये से कम कमाने वाले की आय में 4% की वृद्धि हुई है। खाद्य पदार्थों की कीमत में 80% की वृद्धिआशीष सिंघल के अनुसार जहां मध्यमवर्गीय परिवारों की इनकम में वृद्धि नहीं हो रही है, लेकिन खाद्य पदार्थों की कीमत में पिछले 10 साल में लगभग 80% की वृद्धि हुई है। बढ़ती महंगाई ने क्रय क्षमता को कम किया है। लोन पर निर्भर हो गए हैं लोगआय मे कमी और खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि को सिंघल पतन नहीं बल्कि एक सुनियोजित गिरावट मानते हैं। उनका कहना है कि अभी भी परिवार कई चीज खरीद रहे हैं। वे आय से ज्यादा लोन पर निर्भर हो गए हैं। लोगों के क्रेडिट कार्ड से लेकर ईएमआई में वृद्धि हुई है, जबकि वास्तविक वेतन स्थिर बना हुआ है। मध्यवर्गीय की वित्तीय सुरक्षा में कम बदलाव आशीष सिंघल का कहना है कि मध्यवर्गीय की आबादी तेजी से बढ़ रही है। एक अध्ययन के अनुसार साल 2021 में भारत में मिडिल क्लास आबादी 31% थी जो साल 2021 तक 38% और साल 2047 तक 60% पहुंच सकती है। इस आंकड़े के बाद भी मध्यम वर्ग में कमाने वाले लोग बचत की जगह ज्यादा खर्च कर रहे हैं उनके वास्तविक वित्तीय सुरक्षा में कोई खास बदलाव देखने को नहीं मिला। मध्यम वर्ग झेलते हैं झटके सीईओ का कहना है कि गरीबों की सहायता के लिए सरकार के द्वारा कई कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं। अमीर निवेश के जरिए अपने धन में वृद्धि कर रहे हैं। लेकिन मध्यम वर्ग लगातार झटके झेल रहे हैं। उन्हें न ही कोई सब्सिडी मिलती है ना ही कोई बेल आउट। वे बस स्वास्थ्य सेवा बिल, बढ़ती स्कूल की फीस, बढ़ती ईंधन की कीमत और बढ़ती महंगाई के बीच जूझ रहे हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था का इंजन है मध्यमवर्ग उन्होंने यह भी कहा कि मध्यम वर्ग गई सिर्फ वोट बैंक की या कर आधार के लिए ही नहीं है बल्कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण इंजन है लेकिन अभी वह इंजन लड़खड़ा रहा है। सरकार गरीबों को सहारा देती है, अमीर आगे बढ़ रहे हैं लेकिन मध्यम वर्ग से बस यही उम्मीद करते हैं कि वे महंगाई के झटके चुपचाप झेल ले।आशीष सिंघल के इस दावे के पीछे सच्चाई छिपी है। भले ही मध्यम वर्गीय परिवारों की आय नहीं बढ़ रही है लेकिन आधुनिक जीवन शैली की तरफ वे आकर्षित हो रहे हैं। अपनी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए वे लोन लेते हैं और ईएमआई के बोझ में दबते चले जा रहे हैं।
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