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राजस्थान में उद्योगों में बिजली शुल्क वृद्धि पर विरोध तेज, स्थायी शुल्क और सरचार्ज बढ़ने से नाराजगी

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राजस्थान में उद्योगों के लिए बिजली दरों में वृद्धि को लेकर नाराजगी बढ़ती जा रही है। राज्य की डिस्कॉम कंपनियों द्वारा जारी नए आदेशों के अनुसार, अब 300 यूनिट से अधिक बिजली खपत करने वाले उद्योगों पर स्थायी शुल्क 450 रुपए से बढ़ाकर 800 रुपए कर दिया गया है। इसके अलावा, प्रति यूनिट 1 रुपए का रेगुलेटरी सरचार्ज भी जोड़ा गया है।

साथ ही, पहले उद्योगों को लोड फैक्टर के आधार पर मिलने वाली 1 रुपए प्रति यूनिट की राहत को समाप्त कर दिया गया है। व्यापारियों और उद्योगपतियों का कहना है कि इससे उनकी उत्पादन लागत में भारी वृद्धि होगी और छोटे तथा मध्यम उद्योग प्रभावित होंगे।

उद्योग संगठनों ने स्पष्ट किया है कि यह निर्णय राजस्थान में निवेश और रोजगार सृजन पर नकारात्मक असर डाल सकता है। उनका कहना है कि सरकार को इस निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए और उद्योगों के लिए राहतकारी कदम उठाने चाहिए।

डिस्कॉम अधिकारियों का कहना है कि यह कदम बिजली आपूर्ति की गुणवत्ता और नेटवर्क सुधार सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है। स्थायी शुल्क और सरचार्ज से मिलने वाली राशि ग्रिड सुधार, रखरखाव और अन्य तकनीकी सुधार कार्यों में उपयोग की जाएगी।

विशेषज्ञों का कहना है कि हालांकि यह कदम बिजली आपूर्ति की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए जरूरी हो सकता है, लेकिन छोटे उद्योगों के लिए यह वास्तविक चुनौती पैदा करेगा। छोटे और मध्यम उद्योग पहले ही उत्पादन लागत और कर्मचारियों की वेतन व्यवस्था को लेकर संघर्ष कर रहे हैं।

व्यापारी और उद्योग संगठन सरकार और डिस्कॉम प्रशासन से संवाद शुरू करने और शुल्कों में संशोधन करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि ऐसा न हुआ तो विरोध प्रदर्शन और लंबी बैठकों की संभावना बढ़ जाएगी।

राजस्थान में उद्योगों के लिए बिजली दरों और शुल्कों में बदलाव ने स्पष्ट कर दिया है कि उद्योग और सरकार के बीच संतुलन बनाए रखना इस समय चुनौतीपूर्ण हो गया है। राज्य में आर्थिक गतिविधियों को सुचारू रखने और निवेश को आकर्षित करने के लिए जल्द ही समाधान निकाले जाने की आवश्यकता है।

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