प्रदेश की प्रशासनिक व्यवस्था में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है। पूर्व आईएएस अधिकारी डॉ. राजेश्वर सिंह को राज्य निर्वाचन आयोग का नया आयुक्त नियुक्त किया गया है। मंगलवार को राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने उनकी नियुक्ति को मंजूरी देते हुए आदेश जारी कर दिए। डॉ. सिंह अब प्रदेश में होने वाले शहरी निकाय और पंचायतीराज संस्थाओं के चुनावों की जिम्मेदारी संभालेंगे।
मधुकर गुप्ता का कार्यकाल हुआ पूराइससे पहले इस पद पर कार्यरत मधुकर गुप्ता का कार्यकाल मंगलवार को ही समाप्त हो गया। उनके कार्यकाल के दौरान प्रदेश में कई महत्वपूर्ण चुनाव सफलतापूर्वक कराए गए। अब उनकी जगह डॉ. राजेश्वर सिंह को यह अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है। सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने अनुभव, प्रशासनिक क्षमता और निष्पक्ष छवि को ध्यान में रखते हुए उनका चयन किया है।
प्रशासनिक पृष्ठभूमि और अनुभवडॉ. राजेश्वर सिंह एक अनुभवी और सख्त प्रशासनिक अधिकारी के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने अपनी सेवाकाल के दौरान विभिन्न जिलों में डीएम और प्रमुख विभागों में सचिव स्तर पर कार्य किया है। कठिन परिस्थितियों में प्रशासनिक निर्णय लेने और निष्पक्ष कार्यशैली के लिए वे हमेशा चर्चा में रहे हैं। उनके अनुभव से राज्य निर्वाचन आयोग को मजबूती मिलने की उम्मीद है।
चुनावी जिम्मेदारी होगी बड़ी परीक्षाराज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त का पद किसी भी प्रशासनिक अधिकारी के लिए एक बड़ी परीक्षा होती है। डॉ. सिंह को अब प्रदेशभर में शहरी निकाय और पंचायत चुनावों का आयोजन कराना होगा। इसमें निष्पक्षता, पारदर्शिता और शांतिपूर्ण माहौल बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती होगी। चुनावी प्रक्रिया को समयबद्ध और सुचारू तरीके से संपन्न कराना भी उनके लिए अहम कार्य रहेगा।
राजनीतिक महत्वस्थानीय निकाय और पंचायत चुनाव प्रदेश की राजनीति में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये चुनाव न केवल जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करते हैं बल्कि भविष्य की राजनीतिक तस्वीर भी तय करते हैं। ऐसे में डॉ. सिंह की नियुक्ति को राजनीतिक दृष्टि से भी बेहद अहम माना जा रहा है। विभिन्न राजनीतिक दलों की नजरें अब उनके कामकाज पर टिकी होंगी।
पारदर्शिता और नई तकनीक पर जोरसूत्रों का कहना है कि डॉ. सिंह चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने और तकनीकी साधनों के बेहतर इस्तेमाल पर जोर देंगे। ई-गवर्नेंस, ऑनलाइन वोटर लिस्ट और डिजिटल मॉनिटरिंग जैसे प्रयासों से आयोग की कार्यशैली को आधुनिक बनाने की योजना हो सकती है। इसके अलावा ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए जागरूकता अभियान भी चलाए जाने की संभावना है।
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