भीम-देवगढ़ विधानसभा क्षेत्र के 56 हजार से अधिक परिवारों को राहत पहुंचाने का वादा करने वाली राजस्थान की बहुप्रतीक्षित चंबल पेयजल परियोजना अब खुद सवालों के घेरे में आ गई है। 1291.16 करोड़ रुपए की यह परियोजना न केवल समय सीमा से पीछे चल रही है, बल्कि विकास की कछुआ चाल और प्रशासनिक उदासीनता का प्रतीक भी बन गई है। 15 जून 2025 की समय सीमा भी दूर की कौड़ी लगती है। इस परियोजना की शुरुआत अक्टूबर 2023 में हुई थी और इसे 15 जून 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन दो साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद अभी तक केवल 50 फीसदी काम ही पूरा हो पाया है। हालात यह हैं कि कई गांवों में पाइप लाइन बिछाने का काम भी नहीं हुआ है और जहां हुआ भी है, वह अधूरा है। कई इलाकों में सिर्फ सड़कें खोद दी गई हैं, लेकिन पाइप बिछाने या सड़कों की मरम्मत की ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया है।
आंकड़े जो सच्चाई बयां करते हैं: लाभार्थी: 54 ग्राम पंचायतों के 250 गांवों और 827 बस्तियों के 56,000 से अधिक परिवार जलाशय: प्रस्तावित 56 टंकियों में से अब तक केवल 29 का निर्माण हुआ पाइपलाइन: 514 किमी डीआई पाइपलाइन और 1460 किमी ग्रामीण पाइप नेटवर्क का लक्ष्य, लेकिन इसका अधिकांश हिस्सा अभी भी अधूरा है पंप हाउस: प्रस्तावित 13 में से कई का निर्माण अधूरा, कई पर काम भी शुरू नहीं हुआ वाटर ट्रीटमेंट प्लांट: जयसिंहपुरा बेंगू (चित्तौड़गढ़) से पानी भेजने की योजना
आम आदमी की समस्या: टूटी सड़कें, खुली पाइप लाइन, दुर्घटनाएं
कई स्थानों पर सड़कें तोड़कर पाइप बिछाए गए हैं, लेकिन काम अधूरा छोड़ दिया गया है। इससे भीलवाड़ा रोड जैसे व्यस्त मार्गों पर दुर्घटना का खतरा बढ़ गया है। देवगढ़ शहर में कई स्थानों पर बड़े पाइप खुले में पड़े हैं, जिससे स्थानीय नागरिकों को रोजाना आवागमन में परेशानी हो रही है।
परियोजना संरचना: एक नजर में: चंबल परियोजना केवल पेयजल योजना नहीं है, बल्कि यह क्षेत्र के समग्र जल पुनर्वास का हिस्सा है।
इसमें शामिल हैं: 700 मिमी एमएस पाइपलाइन: बागोर-करेडा पंप हाउस से कालेसारिया तक
514 किमी डीआई पाइपलाइन: टंकियों तक पानी की आपूर्ति के लिए 1460 किमी पाइपलाइन: घरों तक पानी की आपूर्ति के लिए
56 नई टंकियां: जल संग्रहण के लिए, जिनमें से आधी ही बनीं 13 पंप हाउस और 16 पंपिंग स्टेशन: कालेसारिया, पीतमपुरा, टोगी, भीम, डांसरिया आदि प्रमुख गांवों में। डांसरिया में विशेष बूस्टर पंप लगाए जाएंगे, ताकि पानी ऊंचे इलाकों तक पहुंच सके।
जनता की उम्मीदें फिर अधूरी
स्थानीय निवासियों और पंचायत प्रतिनिधियों को इस परियोजना से बड़ी उम्मीदें थीं। क्षेत्र में लंबे समय से खासकर गर्मियों में पानी का संकट बना रहता है। लेकिन दो साल बाद भी अधूरी पड़ी यह परियोजना अब उम्मीद नहीं बल्कि आक्रोश और संदेह का कारण बन गई है। देवगढ़ और भीम के ग्रामीणों का कहना है कि ''हर साल कहा जाता है कि अगले साल पानी मिलेगा, लेकिन हर साल कोई नया बहाना ढूंढ लिया जाता है।'' खासकर 2024 की गर्मियों में पानी के संकट के कारण टैंकरों पर निर्भरता ने प्रशासन की योजना की विफलता को उजागर कर दिया है।
राजनीतिक चुप्पी और जवाबदेही का अभाव
राजनीतिक दृष्टि से यह परियोजना कांग्रेस सरकार की एक बड़ी घोषणा थी। लेकिन भाजपा सरकार के कार्यकाल में इसे लेकर अपेक्षित गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। न तो क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने इस पर आवाज उठाई और न ही राज्य सरकार की ओर से प्रगति की नियमित समीक्षा की गई।
इनका कहना है
काम की गति बहुत धीमी है। जहां भी काम रुका है, संबंधित ठेकेदार कंपनियों से बात करके काम फिर से शुरू करवाया जाएगा। साथ ही अनुबंध की शर्तों के तहत देरी पर कार्रवाई की जाएगी।
चंबल परियोजना के सहायक अभियंता अशोक सालवी
फिलहाल 50 प्रतिशत से अधिक कार्य पूर्ण हो चुका है, देवगढ़ भीम में जहां से पानी आएगा उसका इनटेक अंतिम चरण में है, जिसे बेगू डिवीजन द्वारा किया जा रहा है। बेगू डब्ल्यूटीपी से भीम देवगढ़ तक पानी लाने के लिए ट्रांसमिशन लाइन का कार्य प्रगति पर है तथा लगभग सभी स्थानों पर सिविल स्ट्रक्चर शुरू हो चुका है तथा पाइपलाइन का कार्य प्रगति पर है। ठेकेदार ने धीमी गति से कार्य किया था, जिस पर 10.25 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया है। संभवत: एक वर्ष में कार्य पूर्ण हो जाएगा तथा क्षेत्र के लोगों को राहत मिलेगी।
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